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शराब दुकानों को बंद कराने के लिए याचिका दायर, हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब

शराब दुकानों को बंद कराने के लिए याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले में शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

bilaspur high court
बिलासपुर हाईकोर्ट
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Published : May 20, 2020, 8:33 PM IST

बिलासपुर : राज्य में शराब दुकानों को बंद कराने के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी. तुषार दीवान की ओर से दायर इस जनहित याचिका में शराब दुकानों को बंद करने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि अगर शराब दुकानों को खोलना ही है तो इस स्थिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय से जारी निर्देश का सही तरीके से पालन किया जाए. याचिकाकर्ता खुद पैरवी कर रहे हैं.

तुषार दीवान ने अपनी याचिका में मांग उठाई है कि जब तक दुकानें खुली हैं, तब तक ग्राहकों के बीच 6 फीट की दूरी बनाकर रखने के लिए कहा जाए. साथ ही उन्होंने होम डिलीवरी के 120 रुपए चार्ज को कम करने की मांग की है. साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के हिसाब से शराब दुकानों के सामने लगने वाली भीड़ को नियंत्रित करने की भी मांग की गई है इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान अन्य दिशा-निर्देशों का हवाला दिया गया है. याचिका में राज्य शासन के निर्देश का भी हवाला दिया गया है, जिसमें मृत्यु पर 20 लोग और शादी में 15 लोग से ज्यादा की अनुमति नहीं है. कहा गया है कि ऐसे में शराब दुकानों के सामने लग रही भीड़ से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ेगा.

'हाई पावर कमेटी का गठन किया जाए'

याचिका में राज्य सरकार के साथ, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव, पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ राज्य बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि एक हाई पावर कमेटी का गठन किया जाए. ये हर दिन शराब दुकानों के सोशल डिस्टेंसिंग की जांच करें. होम डिलीवरी पर शराब पहुंचाने वाले डिलीवरी ब्वॉय को नो फिजिकल कॉन्टेक्ट डिलीवरी की ट्रेनिंग दी जाए. शराब दुकानों के सामने सैनिटाइजेशन टनल लगे. शराब दुकानों के सेल्समेन को ट्रेनिंग के साथ इक्यूपमेंट, ग्लव्स, मास्क भी दिया जाए. साथ ही शराब लेने के लिए महाराष्ट्र के पुणे की तर्ज पर टोकन व्यवस्था शुरू हो.

'शराब दुकानों को बंद करना जरूरी'

याचिका में कहा गया है कि शराब पीना खतरनाक होता है. इसके पीने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी, इसलिए शराब की मात्रा कम दी जाए. साथ ही यह भी कहा कि मध्यमवर्गी परिवार में शराब की खपत ज्यादा होती है, उनके पास जीवनयापन के लिए भी पैसा नहीं हैं. ऐसे में शराब दुकानों पर लोग पैसा ज्यादा खपत करेंगे, इसलिए शराब दुकानों को बंद किया जाना जरूरी है. पूरे मामले पर अब अगले हफ्ते सुनवाई होगी.

बिलासपुर : राज्य में शराब दुकानों को बंद कराने के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी. तुषार दीवान की ओर से दायर इस जनहित याचिका में शराब दुकानों को बंद करने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि अगर शराब दुकानों को खोलना ही है तो इस स्थिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय से जारी निर्देश का सही तरीके से पालन किया जाए. याचिकाकर्ता खुद पैरवी कर रहे हैं.

तुषार दीवान ने अपनी याचिका में मांग उठाई है कि जब तक दुकानें खुली हैं, तब तक ग्राहकों के बीच 6 फीट की दूरी बनाकर रखने के लिए कहा जाए. साथ ही उन्होंने होम डिलीवरी के 120 रुपए चार्ज को कम करने की मांग की है. साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के हिसाब से शराब दुकानों के सामने लगने वाली भीड़ को नियंत्रित करने की भी मांग की गई है इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान अन्य दिशा-निर्देशों का हवाला दिया गया है. याचिका में राज्य शासन के निर्देश का भी हवाला दिया गया है, जिसमें मृत्यु पर 20 लोग और शादी में 15 लोग से ज्यादा की अनुमति नहीं है. कहा गया है कि ऐसे में शराब दुकानों के सामने लग रही भीड़ से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ेगा.

'हाई पावर कमेटी का गठन किया जाए'

याचिका में राज्य सरकार के साथ, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव, पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ राज्य बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि एक हाई पावर कमेटी का गठन किया जाए. ये हर दिन शराब दुकानों के सोशल डिस्टेंसिंग की जांच करें. होम डिलीवरी पर शराब पहुंचाने वाले डिलीवरी ब्वॉय को नो फिजिकल कॉन्टेक्ट डिलीवरी की ट्रेनिंग दी जाए. शराब दुकानों के सामने सैनिटाइजेशन टनल लगे. शराब दुकानों के सेल्समेन को ट्रेनिंग के साथ इक्यूपमेंट, ग्लव्स, मास्क भी दिया जाए. साथ ही शराब लेने के लिए महाराष्ट्र के पुणे की तर्ज पर टोकन व्यवस्था शुरू हो.

'शराब दुकानों को बंद करना जरूरी'

याचिका में कहा गया है कि शराब पीना खतरनाक होता है. इसके पीने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी, इसलिए शराब की मात्रा कम दी जाए. साथ ही यह भी कहा कि मध्यमवर्गी परिवार में शराब की खपत ज्यादा होती है, उनके पास जीवनयापन के लिए भी पैसा नहीं हैं. ऐसे में शराब दुकानों पर लोग पैसा ज्यादा खपत करेंगे, इसलिए शराब दुकानों को बंद किया जाना जरूरी है. पूरे मामले पर अब अगले हफ्ते सुनवाई होगी.

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