बिलासपुर : छत्तीसगढ़ की न्यायधानी कहलाने वाले बिलासपुर प्रदेश की राजनीति में अहम योगदान रखता है. बिलासपुर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं. इसमें बिल्हा विधानसभा सीट बीजेपी के पास है. बिलासपुर जिले की 6 में से 3 सीट पर बीजेपी का कब्जा है. साल 2018 के चुनाव में बिल्हा विधानसभा सीट से कद्दावर नेता धरमलाल कौशिक ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर कुर्मी, सतनामी, साहू और अन्य पिछड़ा वर्ग बड़ी संख्या में निवास करते हैं. यहां पिछड़ा वर्ग के वोटर का बोलबाला है. जब भी चुनाव होते हैं, तब यहां के मतदाता खुलकर वोट करते हैं. जिसके कारण पिछले चुनाव परिणाम बदल जाते हैं. यही एक फैक्टर बिल्हा सीट को दूसरी सीटों से अलग करता है.
कितने मतदाता और जनसंख्या हैं: बिल्हा विधानसभा में 2023 के मतदाता सूची में कुल 306290 वोटर्स हैं. जिसमें पुरुष 154181 और महिला 152097 हैं. वहीं विधानसभा में 12 थर्ड जेंडर हैं. छत्तीसगढ़ प्रदेश बनने के बाद यहां के मतदाता हर बार अपना विधायक बदल रहे हैं. राज्य निर्माण के समय यहां बीजेपी का कब्जा था.इसके बाद लगातार बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के दो नेता अल्टरनेट जीत दर्ज करते आ रहे हैं.
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में ओवरऑल 76.79 बिल्हा विधानसभा सीट में वोटिंग परसेंटेज 78.79% रहा. इसमें भाजपा धरमलाल कौशिक को 84431 वोट यानी मतदान का 43. फीसदी, कांग्रेस के राजेंद्र शुक्ला को 57.907 वोट और मतदान का 29.00%, जेसीसीजे के सियाराम कौशिक को 29613 वोट यानी मतदान का को 15.00 फीसदी वोट मिले. बिल्हा विधानसभा में चुनाव 2018 में बीजेपी के प्रत्याशी धरमलाल कौशिक ने जीत दर्ज की.
क्या है मुद्दे और समस्याएं ?: ये सीट अविभाजित मध्यप्रदेश में थी, और इस सीट ने भी एक बड़े नेता के रूप में कांग्रेस से अशोक राव को जीत दिलाकर मंत्री पद तक पहुंचाया था. छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहां विकास तो बहुत हुआ लेकिन शहरी क्षेत्र जैसे बोदरी, चकरभाटा, बिल्हा और तिफरा क्षेत्र, मुंगेली जिला के कुछ हिस्सा जैसे पथरिया में विकास की बयार बही, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ठीक इसके विपरित कार्य नहीं के बराबर हुए. ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के साथ ही सड़कों की स्थिति नहीं सुधरी और शासकीय योजनाओं का सही से लाभ लोगों को नहीं मिला. अभी भी कई गांव है जहां बिजली और नाली की समस्या है.
बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण : बिल्हा विधानसभा सीट सामान्य सीट है. यहां करीब 65 से 70 फीसदी पिछड़े और सामान्य जाति की आबादी है. इनमें कुर्मी, साहू, और अन्य सामान्य और पिछड़ा वर्ग के लोग रहते हैं. यहां कुर्मी में कौशिक, पिछड़ा वर्ग साहू, सतनामी, ब्राह्मण और पंजाबी सहित सिंधी समाज के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं. सिंधी समाज का एक बड़ा वर्ग बिल्हा विधानसभा में निवास करता है. इसी तरह मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अब बढ़ रही है. करीब 40 से 70 फीसदी आबादी सामान्य और ओबीसी की है. 25 से 30 फीसदी एससी और कुछ संख्या में एसटी वर्ग है. यानी पार्टियों का फोकस सिंधी और मुस्लिम समाज पर रहता है, क्योंकि ये दोनों ही वर्ग प्रत्याशी को जिताने और हराने में मददगार हैं.
कौन तय करता है जीत और हार : बिल्हा विधानसभा सीट सामान्य है . यहां पिछड़ा वर्ग के साथ ही सामान्य वर्ग के लोग ज्यादा हैं. विधानसभा चुनाव में सिंधी और कुर्मी दोनों समाज के लोग किंगमेकर की भूमिका में रहते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में कुर्मी समाज के दोनों पार्टी के उम्मीदवार थे. इसमें सिंधी और पंजाबी समाज यहां एकतरफा वोटिंग करके बीजेपी को जीत दिलाई थी. लेकिन कांग्रेस में भी दोनों ही समाज के वोट गए. लेकिन बीजेपी ने इस मामले में बाजी मार दी.