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छत्तीसगढ़ में दीपावली पर मां लक्ष्मी को चढ़ाई जाती है धान की बालियां, जानिए इसका धन से क्या है संबंध

Diwali in Chhattisgarh बिलासपुर में दीपावली का बाजार सज चुका है. बाजार में धान की बालियों की काफी डिमांड है. दीपावली के मौके पर मां लक्ष्मी को धान की बालियां चढ़ाकर घर की दीवारों और दरवाजों पर सजा दिया जाता है. कहते हैं कि ऐसा करने से घर में धन धान्य की कभी भी कमी नहीं होती है. Vidhi of Diwali Puja in Chhattisgarh

maa lakshmi decorated with paddy jewelery
मां लक्ष्मी को चढ़ाई जाती है धान की बालियां
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 12, 2023, 7:30 AM IST

Updated : Nov 12, 2023, 9:03 AM IST

मां लक्ष्मी को चढ़ाई जाती है धान की बालियां

बिलासपुर: पूरे देश में इन दिनों दीपावली की बाजार सज चुका है. इस बीच छत्तीसगढ़ में दीपावली पर पटाखे, दिए के साथ ही धान की बालियां भी बिक रहे हैं. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में दीपावली के बाजार में धान की बालियों से दुकान सज चुका है. इन दुकानों में खरीदार भी भारी संख्या में पहुंच रहे हैं. यहां ऐसी मान्यता है कि दीपवली पर मां लक्ष्मी को धान की बालियां चढ़ा कर धन-धान्य से भरे रहने की कामना की जाती है. फिर इन बालियों को घर के दरवाजे पर सजा दिया जाता है.

जानिए क्या है मान्यता: धान का छत्तीसगढ़ में विशेष महत्व रहता है. इसके सजावट के साथ पक्षियों को दाना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से धान की बाली से बने सजावट के समान घरों में दीपावली पर सजाया जाता है. दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को ये बालियां चढ़ाई जाती है. इसका महत्व देवी लक्ष्मी के बराबर माना जाता है. किसान दीपावली के पहले अपने फसल की कटाई करते है और उसकी पूजा करते है. दीपावली में धान की बालियों से बने सजावट के समानों से घरों को सजाकर देवी लक्ष्मी को खुश किया जाता है. माना जाता है कि धन धान्य का मतलब ही धान से होता है. यही कारण है कि इसे खरीदने वाले देवी लक्ष्मी के साथ इन बालियों की पूजा करते है. कई लोग इन बालियों के मां लक्ष्मी को चढ़ाते हैं. फिर उसे घर में सजा देते हैं.

ये है धान की बालियों का महत्व: दीपावली के मौके पर बाजार में सजावटी सामानों की भरमार होती है. इन सामानों में एक ऐसी चीज है, जो छत्तीसगढ़ की पहचान है. छत्तीसगढ़ को पूरे देश में इसी के नाम से जाना जाता है. इसका अपना एक धार्मिक महत्व भी है और इसकी पूजा की जाती है. छत्तीसगढ़ किसानों का प्रदेश है. यही कारण है कि लोग छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते हैं. धान का कटोरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां 80 प्रतिशत किसान धान की फसल करते हैं. धान का अपना धार्मिक महत्व भी है. यही कारण है कि धान की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ की जाती है. किसानों का मानना है कि फसल अच्छी होगी, तो उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी और धान को देवी लक्ष्मी के रूप में मानकर इसकी पूजा की जा रही है.

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जानिए क्या कहते हैं जानकार: इस बारे में छत्तीसगढ़ की परंपराओं के जानकार डॉक्टर सोमनाथ यादव से ईटीवी भारत ने बातचीत की. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, "छत्तीसगढ़ में हमेशा से ही धान का विशेष महत्व रहा है. यहां धान को भगवान के रूप में पूजा जाता है. दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के साथ धान के बालियों की भी पूजा होती है. इसके बाद इसे घर की दीवारों पर लटका दिया जाता है. लोगों का मानना है कि हर चीज में हर एक जीव जंतु का अधिकार होता है और उन्हें उनका अधिकार देना जरूरी है. कहा जाता है कि पक्षियों को धान खिलाकर पुण्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि पक्षियों को धान खिलाने से आने वाली फैसल अच्छी होती है. यह भी मानता है कि पक्षियों को भरपेट खाना मिलता है तो वह अच्छी फसल होने की कामना करते हैं. यही कारण है कि धान की बालियों की पूजा करने के बाद उन्हें घर के दरवाजे पर टांग दिया जाता है."

बिलासपुर के बाजारों में इस समय धान की बाली से बने सजावटी सामानों की बिक्री काफी अधिक हो रही है. इन सामानों की पूजा करने के बाद पक्षियों के खाने के लिए घरों के दरवाजों और दीवारों पर टांग दिया जाता है. ताकि इसे खाकर चिड़ियों का पेट भर जाए. पक्षियों को फसल से उनका हिस्सा देना भी एक मान्यता है.

मां लक्ष्मी को चढ़ाई जाती है धान की बालियां

बिलासपुर: पूरे देश में इन दिनों दीपावली की बाजार सज चुका है. इस बीच छत्तीसगढ़ में दीपावली पर पटाखे, दिए के साथ ही धान की बालियां भी बिक रहे हैं. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में दीपावली के बाजार में धान की बालियों से दुकान सज चुका है. इन दुकानों में खरीदार भी भारी संख्या में पहुंच रहे हैं. यहां ऐसी मान्यता है कि दीपवली पर मां लक्ष्मी को धान की बालियां चढ़ा कर धन-धान्य से भरे रहने की कामना की जाती है. फिर इन बालियों को घर के दरवाजे पर सजा दिया जाता है.

जानिए क्या है मान्यता: धान का छत्तीसगढ़ में विशेष महत्व रहता है. इसके सजावट के साथ पक्षियों को दाना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से धान की बाली से बने सजावट के समान घरों में दीपावली पर सजाया जाता है. दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को ये बालियां चढ़ाई जाती है. इसका महत्व देवी लक्ष्मी के बराबर माना जाता है. किसान दीपावली के पहले अपने फसल की कटाई करते है और उसकी पूजा करते है. दीपावली में धान की बालियों से बने सजावट के समानों से घरों को सजाकर देवी लक्ष्मी को खुश किया जाता है. माना जाता है कि धन धान्य का मतलब ही धान से होता है. यही कारण है कि इसे खरीदने वाले देवी लक्ष्मी के साथ इन बालियों की पूजा करते है. कई लोग इन बालियों के मां लक्ष्मी को चढ़ाते हैं. फिर उसे घर में सजा देते हैं.

ये है धान की बालियों का महत्व: दीपावली के मौके पर बाजार में सजावटी सामानों की भरमार होती है. इन सामानों में एक ऐसी चीज है, जो छत्तीसगढ़ की पहचान है. छत्तीसगढ़ को पूरे देश में इसी के नाम से जाना जाता है. इसका अपना एक धार्मिक महत्व भी है और इसकी पूजा की जाती है. छत्तीसगढ़ किसानों का प्रदेश है. यही कारण है कि लोग छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते हैं. धान का कटोरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां 80 प्रतिशत किसान धान की फसल करते हैं. धान का अपना धार्मिक महत्व भी है. यही कारण है कि धान की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ की जाती है. किसानों का मानना है कि फसल अच्छी होगी, तो उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी और धान को देवी लक्ष्मी के रूप में मानकर इसकी पूजा की जा रही है.

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जानिए क्या कहते हैं जानकार: इस बारे में छत्तीसगढ़ की परंपराओं के जानकार डॉक्टर सोमनाथ यादव से ईटीवी भारत ने बातचीत की. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, "छत्तीसगढ़ में हमेशा से ही धान का विशेष महत्व रहा है. यहां धान को भगवान के रूप में पूजा जाता है. दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के साथ धान के बालियों की भी पूजा होती है. इसके बाद इसे घर की दीवारों पर लटका दिया जाता है. लोगों का मानना है कि हर चीज में हर एक जीव जंतु का अधिकार होता है और उन्हें उनका अधिकार देना जरूरी है. कहा जाता है कि पक्षियों को धान खिलाकर पुण्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि पक्षियों को धान खिलाने से आने वाली फैसल अच्छी होती है. यह भी मानता है कि पक्षियों को भरपेट खाना मिलता है तो वह अच्छी फसल होने की कामना करते हैं. यही कारण है कि धान की बालियों की पूजा करने के बाद उन्हें घर के दरवाजे पर टांग दिया जाता है."

बिलासपुर के बाजारों में इस समय धान की बाली से बने सजावटी सामानों की बिक्री काफी अधिक हो रही है. इन सामानों की पूजा करने के बाद पक्षियों के खाने के लिए घरों के दरवाजों और दीवारों पर टांग दिया जाता है. ताकि इसे खाकर चिड़ियों का पेट भर जाए. पक्षियों को फसल से उनका हिस्सा देना भी एक मान्यता है.

Last Updated : Nov 12, 2023, 9:03 AM IST
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