बिलासपुर: रायपुर में मंगलवार को फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने वालों के विरोध में नग्न प्रदर्शन किया गया था. इन प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. कई जगहों से एससी एसटी वर्ग के लोगों ने प्रदर्शनकारियों को रिहा करने की मांग की है. साथ ही फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वालों को बर्खास्त करने की डिमांड की है. बिलासपुर में भी एससी एसटी समाज ने प्रदर्शनकारियों के रिहाई की मांग की है.
25 माह बीत जाने पर भी नहीं हुई कोई कार्रवाई: शुक्रवार को बिलासपुर में संयुक्त प्रेसवार्ता कर एसटी एससी समाज ने प्रदर्शनकारियों के निशर्त रिहाई की मांग की है. दरअसल, सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने दिसंबर 2020 में पत्र जारी किया था. संबंधित विभाग को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे 267 लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था. लेकिन आदेश के 25 माह बीत जाने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है. यही कारण है कि समाज के बेरोजगारों को रोजगार दिलाने को समाज के लोगों ने नग्न प्रदर्शन किया था.
निशर्त रिहाई की मांग: समाज की मानें तो फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी करने वाले चिन्ह अंकित 267 लोगों को नौकरी से बेदखल कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग एससीएसटी समाज कर रहा है. लगातार समाज की ओर से मांग की जा रही है. बावजूद इसके राज्य सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. मजबूरन समाज के लोगों को नग्न प्रदर्शन करने पर बाध्य होना पड़ा. शुक्रवार को एससी एसटी समाज ने संयुक्त रूप से बिलासपुर में पत्रकार वार्ता कर रायपुर में नग्न प्रदर्शन करने वाले अपने साथियों को निशर्त रिहा करने की मांग की है.
उग्र आंदोलन की चेतावनी: समाज का आरोप है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारी युवाओं की बर्बरता से पिटाई की है. साथ ही उन्हें जेल में बंद कर दिया है. प्रदर्शनकारियों पर लोक सेवक पर हमला करने जैसी झूठी धारा भी लगाकर आंदोलन को कुचलने की कोशिश की जा रही है. समाज ने मांग की है कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रहे लोगों पर तत्काल कार्रवाई हो. साथ ही प्रदर्शन करने वाले गिरफ्तार निर्दोष युवाओं की निशर्त रिहाई हो. समाज ने मांग पूरी न होने पर आगे उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.