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लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर पुलिस दर्ज नहीं कर सकती FIR: हाईकोर्ट - Chhattisgarh high court news

लॉकडाउन के नियम का उल्लंघन करने के आरोप में एक डॉक्टर पर दर्ज किए FIR को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया.

Chhattisgarh High Court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : Oct 14, 2020, 6:54 AM IST

बिलासपुर: लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर FIR दर्ज करने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. लॉकडाउन में घर लौटी डॉक्टर पर कोरोना फैलाने के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया. यह मामला लॉकडाउन के दौरान एक राज्य से दूसरे राज्य वापस लौटने का है.

राजनांदगांव के अंबागढ चौकी की एक डॉक्टर जो दिल्ली में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थी. वह अपने गृहग्राम वापस आई थी. डॉक्टर (2019) से दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. तभी मार्च में अचानक लगे लॉकडाउन से वह दिल्ली में ही फंस गई, जब जून में छत्तीसगढ़ सरकार ने ई-पास की सुविधा शुरू की. तब वह ई-पास लेकर अपने घर लौट आई.

कोरोना पॉजिटिव निकली थी डॉक्टर

अपने घर पहुंचने के बाद उसने अन्य राज्य से आने की सूचना सामुदायिक स्वास्थ केंद्र अम्बागढ़ चौकी और मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को दी थी, लेकिन कलेक्टर के आदेश की जानकारी के अभाव में मुख्य नगर पालिका अधिकारी को यह जानकारी नहीं दी जा सकी और बाद में डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव निकल गई.

ई-पास के जरिए सरकार को रहती है जानकारी

मामले में मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने कलेक्टर के आदेश का उल्लंघन करने के अपराध में डॉक्टर के खिलाफ अन्य राज्य से आने के पश्चात सूचना न देने और कोरोना फैलाने के अपराध में अम्बागढ़ चौकी में FIR दर्ज कराया. डॉक्टर ने इस एफआईआर के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. डॉक्टर की वकील ने तर्क दिया कि संबंधित अधिकारी केवल सक्षम न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कर सकता है. इसके अलावा ई-पास जारी होना स्वयं में यह पुष्टि करता है कि सरकार को अन्य राज्य से आ रहे यात्री की पूर्ण जानकारी है.

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकल पीठ ने डॉक्टर के खिलाफ दर्ज FIR निरस्त करने का आदेश जारी करते हुए याचिका को निराकृत कर दिया.

बिलासपुर: लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर FIR दर्ज करने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. लॉकडाउन में घर लौटी डॉक्टर पर कोरोना फैलाने के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया. यह मामला लॉकडाउन के दौरान एक राज्य से दूसरे राज्य वापस लौटने का है.

राजनांदगांव के अंबागढ चौकी की एक डॉक्टर जो दिल्ली में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थी. वह अपने गृहग्राम वापस आई थी. डॉक्टर (2019) से दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. तभी मार्च में अचानक लगे लॉकडाउन से वह दिल्ली में ही फंस गई, जब जून में छत्तीसगढ़ सरकार ने ई-पास की सुविधा शुरू की. तब वह ई-पास लेकर अपने घर लौट आई.

कोरोना पॉजिटिव निकली थी डॉक्टर

अपने घर पहुंचने के बाद उसने अन्य राज्य से आने की सूचना सामुदायिक स्वास्थ केंद्र अम्बागढ़ चौकी और मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को दी थी, लेकिन कलेक्टर के आदेश की जानकारी के अभाव में मुख्य नगर पालिका अधिकारी को यह जानकारी नहीं दी जा सकी और बाद में डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव निकल गई.

ई-पास के जरिए सरकार को रहती है जानकारी

मामले में मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने कलेक्टर के आदेश का उल्लंघन करने के अपराध में डॉक्टर के खिलाफ अन्य राज्य से आने के पश्चात सूचना न देने और कोरोना फैलाने के अपराध में अम्बागढ़ चौकी में FIR दर्ज कराया. डॉक्टर ने इस एफआईआर के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. डॉक्टर की वकील ने तर्क दिया कि संबंधित अधिकारी केवल सक्षम न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कर सकता है. इसके अलावा ई-पास जारी होना स्वयं में यह पुष्टि करता है कि सरकार को अन्य राज्य से आ रहे यात्री की पूर्ण जानकारी है.

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकल पीठ ने डॉक्टर के खिलाफ दर्ज FIR निरस्त करने का आदेश जारी करते हुए याचिका को निराकृत कर दिया.

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