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Dilapidated School In Bilaspur: बिलासपुर में जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर बच्चे

Dilapidated School In Bilaspur: बिलासपुर के दाढ़बछेली गांव का प्राइमरी स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. बावजूद इसके यहां लोग अपने बच्चों को पढ़ने भेज रहे हैं. जर्जर स्कूल भवन निर्माण की कई बार मांग की जा चुकी है. बावजूद इसके स्कूल भवन निर्माण को अधिकारी टाल रहे हैं.

children studying in dilapidated school
जर्जर स्कूल में पढ़ रहे बच्चे
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Published : Jun 28, 2023, 9:07 PM IST

Updated : Jun 28, 2023, 11:05 PM IST

बिलासपुर में जर्जर स्कूल

बिलासपुर: बिलासपुर में दर्जनों ऐसे जर्जर स्कूल हैं. जहां जिन्दगी को ताक में रखकर बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. टूटी छत, दीवारों में दरार, खिड़कियों के अंदर आता बारिश का पानी, यहां आम बात है. ऐसे स्कूल में बच्चों का पढ़ना खतरे से खाली नहीं है. बावजूद इसके बच्चे सुविधाओं के अभाव में ऐसे स्कूलों में पढ़ने आते हैं.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं बिलासपुर के कोटा ब्लॉक अंतर्गत पड़ने वाले दाढ़बछेली गांव के प्राइमरी स्कूल की. इस स्कूल में कुल 65 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. यहां 1 से 5वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं. यहां प्राइमरी के बाद मिडिल क्लास की पढ़ाई की जाती है. क्योंकि पूरे गांव में एक ही स्कूल है.

स्कूल मरम्मत की मांग: जर्जर स्कूल भवन होने के कारण यहां पालकों को अपने बच्चे की चिंता लगी रहती है. कई बार स्कूल के मरम्मत की मांग बच्चों के मां-पिता, बिलासपुर कलेक्टर से कर चुके हैं. हालांकि इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. प्रवेश शाला उत्सव के साथ ही पिछले दो दिनों से यहां स्कूल खुल रहा है. बच्चे स्कूल तो जा रहे हैं, लेकिन बच्चों के माता-पिता के मन में डर है कि कहीं उनके बच्चे को कुछ हो न जाए.

25 साल पुराना स्कूल भवन: बता दें कि ये जर्जर स्कूल भवन लगभग 20 से 25 साल पुराना है. इसकी दीवारों पर दरार पड़ चुकी है. खिड़कियां सड़ गई है और सीलिंग की सीमेंट रह रह कर गिरने लगी है. ऐसे में माता पिता को बच्चों के जान की परवाह होना लाजमी है. यही कारण है कि कई दिनों से ये स्कूल मरम्मत कराने या फिर नए स्कूल भव निर्माण की मांग कर रहे हैं.


" इस मामले की शिकायत डीईओ, डीईओ सहित कई अधिकारियों से कर चुके हैं. बावजूद इसके मांग पूरी नहीं हो रही है. जर्जर स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई करता देखकर काफी तकलीफ हो रही है. लगता है कि कभी भी यह भवन गिर सकता है. मासूम बच्चों की जान जा सकती है. कलेक्टर जनदर्शन के माध्यम से भी कई बार स्कूल भवन की मरम्मत की मांग की जा चुकी है. लेकिन आज तक इसकी सुध किसी ने न ली. बच्चों को मजबूरन इस स्कूल में पढ़ाई करना पड़ रहा है.स्कूल भवन निर्माण के लिए डीईओ से भी मांग की थी. हालांकि उन्होंने बारिश का हवाला देते हुए बात को टाल दिया." -राजेश्वर पांडेय, उपसरपंच, दाढ़बछेली गांव

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गर्मी में यहां के बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ाई कर लेते हैं. इसी तरह ठंड में भी किसी तरह पढ़ ही लेते हैं. लेकिन बारिश के मौसम में इन बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कतें होती है. साथ ही बारिश में सांप, बिच्छू का डर भी बढ़ जता है. स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन से स्कूल भवन निर्माण की बात कही है, लेकिन स्कूल भवन निर्माण नहीं हो पाया है. यही कारण है कि ये बच्चे जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर है. जबकि इन्हें ये पता है कि यहां पढ़ना अपने जीवन से खेलने जैसा है.

बिलासपुर में जर्जर स्कूल

बिलासपुर: बिलासपुर में दर्जनों ऐसे जर्जर स्कूल हैं. जहां जिन्दगी को ताक में रखकर बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. टूटी छत, दीवारों में दरार, खिड़कियों के अंदर आता बारिश का पानी, यहां आम बात है. ऐसे स्कूल में बच्चों का पढ़ना खतरे से खाली नहीं है. बावजूद इसके बच्चे सुविधाओं के अभाव में ऐसे स्कूलों में पढ़ने आते हैं.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं बिलासपुर के कोटा ब्लॉक अंतर्गत पड़ने वाले दाढ़बछेली गांव के प्राइमरी स्कूल की. इस स्कूल में कुल 65 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. यहां 1 से 5वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं. यहां प्राइमरी के बाद मिडिल क्लास की पढ़ाई की जाती है. क्योंकि पूरे गांव में एक ही स्कूल है.

स्कूल मरम्मत की मांग: जर्जर स्कूल भवन होने के कारण यहां पालकों को अपने बच्चे की चिंता लगी रहती है. कई बार स्कूल के मरम्मत की मांग बच्चों के मां-पिता, बिलासपुर कलेक्टर से कर चुके हैं. हालांकि इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. प्रवेश शाला उत्सव के साथ ही पिछले दो दिनों से यहां स्कूल खुल रहा है. बच्चे स्कूल तो जा रहे हैं, लेकिन बच्चों के माता-पिता के मन में डर है कि कहीं उनके बच्चे को कुछ हो न जाए.

25 साल पुराना स्कूल भवन: बता दें कि ये जर्जर स्कूल भवन लगभग 20 से 25 साल पुराना है. इसकी दीवारों पर दरार पड़ चुकी है. खिड़कियां सड़ गई है और सीलिंग की सीमेंट रह रह कर गिरने लगी है. ऐसे में माता पिता को बच्चों के जान की परवाह होना लाजमी है. यही कारण है कि कई दिनों से ये स्कूल मरम्मत कराने या फिर नए स्कूल भव निर्माण की मांग कर रहे हैं.


" इस मामले की शिकायत डीईओ, डीईओ सहित कई अधिकारियों से कर चुके हैं. बावजूद इसके मांग पूरी नहीं हो रही है. जर्जर स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई करता देखकर काफी तकलीफ हो रही है. लगता है कि कभी भी यह भवन गिर सकता है. मासूम बच्चों की जान जा सकती है. कलेक्टर जनदर्शन के माध्यम से भी कई बार स्कूल भवन की मरम्मत की मांग की जा चुकी है. लेकिन आज तक इसकी सुध किसी ने न ली. बच्चों को मजबूरन इस स्कूल में पढ़ाई करना पड़ रहा है.स्कूल भवन निर्माण के लिए डीईओ से भी मांग की थी. हालांकि उन्होंने बारिश का हवाला देते हुए बात को टाल दिया." -राजेश्वर पांडेय, उपसरपंच, दाढ़बछेली गांव

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गर्मी में यहां के बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ाई कर लेते हैं. इसी तरह ठंड में भी किसी तरह पढ़ ही लेते हैं. लेकिन बारिश के मौसम में इन बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कतें होती है. साथ ही बारिश में सांप, बिच्छू का डर भी बढ़ जता है. स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन से स्कूल भवन निर्माण की बात कही है, लेकिन स्कूल भवन निर्माण नहीं हो पाया है. यही कारण है कि ये बच्चे जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर है. जबकि इन्हें ये पता है कि यहां पढ़ना अपने जीवन से खेलने जैसा है.

Last Updated : Jun 28, 2023, 11:05 PM IST
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