बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं. 7 नवंबर को पहले चरण का मतदान होगा.जिसमें बस्तर संभाग के साथ दुर्ग संभाग की 8 सीटों पर भी मतदान होगा.लेकिन मतदान से पहले बिलासपुर रेल जोन के अंतर्गत आने वाली कई ट्रेनों को कैंसिल कर दिया गया है. त्यौहारी सीजन में ट्रेनें कैंसिल होने से जहां एक तरफ जनता परेशान है.वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दल इसे चुनावी मुद्दा बनाने में जरा भी पीछे नहीं हटेंगे.रेलवे केंद्र सरकार के अधीन आती है.लिहाजा छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार कहीं ना कहीं अपनी रैलियों में ट्रेनों का जिक्र जरुर करेगी.
बिलासपुर रेल जोन में ट्रेनें कैंसिल होने का असर : SECR रेल जोन चार राज्यों को अपने अंदर समाहित करता है.जिसमें मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओड़िसा आते हैं.इसलिए जब एसईसीआर रेल जोन में जब ट्रेनें कैंसिल होती हैं तो चार राज्यों में आने जाने वाले मुसाफिर सबसे ज्यादा परेशान होते हैं.यदि रेलवे की बात करें तो प्रदेश की ज्यादातर जनता इसी रेल जोन में सफर करती है. लेकिन पिछले कुछ सालों में रेलवे बोर्ड ने पैसेंजर, एक्सप्रेस और सुपराफास्ट ट्रेनों को इसी रेल जोन में कैंसिल किया है.
रायगढ़ से डोंगरगढ़ तक हजारों लोग करते हैं सफर : छत्तीसगढ़ के छोटे स्टेशनों से रोजी मजदूरी और नौकरी करने के लिए बड़े स्टेशनों तक रोजाना सफर करती है. लेकिन अब ट्रेनों की कैंसिलिंग की वजह से उनकी रोजी-रोटी में संकट आ गया है. छत्तीसगढ़ की अधिकांश जनता रायपुर से बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, अंबिकापुर, दुर्ग भिलाई, राजनांदगांव, डोंगरगढ़ बड़े और उनके बीच छोटे स्टेशनों में रोजाना ही आना जाना करते हैं. लेकिन ट्रेन कैंसिलिंग की वजह से जनता अब ट्रेनों में सफर नहीं कर पा रही है.
क्यों नाराज है ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री : ट्रेनें कैंसिल होने से मेहनत मजदूरी और ट्रेन में वेंडर का काम करने वाले काफी परेशान हैं.क्योंकि ट्रेन ही कमाई का जरिया है.ऐसे में ट्रेनें कैंसिल होने से सीधा असर लोगों की कमाई पर पड़ता है.लोगों की नाराजगी इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि जिस लाइन में मेंटनेंस की बात कहकर ट्रेनों को कैंसिल किया जाता है.उन्हीं लाइनों पर मालगाड़ियां फर्राटा भर रहीं हैं.
बीजेपी के लिए कितना नुकसानदायक ? :केंद्र सरकार अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत छत्तीसगढ़ के कई स्टेशनों का कायाकल्प कर रही है. जिसमें रेलवे स्टेशनों को अपग्रेड कर दिया जाएगा.लेकिन कांग्रेस लगातार रद्द हो रही यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों के परिचालन को लेकर जनता को उनका दुख और दर्द याद दिला रही है. इन सभी बातों को लेकर ईटीवी भारत ने आम यात्री और स्टेशन के आसपास व्यवसाय करने वालों से बातचीत की.जिसमें सभी ने अपनी व्यथा बताई.
क्या कहती है जनता ? : ट्रेन में रोजाना सफर करने वाले मोहम्मद रेहान अहमद आजमी ने बताया कि पिछले कुछ साल तक वे रोजाना ही ट्रेनों में सफर करते थे. वह रायपुर काम करने जाते थे, लेकिन कोरोना काल के बाद से यह स्थिति आ गई है कि यदि वह सुबह रायपुर पहुंचते हैं तो शाम के आने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं होता.
''देश में यह कोई पहली सरकार नहीं है. इससे पहले भी कई सरकारें आई हैं लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार ने ट्रेनों का हाल ये कर दिया है कि अब यात्री ट्रेनों में सफर करने पर है तौबा करने लगे हैं और स्टेशन का चेहरा भी नहीं देखना चाहते. आने वाले चुनाव में इसका असर पड़ेगा.क्योंकि केंद्र में बीजेपी की ही सरकार है. '' - मोहम्मद रेहान अहमद,
व्यवसाय पर पड़ा है असर : स्टेशन के पास के होटल व्यवसाय से जुड़े इमरान खान ने कहा कि स्थिति ये हो गई है कि उनका व्यवसाय खत्म होने को आ गया है. पहले ट्रेन चलती थी और एक्सप्रेस के साथ ही पैसेंजर ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री स्टेशन से उतरकर खाना खाने होटल तक पहुंचाने थे, लेकिन जब ट्रेन ही नहीं चल रही है तो यात्री कैसे आएंगे. चुनाव में बीजेपी को नुकसान होगा. इससे पहले कांग्रेस ने रेल रोको आंदोलन किया गया था, उसके बाद भी रेलवे ट्रेनों को कैंसिल कर रही है, वहीं यात्री साई भास्कर ने कहा कि कुछ समय उन्हें आवश्यक कार्यों से बाहर जाना पड़ता था, लेकिन ट्रेनों की कैंसिलिंग की वजह से उन्हें निजी वाहन में जाना मजबूरी हो जाता है और निजी वाहन में जाने से पैसे ज्यादा खर्च होते हैं.
कांग्रेस ने लगाए रेल को लेकर गंभीर आरोप : आपको बता दें कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में पिछले साढ़े तीन साल के दौरान कैंसिल हुई ट्रेनों के आंकड़े जारी करते हुए कहा था कि केंद्र की मोदी सरकार ने जानबूझकर रेलवे को लोगों के इस्तेमाल करने लायक नहीं रहने देना चाहती. केंद्र चाहती है कि रेल से आम जनता का मोह भंग हो जाए ताकि घाटा दिखाकर रेलवे को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जाए.कांग्रेस के मुताबिक केंद्र को जनता की सुविधा से कोई लेना देना नहीं है.वो रेलवे को घाटे में लाकर सिर्फ इसे प्राइवेट हाथों में बेचना चाहती है.
छत्तीसगढ़ में अब तक कितनी ट्रेनें हुईं रद्द : आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस का दावा किया था कि पिछले साढ़े तीन साल में 67 हजार 382 ट्रेनों को रद्द किया गया है. यह जानकारी कांग्रेस ने आरटीआई से जुटाई है. जिसके मुताबिक वर्ष 2020 में 32 हजार 757, वर्ष 2021 में 32 हजार 151, वर्ष 2022 में 2 हजार 474, ओर वर्ष 2023 में (अप्रैल माह तक) 208 ट्रेनें रद्द कर दी गई है.
'' पिछले 20 दिनों में 64 ट्रेनें रद्द की गई हैं .पिछले साढ़े तीन सालों में 64,000 ट्रेनें रद्द हुई हैं. अधिकांश अवसरों पर, उचित स्पष्टीकरण भी नहीं दिया जाता . यात्रियों को बताया जाता है कि यह ट्रैक रखरखाव के कारण है, जबकि कोयला ले जाने वाले अच्छे वैगन एक ही ट्रैक पर चल रहे हैं.'' कुणाल शुक्ला, आरटीआई एक्टिविस्ट
क्या है बीजेपी का जवाब : कांग्रेस के आरोपों को बीजेपी ने एक सिरे से खारिज किया है. बीजेपी के मुताबिक आधुनिकीकरण की वजह से कुछ ट्रेनों का संचालन रोका गया है. लेकिन लोगों को ये भी देखना चाहिए कि केंद्र की अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 938 करोड़ के काम जारी हैं.जहां तक मालगाड़ियों के परिचालन की बात है तो बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए कोल परिवहन बेहद जरुरी है.ऐसा ना होने पर बिजली संयंत्र ठप पड़ जाएंगे.फिर भी रेलवे ट्रेनों के रद्द होने पर वैकल्पिक व्यवस्था कर रहा है. यह हास्यास्पद है कि भूपेश बघेल सरकार और पार्टी ये आरोप तब लगा रही है जब वे अपने कार्यकाल के दौरान सिटी बसें चलाने में भी विफल रहे हैं
ट्रेन कैंसिलेशन पर रेलवे की प्रतिक्रिया : रेलवे के प्रवक्ता के संतोष के मुताबिक 67,000 के आंकड़े में कोविड अवधि के दौरान रद्दीकरण भी शामिल है. जहां सभी प्रकार का परिवहन रुक गया था.इसके बाद बुनियादी ढांचे को जोड़ने के कारण रद्दीकरण आवश्यक हो गया है.हम मौजूदा लाइनों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए कुछ स्थानों पर तीसरी और चौथी लाइनें जोड़ रहे हैं और उन परिचालनों को जारी रखने के लिए ट्रेनों को रद्द करना होगा.
''दुर्ग-नागपुर मार्ग पर, एक तीसरी लाइन बन रही है. रद्दीकरण समय-समय पर होता है लेकिन नियमित आधार पर नहीं, हम इसे वैकल्पिक आधार पर करते हैं.यदि किसी निश्चित मार्ग पर ट्रेनें रद्द कर दी जाती हैं, तो दैनिक ट्रेनों की तुलना में साप्ताहिक ट्रेनों को प्राथमिकता दी जाती है.''- के संतोष, प्रवक्ता रेलवे
चुनाव में कहीं पलट ना जाए बाजी : कहीं ना कहीं ट्रेनें कैंसिल होने का मुद्दा इस चुनाव में अपना असर दिखा सकता है.खासकर वो जगहें जहां पर आने जाने के लिए ट्रेन ही एकमात्र सहारा थी.लेकिन कोरोना काल के बाद पहले ट्रेनों का स्टॉपेज बंद किया गया.और अब आए दिन ट्रेनें कैंसिल करके जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया जा रहा है.