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Bilaspur High Court घरोंदा सेंटर्स में बच्चों की मौत पर हाईकोर्ट में सुनवाई, रिपोर्ट पेश करने कमिश्नरों को मिला अतिरिक्त समय - Hearing in High Court on death of children

Bilaspur High Court करोड़ों के अनुदान के बाद भी एनजीओ में बच्चों की भूख से मौत पर रायपुर की कोपल वाणी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका पर सुनवाई में हाईकोर्ट ने पिछले महीने 11 कोर्ट कमिश्नरों नियुक्त किया था. कोर्ट इस बार हुई सुनवाई में कहा कि सभी कोर्ट कमिश्नरों का नाम काज लिस्ट में भी जारी करे. कुछ कमिश्नरों ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है, बाकी बची हुई रिपोर्ट्स के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है. Bilaspur News

Bilaspur High Court
घरोंदा सेंटर्स में बच्चों की मौत पर हाईकोर्ट में सुनवाई
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 4, 2023, 2:49 PM IST

बिलासपुर : रायपुर के कोपलवाणी मामले में वित्त और समाज कल्याण विभाग के सचिवों के साथ ही मुख्य सचिव ने शपथपत्र पेश करके घरोंदा सेंटर्स बच्चों के बारे में जानकारी दी थी.जिसमें कहा गया था कि तीन साल में शासन ने 9 करोड़ रुपए बच्चों पर खर्च किए हैं. सभी 11 कोर्ट कमिश्नर को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के सभी घरोंदा सेंटरों की जांच करने के बाद रिपोर्ट पेश करने को कहा था. कमिश्नरों में एडवोकेट विवेक श्रीवास्तव, अपूर्व त्रिपाठी, संघर्ष पाण्डेय, सूर्या कंवलकर डांगी, शिवाली दुबे, अदिति सिंघवी, ईश्वर जायसवाल के नाम शामिल हैं. इन सबको शासन और केंद्र की योजनाओं के तहत संचालित घरोंदा सेंटर्स का निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट पेश करने निर्देशित किया गया था.

कोपलवाड़ी ने लगाई थी जनहित याचिका : रायपुर की संस्था कोपलवाणी ने कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें कहा गया था कि पिछले कुछ सालों में एनजीओ की मदद से बच्चों के लिए चलाए जा रही संस्था घरोंदा में बच्चों की भूखमरी से मौत हो रही है. इस मामले में कोर्ट ने शासन से जवाब तलब किया था. जिस पर कोर्ट को बताया गया था कि इन संस्थानों में शासन में 3 सालों में 9 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

8 बच्चों की हुई है मौत : रायपुर स्थित एनजीओ में करोड़ों के शासकीय अनुदान के बावजूद भूखमरी से बच्चों की मौत हुई थी. इस मामले में संस्था कोपलवाणी ने पहले ही राज्य के बड़े प्रशासनिक अफसरों से लिखित शिकायत की थी.जिसके बाद घरोंदा योजना शुरु की गई. इसके तहत पीतांबरा संस्था समेत 4 संस्थाओं को 9 करोड़ 76 लाख रुपए दिए गए थे. इसमें से पीतांबरा और कुछ अन्य संस्थाओं में 2014 से लेकर अब तक अलग-अलग 8 बच्चों की मौत हो चुकी है.

कमिश्नर नियुक्त करके मांगी रिपोर्ट : जानकारी के बाद कोर्ट ने प्रदेश के सभी एनजीओ द्वारा संचालित संस्थाओं के घरौंदा सेंटर्स और बाल आवास में जांच करने कोर्ट ने 11 कोर्ट कमिश्नरों को नियुक्त किया था. प्रदेश के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर, रायगढ़, जगदलपुर जैसे जिलों में चल रहे सेंटर्स की पूरी जांच की गई.जिसके बाद कमिश्नर्स ने अपनी रिपोर्ट तैयार की. लेकिन कुछ लोगों ने अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की है.जिन्होंने कोर्ट से रिपोर्ट के लिए और समय पर देने को अनुरोध किया .जिसे मानकर हाईकोर्ट ने दो सप्ताह का समय दिया है.

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क्या है घरोंदा योजना : घरोंदा योजना निराश्रित नाबालिग और बालिग ऐसे लोगों के लिए शुरू की गई है, जो सेरिब्रल पाल्सी, डीएचडी या ऑटिज्म जैसी बीमारी से ग्रस्त हैं. कई जिलों में घरोंदा सेंटर्स संचालित किए जा रहे हैं. इनमें 18 साल से अधिक उम्र के निराश्रित और नाबालिग बच्चे भी रखे जाते हैं. कोर्ट कमिश्नरों ने इन्हीं सेंटर्स में जाकर पूरा मुआयना किया. इसके बाद यहां रहने वालों की दशा और व्यवस्था के बारे में रिपोर्ट तैयार की है.

बिलासपुर : रायपुर के कोपलवाणी मामले में वित्त और समाज कल्याण विभाग के सचिवों के साथ ही मुख्य सचिव ने शपथपत्र पेश करके घरोंदा सेंटर्स बच्चों के बारे में जानकारी दी थी.जिसमें कहा गया था कि तीन साल में शासन ने 9 करोड़ रुपए बच्चों पर खर्च किए हैं. सभी 11 कोर्ट कमिश्नर को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के सभी घरोंदा सेंटरों की जांच करने के बाद रिपोर्ट पेश करने को कहा था. कमिश्नरों में एडवोकेट विवेक श्रीवास्तव, अपूर्व त्रिपाठी, संघर्ष पाण्डेय, सूर्या कंवलकर डांगी, शिवाली दुबे, अदिति सिंघवी, ईश्वर जायसवाल के नाम शामिल हैं. इन सबको शासन और केंद्र की योजनाओं के तहत संचालित घरोंदा सेंटर्स का निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट पेश करने निर्देशित किया गया था.

कोपलवाड़ी ने लगाई थी जनहित याचिका : रायपुर की संस्था कोपलवाणी ने कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें कहा गया था कि पिछले कुछ सालों में एनजीओ की मदद से बच्चों के लिए चलाए जा रही संस्था घरोंदा में बच्चों की भूखमरी से मौत हो रही है. इस मामले में कोर्ट ने शासन से जवाब तलब किया था. जिस पर कोर्ट को बताया गया था कि इन संस्थानों में शासन में 3 सालों में 9 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

8 बच्चों की हुई है मौत : रायपुर स्थित एनजीओ में करोड़ों के शासकीय अनुदान के बावजूद भूखमरी से बच्चों की मौत हुई थी. इस मामले में संस्था कोपलवाणी ने पहले ही राज्य के बड़े प्रशासनिक अफसरों से लिखित शिकायत की थी.जिसके बाद घरोंदा योजना शुरु की गई. इसके तहत पीतांबरा संस्था समेत 4 संस्थाओं को 9 करोड़ 76 लाख रुपए दिए गए थे. इसमें से पीतांबरा और कुछ अन्य संस्थाओं में 2014 से लेकर अब तक अलग-अलग 8 बच्चों की मौत हो चुकी है.

कमिश्नर नियुक्त करके मांगी रिपोर्ट : जानकारी के बाद कोर्ट ने प्रदेश के सभी एनजीओ द्वारा संचालित संस्थाओं के घरौंदा सेंटर्स और बाल आवास में जांच करने कोर्ट ने 11 कोर्ट कमिश्नरों को नियुक्त किया था. प्रदेश के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर, रायगढ़, जगदलपुर जैसे जिलों में चल रहे सेंटर्स की पूरी जांच की गई.जिसके बाद कमिश्नर्स ने अपनी रिपोर्ट तैयार की. लेकिन कुछ लोगों ने अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की है.जिन्होंने कोर्ट से रिपोर्ट के लिए और समय पर देने को अनुरोध किया .जिसे मानकर हाईकोर्ट ने दो सप्ताह का समय दिया है.

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क्या है घरोंदा योजना : घरोंदा योजना निराश्रित नाबालिग और बालिग ऐसे लोगों के लिए शुरू की गई है, जो सेरिब्रल पाल्सी, डीएचडी या ऑटिज्म जैसी बीमारी से ग्रस्त हैं. कई जिलों में घरोंदा सेंटर्स संचालित किए जा रहे हैं. इनमें 18 साल से अधिक उम्र के निराश्रित और नाबालिग बच्चे भी रखे जाते हैं. कोर्ट कमिश्नरों ने इन्हीं सेंटर्स में जाकर पूरा मुआयना किया. इसके बाद यहां रहने वालों की दशा और व्यवस्था के बारे में रिपोर्ट तैयार की है.

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