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Chhattisgarh highcourt news :वन भैंसा मामला में हाईकोर्ट ने असम सरकार और PCCF से मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने असम राज्य सरकार और असम के पीसीसीएफ से वन भैंसा लाए जाने के मामले में जवाब मांगा है. forest buffalo case हाईकोर्ट में पेश जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए असम राज्य सरकार और असम पीसीसीएफ को दोबारा नोटिस जारी कर 20 फरवरी तक जवाब पेश करने के आदेश दिए गए हैं. छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसों की पूर्ति के लिए असम से 6 वन भैंसा की मांग की गई थी. मामला Chhattisgarh highcourt तक पहुंचने के बाद अब छत्तीसगढ़ वन विभाग और असम वन विभाग को इस मामले में पक्षकार बनाया गया है.

Bilaspur highcourt news
हाईकोर्ट ने असम राज्य सरकार और असम PCCF से मांगा जवाब
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Published : Jan 9, 2023, 4:04 PM IST

बिलासपुर :छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसों की पूर्ति के लिए असम से 6 वन भैंसों की मांग की गई थी. अप्रैल 2021 में असम से छह में से दो वन भैंस लाए गए, जिन्हें बारनवापारा अभयारण्य के बाड़े में कैद कर रखा गया है. सेवानिवृत्त आईएफएस प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी कौशलेंद्र कुमार सिंह ने प्लान बनाया था कि असम से पांच मादा वन भैंसों को पकड़ कर लाया जाएगा और यहां बंधक बनाकर उनसे प्रजनन कराया जाएगा. वन भैंसा के बच्चे पैदा होंगे तो उनको वनों में छोड़ दिया जाएगा. forest buffalo case

नितिन सिंघवी ने दायर की याचिका: याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी (Nitin Singhvi) ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ''एनटीसीआर के अप्रूवल के बिना भैंसे लाए जा रहे हैं. असम राज्य और छत्तीसगढ़ राज्य का मौसम बिलकुल अलग है. वन भैंसों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा. दोषी वन विभाग के आला अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाए जाने की याचिका में मांग की गई है.''

ये भी पढ़ें- असम से लाए गए वनभैंसों के मामले पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लगी याचिका

दुनिया में सबसे अलग है छत्तीसगढ़ के वन भैंसों की जीन : छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय पशु वन भैंसा है. State Animal Forest Buffalo of Chhattisgarh छत्तीसगढ़ के वन भैसों की जीन दुनिया के अन्य वन भैंसों की तुलना में अलग है. इसका जीन किसी अन्य वन भैंस में नहीं पाया जाता. असम से लाए गए मादा वन भैंसों का जीन अलग है और वहां की मादा और छत्तीसगढ़ के नर वन भैंसों का यदि प्रजनन कराया जाएगा तो जो नई जाति निकलेगी वह जरूरी नहीं है कि विकृत ना हो. दोनों के जीन अलग होने और एटमॉस्फेयर अलग होने की वजह से पैदा होने वाला वन भैंस पर विपरीत प्रभाव से बच्चा विकृत हो सकता है. इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. याचिका के माध्यम से दोनों राज्यों के वन भैंसा के प्रजनन पर रोक लगाने की बात भी कही गई है.

बिलासपुर :छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसों की पूर्ति के लिए असम से 6 वन भैंसों की मांग की गई थी. अप्रैल 2021 में असम से छह में से दो वन भैंस लाए गए, जिन्हें बारनवापारा अभयारण्य के बाड़े में कैद कर रखा गया है. सेवानिवृत्त आईएफएस प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी कौशलेंद्र कुमार सिंह ने प्लान बनाया था कि असम से पांच मादा वन भैंसों को पकड़ कर लाया जाएगा और यहां बंधक बनाकर उनसे प्रजनन कराया जाएगा. वन भैंसा के बच्चे पैदा होंगे तो उनको वनों में छोड़ दिया जाएगा. forest buffalo case

नितिन सिंघवी ने दायर की याचिका: याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी (Nitin Singhvi) ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ''एनटीसीआर के अप्रूवल के बिना भैंसे लाए जा रहे हैं. असम राज्य और छत्तीसगढ़ राज्य का मौसम बिलकुल अलग है. वन भैंसों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा. दोषी वन विभाग के आला अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाए जाने की याचिका में मांग की गई है.''

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दुनिया में सबसे अलग है छत्तीसगढ़ के वन भैंसों की जीन : छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय पशु वन भैंसा है. State Animal Forest Buffalo of Chhattisgarh छत्तीसगढ़ के वन भैसों की जीन दुनिया के अन्य वन भैंसों की तुलना में अलग है. इसका जीन किसी अन्य वन भैंस में नहीं पाया जाता. असम से लाए गए मादा वन भैंसों का जीन अलग है और वहां की मादा और छत्तीसगढ़ के नर वन भैंसों का यदि प्रजनन कराया जाएगा तो जो नई जाति निकलेगी वह जरूरी नहीं है कि विकृत ना हो. दोनों के जीन अलग होने और एटमॉस्फेयर अलग होने की वजह से पैदा होने वाला वन भैंस पर विपरीत प्रभाव से बच्चा विकृत हो सकता है. इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. याचिका के माध्यम से दोनों राज्यों के वन भैंसा के प्रजनन पर रोक लगाने की बात भी कही गई है.

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