बिलासपुर :ऑपरेशन साइबर 2020 अभियान के तहत बिलासपुर पुलिस ने गूगल पर कस्टमर केयर बनकर ठगी करने वाले नाबालिग समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. सभी आरोपियों को झारखंड के देवघर और जामताड़ा से गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों के पास से पुलिस ने एटीएम कार्ड, बैंक खाते, रकम और मोबाइल बरामद किया है. चारों के खिलाफ थाना तारबाहर और सरकंडा में अपराध दर्ज है.
धोखाधड़ी की पहली घटना
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि थाना तारबाहर में प्रियंका देवांगन ने ब्लूडॉट कुरियर सेवा के कस्टमर केयर नंबर (07684976568) को गूगल पर सर्च कर कॉल किया. अज्ञात आरोपी ने एनी डेस्क ऍप डाउनलोड कराया और फोन पे के माध्यम से रकम वापस दिलाने का झांसा देकर 9904 रुपये निकाल लिए. इस मामले की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया.
पढ़ें : सावधान! आपकी गाढ़ी कमाई पर हैकरों की नजर, फ्रॉड से बचाएंगे यह टिप्स
धोखाधड़ी की दूसरी घटना
इसी तरह दूसरे मामले में थाना तारबाहर पहुंचकर गरिमा ने शिकायत दर्ज कराई कि शाइन मोबाइल एप के माध्यम से उसने सामान ऑर्डर किया था. डिलीवरी नहीं होने पर गूगल से कस्टमर केयर का नंबर निकाला. बताए अनुसार उसने रकम रिफंड करने के लिए फोन पे के माध्यम से क्यूआर कोड स्कैन किया. जिसके बाद उसके साथ 31 हजार रुपये की ठगी हो गई.
पढ़ें : रायपुर: आईफोन का लालच पड़ा महंगा, शिक्षक से सवा लाख रुपये की ठगी
धोखाधड़ी की तीसरी घटना
इसके अलावा तीसरा मामला थाना सरकंडा में दर्ज करया गया. प्रार्थी रामचंद्र SBI बैंक खाते का स्टेटमेंट जानने के लिए गूगल से एसबीआई हेल्पलाइन नंबर निकाल कर 9382090518 पर कॉल किया. अज्ञात आरोपियों ने तीन ऑप्शन बोलकर क्विक सपोर्ट, एनी डिस्क, एसएमएस फिल्टर को डाउनलोड कराकर प्रार्थी के खाते से कुल 1 लाख 16 हजार रुपए ट्रांसफर कर लिए. प्रार्थी ने एसबीआई बैंक जाकर जानकारी ली तो धोखाधड़ी का पता चला. लगातार ठगी की बढ़ती शिकायत के बाद पुलिस ने एक टीम बनाई. जिसके बाद मामले में जांच तेज हुई.
72 घंटे में आरोपी सलाखों के पीछे
टीम ने झारखण्ड पहुंचकर प्रमुख क्षेत्रों को चिन्हांकित किया और स्थानीय वेशभूषा में रहते हुए रेकी कर ऑपरेशन साइबर 2020 को अंजाम दिया. संयुक्त टीम ने लगातार 72 घंटे रेकी के बाद करमाटांड जामताड़ा में आरोपी को गिरफ्तार किया. आरोपी को पकड़कर गवाहों के सामने कड़ाई से पूछताछ की गई तो पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अपना अपराध कबूल कर लिया. आरोपियों ने बताया कि विभिन्न फोन नंबर पर खुद को गूगल और अन्य कंपनियों का कस्टमर केयर कर्मचारी बताकर उन्होंने ठगी की वारदात को अंजाम दिया.
भारत में कैसे होती है साइबर ठगी ?
- राहत कार्यों के नाम पर चैरिटी और डोनेशन मांगने के रूप में कई सारी फर्जी वेबसाइटें ऑनलाइन तैयार की गई हैं. ऐसे में इन फेक वेबसाइटों से बचना बेहद जरूरी है. जबतक ऑफिशियल रूप से जांच पड़ताल कर वेबसाइट की जानकारी की सटीक पुष्टि न हो किसी तरह का डोनेशन या दान प्रक्रिया में न फंसे.
- ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी कई फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. ये वेबसाइट ओरिजनल कंपनियों की वेबसाइट जैसी ही दिखती हैं. इन फर्जी वेबसाइट पर दूसरी कंपनियों के मुकाबले बेहद सस्ते में प्रोडक्ट देने का प्रलोभन दिया जाता है.
- पासपोर्ट, लाइसेंस, आधार कार्ड बनाने जैसे दस्तावेजों के लिए भी कई फर्जी वेबसाइटें साइबर हैकर्स द्वारा इंटरनेट पर तैयार की गई हैं. इनसे बचने के लिए सरकारी वेबसाइट और पोर्टल के बारे में पहले सही से जानकारी प्राप्त कर लें. तभी किसी दस्तावेज बनाने के लिए आवेदन करें.
- बैंक कर्मचारी और बैंक कस्टमर केयर के नाम पर भी लोगों से ठगी की जा रही है. ऐसे में बैंक या वॉलेट जैसे अन्य सुविधाओं के लिए संबंधित संस्थानों से आधिकारिक नंबर और ई-मेल प्राप्त करें और उन्हें अपने पास रखें.
साइबर ठगी होने पर क्या करें
- ठगी होने के बाद पीड़ित को तुरंत अपने बैंक में सूचना देकर बैंक खाता ब्लॉक कराना चाहिए, ताकि उस खाते से और अधिक फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन न हो पाए.
- हमेशा अपने बैंक का कस्टमर केयर नंबर अपने पास सेव रखें, ताकि आपातकाल स्थिति में सीधे संपर्क किया जा सके.
- ठगी होने पर पीड़ित को नजदीकी पुलिस और साइबर सेल को घटना की सूचना देनी चाहिए.