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Maa Vaishno Devi Temple In Bilaspur: बिलासपुर के नागोई गांव में विराजी मां वैष्णो देवी, करती हैं सबकी मनोकामना पूरी

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Published : Aug 7, 2023, 10:51 PM IST

Maa Vaishno Devi Temple In Bilaspur बिलासपुर के नागोई गांव में विराजी मां वैष्णों देवी हर किसी की मनोकामना पूरी करती हैं. ये मंदिर शर्मा परिवार ने तैयार किया है. जम्मू के कारीगरों ने मंदिर को आकार दिया. हर दिन यहां 100 से 150 श्रद्धालु पहुंचते हैं.

Maa Vaishno Devi sitting in Nagoi village
नागोई गांव में विराजी मां वैष्णो देवी
नागोई गांव में विराजी मां वैष्णो देवी

बिलासपुर: ये तो आप सभी जानते होंगे कि मां वैष्णो देवी जम्मू में विराजमान हैं. जम्मू के ऊंचे पर्वतों पर मां के भक्त जाकर माता के दर्शन करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि छत्तीसगढ़ में भी मां वैष्णों का दरबार है. जी हां, हम बात कर रहे हैं बिलासपुर के मां वैष्णो देवी मंदिर की. यहां पिण्डी रूप में विराजी मां हर भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं.

बिलासपुर में विराजी मां वैष्णो: बिलासपुर से सात किलोमीटर दूर शहर से सटे नागोई गांव में मां वैष्णो देवी विराजमान हैं. इस मंदिर की खासियत यह है कि ये मंदिर हूबहू वैष्णो देवी मंदिर के तरह है. जिस तरह वहां गुफा में वैष्णो देवी विराजमान हैं. ठीक उसी तरह यहां भी गुफा बनाकर वैष्णो देवी को स्थापित किया गया है.पूरे मंदिर को लगभग 2000 वर्ग फुट में तैयार किया गया है. मंदिर में वैष्णो देवी के पिंडी के साथ ही नवदुर्गा, द्वादश ज्योतिर्लिंग, गणेश, कार्तिक, बजरंगबली के साथ ही भैरव बाबा भी विराजमान हैं.

कटरा से लाई गई है तीनों पिंडी: नागोई गांव के वैष्णो मंदिर में देवी मां की तीनों पिंडियां कटरा से लाई गई है. तीनों पिंडी को देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और मां काली के रूप में विराजमान किया गया है. मंदिर में पिंडियों के ऊपर मां का प्रतीकात्मक मुकुट और छतरी लगाया गया है. पूरे मंदिर को जम्मू के मां वैष्णो मंदिर का रूप दिया गया है. देवी को गुफाओं के बीच स्थापित किया गया है. ताकि यहां आने वाले भक्तो को मंदिर में विराजी वैष्णव देवी के मूल मंदिर का अहसास हो सके.

जम्मू के कारीगर ने तैयार किया मंदिर: बिलासपुर के मां वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण 5 साल पहले शुरू किया गया था. यहां जम्मू कश्मीर के कारीगर आ कर मंदिर निर्माण किए हैं. लगभग 5 साल तक मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा. कुछ ही दिनों में मंदिर की ख्याति इतनी बढ़ गई है कि लोग अब रोजाना यहां आने लगे हैं. मंदिर का हर एक हिस्सा वैष्णो देवी मंदिर के तरह बनाया गया है. ताकि भक्तों को यहां आने पर वैष्णो देवी के मूल मंदिर का एहसास हो सके. यहां भी पहाड़ों के बीच गुफा में देवी मां विराजमान हैं.

देवी मां की तीनों पिंडियां कटरा से लाई गई है. देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और मां काली को पिंडी रूप में स्थापित किया गया है. पिंडियों के ऊपर मां का प्रतीकात्मक मुकुट और छतरी लगाया गया है. पूरे मंदिर को वैष्णो देवी का रूप दिया गया है. कुछ ही दिनों में मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई है. -रामानंद त्रिभुवन शंकर चौबे, मंदिर के पुजारी

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मंदिर में देवी दुर्गा की प्रतिमा है विराजमान: वैष्णो देवी की गुफा के ऊपरी हिस्से में देवी दुर्गा सहित उनके नौ रूपों को प्रतिमा के रूप में स्थापित किया गया है. देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा यहां रोजाना होती है. देवी दुर्गा के नौ रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारी, चंद्रघंटा, कृषमांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धात्रि की प्रतिमा स्थापित की गई है. देवी के नौ रूपों की पूजा यहां रोजाना सुबह-शाम की जाती है.

महादेव के बारह ज्योतिर्लिंग को किया गया स्थापित: मंदिर के एक हिस्से में गणेश प्रतिमा और दूसरे हिस्से में महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं. घृणेश्वर, केदारनाथ, त्रिंबकेश्वर, विश्वेश्वर, नागेश्वर, रामेश्वर, भीमाशंकर, वैद्यनाथ, ओमकारेश्वर, महाकालेश्वर, मल्लिकार्जुन, सोमनाथ यहां स्थापित हैं. सावन के इस महीने में भक्त यहां महादेव के ज्योतिर्लिंग की उपासना और दर्शन करने पहुंच रहे हैं. मंदिर में भैरव बाबा भी स्थापित किए गए हैं.

शर्मा परिवार ने कराया निर्माण: बिलासपुर के शर्मा परिवार ने इस मंदिर का निर्माण करवाया है. शर्मा परिवार की मानें तो कई लोग ऐसे हैं, जो वैष्णो देवी की दुर्गम पहाड़ियों पर चल नहीं पाते.ऐसे लोगों को वैष्णो देवी के दर्शन कराने के लिए ही इस मंदिर का निर्माण कराया गया है.

हर दिन पहुंचते हैं 100-150 श्रद्धालु: कुछ ही दिन मंदिर के निर्माण को हुआ है. इस मंदिर के प्रति लोगों की इतनी आस्था बढ़ गई है कि अब हर दिन यहां तकरीबन 100-150 श्रद्धालु पहुंचते हैं.

नागोई गांव में विराजी मां वैष्णो देवी

बिलासपुर: ये तो आप सभी जानते होंगे कि मां वैष्णो देवी जम्मू में विराजमान हैं. जम्मू के ऊंचे पर्वतों पर मां के भक्त जाकर माता के दर्शन करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि छत्तीसगढ़ में भी मां वैष्णों का दरबार है. जी हां, हम बात कर रहे हैं बिलासपुर के मां वैष्णो देवी मंदिर की. यहां पिण्डी रूप में विराजी मां हर भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं.

बिलासपुर में विराजी मां वैष्णो: बिलासपुर से सात किलोमीटर दूर शहर से सटे नागोई गांव में मां वैष्णो देवी विराजमान हैं. इस मंदिर की खासियत यह है कि ये मंदिर हूबहू वैष्णो देवी मंदिर के तरह है. जिस तरह वहां गुफा में वैष्णो देवी विराजमान हैं. ठीक उसी तरह यहां भी गुफा बनाकर वैष्णो देवी को स्थापित किया गया है.पूरे मंदिर को लगभग 2000 वर्ग फुट में तैयार किया गया है. मंदिर में वैष्णो देवी के पिंडी के साथ ही नवदुर्गा, द्वादश ज्योतिर्लिंग, गणेश, कार्तिक, बजरंगबली के साथ ही भैरव बाबा भी विराजमान हैं.

कटरा से लाई गई है तीनों पिंडी: नागोई गांव के वैष्णो मंदिर में देवी मां की तीनों पिंडियां कटरा से लाई गई है. तीनों पिंडी को देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और मां काली के रूप में विराजमान किया गया है. मंदिर में पिंडियों के ऊपर मां का प्रतीकात्मक मुकुट और छतरी लगाया गया है. पूरे मंदिर को जम्मू के मां वैष्णो मंदिर का रूप दिया गया है. देवी को गुफाओं के बीच स्थापित किया गया है. ताकि यहां आने वाले भक्तो को मंदिर में विराजी वैष्णव देवी के मूल मंदिर का अहसास हो सके.

जम्मू के कारीगर ने तैयार किया मंदिर: बिलासपुर के मां वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण 5 साल पहले शुरू किया गया था. यहां जम्मू कश्मीर के कारीगर आ कर मंदिर निर्माण किए हैं. लगभग 5 साल तक मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा. कुछ ही दिनों में मंदिर की ख्याति इतनी बढ़ गई है कि लोग अब रोजाना यहां आने लगे हैं. मंदिर का हर एक हिस्सा वैष्णो देवी मंदिर के तरह बनाया गया है. ताकि भक्तों को यहां आने पर वैष्णो देवी के मूल मंदिर का एहसास हो सके. यहां भी पहाड़ों के बीच गुफा में देवी मां विराजमान हैं.

देवी मां की तीनों पिंडियां कटरा से लाई गई है. देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और मां काली को पिंडी रूप में स्थापित किया गया है. पिंडियों के ऊपर मां का प्रतीकात्मक मुकुट और छतरी लगाया गया है. पूरे मंदिर को वैष्णो देवी का रूप दिया गया है. कुछ ही दिनों में मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई है. -रामानंद त्रिभुवन शंकर चौबे, मंदिर के पुजारी

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मंदिर में देवी दुर्गा की प्रतिमा है विराजमान: वैष्णो देवी की गुफा के ऊपरी हिस्से में देवी दुर्गा सहित उनके नौ रूपों को प्रतिमा के रूप में स्थापित किया गया है. देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा यहां रोजाना होती है. देवी दुर्गा के नौ रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारी, चंद्रघंटा, कृषमांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धात्रि की प्रतिमा स्थापित की गई है. देवी के नौ रूपों की पूजा यहां रोजाना सुबह-शाम की जाती है.

महादेव के बारह ज्योतिर्लिंग को किया गया स्थापित: मंदिर के एक हिस्से में गणेश प्रतिमा और दूसरे हिस्से में महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं. घृणेश्वर, केदारनाथ, त्रिंबकेश्वर, विश्वेश्वर, नागेश्वर, रामेश्वर, भीमाशंकर, वैद्यनाथ, ओमकारेश्वर, महाकालेश्वर, मल्लिकार्जुन, सोमनाथ यहां स्थापित हैं. सावन के इस महीने में भक्त यहां महादेव के ज्योतिर्लिंग की उपासना और दर्शन करने पहुंच रहे हैं. मंदिर में भैरव बाबा भी स्थापित किए गए हैं.

शर्मा परिवार ने कराया निर्माण: बिलासपुर के शर्मा परिवार ने इस मंदिर का निर्माण करवाया है. शर्मा परिवार की मानें तो कई लोग ऐसे हैं, जो वैष्णो देवी की दुर्गम पहाड़ियों पर चल नहीं पाते.ऐसे लोगों को वैष्णो देवी के दर्शन कराने के लिए ही इस मंदिर का निर्माण कराया गया है.

हर दिन पहुंचते हैं 100-150 श्रद्धालु: कुछ ही दिन मंदिर के निर्माण को हुआ है. इस मंदिर के प्रति लोगों की इतनी आस्था बढ़ गई है कि अब हर दिन यहां तकरीबन 100-150 श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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