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झीरम मामले में राज्य सरकार को झटका, न्यायालय ने शासन की याचिका की खारिज - dismisses petition from High Court

उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. शासन की याचिका में झीरम आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें राज्य शासन के पांच लोगों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था.

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फाइल
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Published : Dec 9, 2019, 8:48 PM IST

Updated : Dec 9, 2019, 11:59 PM IST

बिलासपुर: प्रदेश सरकार को उच्च न्यायालय से झटका लगा है. झीरम आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका उच्च न्यायालय ने सोमवार को खारिज कर दी है. शासन की याचिका में आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें राज्य शासन के पांच लोगों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था. साथ ही मामले में शासन की ओर से एक और आवेदन पेश कर झीरम आयोग के आने वाले फैसले पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी.

फाइल

झीरम घाटी हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता और पुलिस जवानों के मामले में राज्य शासन ने न्यायिक आयोग का गठन किया था. मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल की अध्यक्षता में चल रही थी. आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई. इस दिन शासन के तरफ से पी. सुंदरराज की गवाही हुई. इसके बाद आयोग ने राज्य शासन के तरफ से आए आवेदन जिसमें कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तुलिका कर्मा, डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता और सुरेंद्र शर्मा के गवाही के लिए आवेदन दिया था जिसको आयोग ने निरस्त कर दिया था. साथ ही राज्य शासन के तरफ से गुरिल्लावार स्कूल नक्सली वार फेयर के अधिकारी बीके पोनवार को टेक्निकल एक्सपर्ट के रूप में बुलाए जाने के आवेदन और मौखिक तर्क रखे जाने के आवेदन को भी निरस्त कर दिया था.

राज्य शासन की तरफ से आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की थी.

पढ़ें: महिलाओं को अब खुद करनी चाहिए अपनी सुरक्षा: राज्यपाल अनुसुइया उइके

झीरम हमला
25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर ताबड़तोड़ हमला कर 29 नेताओं और कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया था. इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार को नक्सलियों ने अपना निशाना बनाया था.
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद लगातार झीरम हमला मामले में सरकार नए सिरे से जांच की बात करती रही है.

बिलासपुर: प्रदेश सरकार को उच्च न्यायालय से झटका लगा है. झीरम आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका उच्च न्यायालय ने सोमवार को खारिज कर दी है. शासन की याचिका में आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें राज्य शासन के पांच लोगों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था. साथ ही मामले में शासन की ओर से एक और आवेदन पेश कर झीरम आयोग के आने वाले फैसले पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी.

फाइल

झीरम घाटी हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता और पुलिस जवानों के मामले में राज्य शासन ने न्यायिक आयोग का गठन किया था. मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल की अध्यक्षता में चल रही थी. आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई. इस दिन शासन के तरफ से पी. सुंदरराज की गवाही हुई. इसके बाद आयोग ने राज्य शासन के तरफ से आए आवेदन जिसमें कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तुलिका कर्मा, डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता और सुरेंद्र शर्मा के गवाही के लिए आवेदन दिया था जिसको आयोग ने निरस्त कर दिया था. साथ ही राज्य शासन के तरफ से गुरिल्लावार स्कूल नक्सली वार फेयर के अधिकारी बीके पोनवार को टेक्निकल एक्सपर्ट के रूप में बुलाए जाने के आवेदन और मौखिक तर्क रखे जाने के आवेदन को भी निरस्त कर दिया था.

राज्य शासन की तरफ से आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की थी.

पढ़ें: महिलाओं को अब खुद करनी चाहिए अपनी सुरक्षा: राज्यपाल अनुसुइया उइके

झीरम हमला
25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर ताबड़तोड़ हमला कर 29 नेताओं और कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया था. इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार को नक्सलियों ने अपना निशाना बनाया था.
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद लगातार झीरम हमला मामले में सरकार नए सिरे से जांच की बात करती रही है.

Intro:प्रदेश सरकार को उच्च न्यायालय से लगातार झटके लग रहे हैं ।झीरम आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है।शासन की यचिका में आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी , जिसमें राज्य शासन के पांच लोगों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया था। साथ ही मामले में शासन की ओर से एक और आवेदन पेश कर झीरम आयोग के आने वाले फैसले पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी।।Body:बतादें की झीरम घाटी हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता, पुलिस जवान के मामले में राज्य शासन ने न्यायिक आयोग का गठन किया था। मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल की अध्यक्षता में चल रही थी। आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई। इस दिन शासन के तरफ से पी. सुंदरराज की गवाही हुई। इसके बाद आयोग ने राज्य शासन के तरफ से आए आवेदन जिसमें कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तुलिका कर्मा, डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता व सुरेंद्र शर्मा के गवाही के लिए आवेदन दिया था जिसको आयोग ने निरस्त कर दिया। साथ ही राज्य शासन के तरफ से गुरिल्लावार स्कूल नक्सली वार फेयर के अधिकारी बीके पोनवार को टेक्निकल एक्सपर्ट के रूप में बुलाए जाने के आवेदन और मौखिक तर्क रखे जाने के आवेदन को भी निरस्त कर दिया थाConclusion:राज्य शासन की तरफ से आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की।
Last Updated : Dec 9, 2019, 11:59 PM IST
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