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Arpa River Accident: महज इत्तेफाक नहीं है अरपा नदी की दुर्घटना, परंपरा और सिस्टम की लाचारी ने ली तीन बहनों की जान - हरेली तिहार

Arpa River Accident छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व हरेली सोमवार को पूरे प्रदेश में धूमधाम और परंपरागत ढंग से मनाया गया. हरेली त्यौहार के दिन बिलासपुर के सेंदरी गांव का एक परिवार शोक में डूब गया. हरेली पर्व उनके जीवन में खुशियां लाने की बजाए दुखों का पहाड़ तोड़ गया. अरपा नदी में डूबने से तीन बहनों की मौत ने पूरे इलाके के हिलाकर रख दिया. ये दुर्घटना महज इत्तेफाक नहीं कही जा सकती. इसके पीछे परंपरा निभाने की मजबूरी और रेत माफियाओं के खिलाफ सिस्टम की लाचारी भी है.

Arpa River Accident
सिस्टम की लाचारी ने ली तीन बहनों की जान
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Published : Jul 18, 2023, 11:13 PM IST

सिस्टम की लाचारी ने ली तीन बहनों की जान

बिलासपुर: सेंदरी गांव में हर साल की तरह इस साल भी पूरा गांव हरेली पर्व को मनाने और इसकी परंपरा को निभाने की तैयारी में जुटा था. तभी अचानक लोगों को जानकारी मिली कि एक ही परिवार की तीन बहनों की नदी में डूबने से मौत हो गई. तीनों बहनें नदी के उस हिस्से में नहाते हुए पहुंच गईं, जो लगभग 20 फीट गहरा था. यही वजह है कि तीनों बहन खुद को संभाल नहीं पाईं और नदी में डूबने से तीनों की जान चली गई. परंपरा निभाने की मजबूरी के साथ ही सरकारी सिस्टम की लापरवाही और कमजोरी ने एक हंसते खेलते परिवार की खुशियां उजाड़ दी.

डूब रही थीं पांच बहनें, दो बचीं: तीनों लड़कियां पटेल परिवार के दो भाइयों की बेटी थीं. बड़े भाई नंद कुमार पटेल की एक बेटी 11 साल की धनेश्वरी पटेल और छोटे भाई सुशील पटेल की दो बेटी 18 साल की पूजा और 13 साल की ऋतु पटेल की मौत हुई है. पटेल परिवार के दोनों भाइयों की पांच बेटियां हरेली पर्व के दिन नदी में नहाने गईं और पांचों नहाते वक्त डूबने लगीं. आसपास के लोगों ने दो बच्चियों को डूबने से बचा लिया, लेकिन तीन की इस हादसे में मौत हो गई.

Arpa River Accident
सिस्टम की लाचारी ने ली तीन बहनों की जान

हरेली के दिन इस वजह से नदी में नहाने गईं लड़कियां: हरेली तिहार छ्त्तीसगढ़ का सबसे पहला पर्व होता है. इस दिन किसान हल और दूसरे कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं. सेंदरी गांव में वर्षों से यह परंपरा रही है कि यहां पानी की टंकी में पानी सप्लाई के लिए लगे बोरिंग पंप की पूजा करने के बाद ही पानी की सप्लाई शुरू की जाती है. इसके बाद ही पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है. सोमवार के दिन हरेली पर्व होने की वजह से बोरिंग पंप स्टार्ट नहीं किया गया था. लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंचा. यही वजह है कि घर में पानी न होने की वजह से पटेल परिवार की 5 लड़कियां नदी नहाने चली गईं और उनके साथ यह हादसा हो गया.

खेती किसानी से ही होता है परिवार का गुजर बशर: पटेल परिवार खेती किसानी का काम करता है. इसी से उनका परिवार चलता है. मरने वालो में दो सगी बहन थी और एक चचेरी बहन. नंदकुमार पटेल और सुशील पटेल एक ही घर में रहते हैं. बड़े भाई नंद कुमार पटेल की 4 बेटियां और एक बेटा है. वहीं छोटे भाई सुशील पटेल की तीन बेटियां और दो बेटे हैं. अब इनका परिवार अधूरा हो गया है. परिवार पहले से ही काफी गरीब था, उस पर दोनों भाइयों के पांच–पांच बच्चे. जैसे तैसे इनका परिवार रोजी मजदूरी और खेती किसानी का काम कर अपना पालन पोषण कर रहा था. अब परिवार की तीन बच्चियों के जाने के बाद इन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. बच्चियां पढ़ाई में काफी तेज थी और बड़ी लड़की पूजा कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी.

सिस्टम की लाचारी या भ्रष्टाचार: गांव में ज्यादातर लोगों ने बताया कि जिस जगह बच्चियां नहाने गई थी, वहां से अवैध उत्खनन करने वाले रात में देर तक रेत का अवैध उत्खनन करते हैं. दिन में यह काम बंद रहता है. अवैध खनन की वजह से अरपा नदी के उस हिस्से में 20 फीट का गड्ढा हो गया था, जिसमें तीनों बहनों की डूबने से मौत हुई. गांव वाले लगातार अवैध रेत उत्खनन की शिकायत शासन प्रशासन तक पहुंचाते रहे, बावजूद इसके माइनिंग डिपार्टमेंट के साथ ही पूरा सिस्टम इस अवैध उत्खनन को नहीं रोक पाया.

रसूखदार लोग कराते हैं रेत खनन, इसलिए प्रशासन मौन: नाम नहीं बताने की शर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि या तो पूरा सिस्टम भ्रष्ट हो गया है या फिर नेताओं की शह पर होने वाले इस अवैध उत्खनन को रोकने कोई भी सामने नहीं आना चाहता. ग्रामीणों का कहना है कि अवैध उत्खनन ऊंची पहुंच वाले रसूखदार लोग कराते हैं, जिनके सामने ना तो किसी की हिम्मत होती है बोलने की और ना ही कार्रवाई के लिए कोई शिकायत कर पाता है. इनके खिलाफ आवाज उठाने वालों की आवाज दबाने की कोशिश की जाती है. मारपीट के साथ ही उनके पूरे परिवार का गांव में रहने रहना मुहाल कर दिया जाता है. यही वजह है कि कोई भी इन रसूखदारों के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल पाता.

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अवैध रेत उत्खनन रोकने मृतक का परिवार कर रहा मांग: सेंदरी गांव के हादसे में मृत बच्चियों के परिवार वालों ने बताया कि यहां रोजाना रात में रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है. रेत उत्खनन के दौरान बड़ी-बड़ी गाड़ियों से रेत निकाला जाता है और जो भी इनके खिलाफ बोलता है उन्हें वह परेशान करने लगते हैं. आज उनकी बच्चियों की जो मौत हुई है वह अवैध उत्खनन की वजह से हुई है. क्योंकि उनकी बच्चियां बचपन से नदी में नहाने जाया करती थीं और उन्हें अच्छी तरह से स्विमिंग भी आती थी. लेकिन उत्खनन की वजह से हुए गहरे गड्ढे में उनकी बच्चियां फंस गईं. इसलिए उनकी मौत हो गई. परिवार ने कहा कि अवैध उत्खनन बंद हो जाएगा तो जो हादसा उनके परिवार के साथ हुआ वह किसी और के साथ नहीं होगा. इसलिए उनकी मांग है कि रेत का अवैध उत्खनन बंद कराया जाए.


तीन मौत से गांव में पसरा सन्नाटा, बाजार भी रहे बंद: एक दिन पहले हुए इतने बड़े हादसे की वजह से पूरे गांव में दहशत का माहौल है. पूरा गांव शोक की लहर में डूब गया है. गांव की गलियां सूनी पड़ी रही और बाजार भी बंद रहे. ग्रामीण अशोक कुमार भोई ने अवैध उत्खनन और बच्चियों की मौत को लेकर अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए बताया कि पूरा गांव बच्चों के साथ हुए घटना से सहमा हुआ है. लोग स्वत स्फूर्त अपनी दुकानें बंद किए हुए हैं. लोगों की मांग है कि बच्चियों के साथ हुए हादसे का इंसाफ उसके माता पिता को मिलना चाहिए. जो भी अवैध उत्खनन करता है उसके खिलाफ पुलिस कड़ी कार्रवाई करें ताकि किसी और के परिवार के साथ ऐसा हादसा ना हो.

तीन मौतों ने गांववालों को हिलाकर रख दिया है. क्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन को लेकर भी लोग मुखर हुए हैं. मांग भी की जा रही है. अब देखना ये हैं कि माइनिंग विभाग और जिला प्रशासन रेत का अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ एक्शन कब तक ले पाते हैं.

सिस्टम की लाचारी ने ली तीन बहनों की जान

बिलासपुर: सेंदरी गांव में हर साल की तरह इस साल भी पूरा गांव हरेली पर्व को मनाने और इसकी परंपरा को निभाने की तैयारी में जुटा था. तभी अचानक लोगों को जानकारी मिली कि एक ही परिवार की तीन बहनों की नदी में डूबने से मौत हो गई. तीनों बहनें नदी के उस हिस्से में नहाते हुए पहुंच गईं, जो लगभग 20 फीट गहरा था. यही वजह है कि तीनों बहन खुद को संभाल नहीं पाईं और नदी में डूबने से तीनों की जान चली गई. परंपरा निभाने की मजबूरी के साथ ही सरकारी सिस्टम की लापरवाही और कमजोरी ने एक हंसते खेलते परिवार की खुशियां उजाड़ दी.

डूब रही थीं पांच बहनें, दो बचीं: तीनों लड़कियां पटेल परिवार के दो भाइयों की बेटी थीं. बड़े भाई नंद कुमार पटेल की एक बेटी 11 साल की धनेश्वरी पटेल और छोटे भाई सुशील पटेल की दो बेटी 18 साल की पूजा और 13 साल की ऋतु पटेल की मौत हुई है. पटेल परिवार के दोनों भाइयों की पांच बेटियां हरेली पर्व के दिन नदी में नहाने गईं और पांचों नहाते वक्त डूबने लगीं. आसपास के लोगों ने दो बच्चियों को डूबने से बचा लिया, लेकिन तीन की इस हादसे में मौत हो गई.

Arpa River Accident
सिस्टम की लाचारी ने ली तीन बहनों की जान

हरेली के दिन इस वजह से नदी में नहाने गईं लड़कियां: हरेली तिहार छ्त्तीसगढ़ का सबसे पहला पर्व होता है. इस दिन किसान हल और दूसरे कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं. सेंदरी गांव में वर्षों से यह परंपरा रही है कि यहां पानी की टंकी में पानी सप्लाई के लिए लगे बोरिंग पंप की पूजा करने के बाद ही पानी की सप्लाई शुरू की जाती है. इसके बाद ही पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है. सोमवार के दिन हरेली पर्व होने की वजह से बोरिंग पंप स्टार्ट नहीं किया गया था. लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंचा. यही वजह है कि घर में पानी न होने की वजह से पटेल परिवार की 5 लड़कियां नदी नहाने चली गईं और उनके साथ यह हादसा हो गया.

खेती किसानी से ही होता है परिवार का गुजर बशर: पटेल परिवार खेती किसानी का काम करता है. इसी से उनका परिवार चलता है. मरने वालो में दो सगी बहन थी और एक चचेरी बहन. नंदकुमार पटेल और सुशील पटेल एक ही घर में रहते हैं. बड़े भाई नंद कुमार पटेल की 4 बेटियां और एक बेटा है. वहीं छोटे भाई सुशील पटेल की तीन बेटियां और दो बेटे हैं. अब इनका परिवार अधूरा हो गया है. परिवार पहले से ही काफी गरीब था, उस पर दोनों भाइयों के पांच–पांच बच्चे. जैसे तैसे इनका परिवार रोजी मजदूरी और खेती किसानी का काम कर अपना पालन पोषण कर रहा था. अब परिवार की तीन बच्चियों के जाने के बाद इन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. बच्चियां पढ़ाई में काफी तेज थी और बड़ी लड़की पूजा कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी.

सिस्टम की लाचारी या भ्रष्टाचार: गांव में ज्यादातर लोगों ने बताया कि जिस जगह बच्चियां नहाने गई थी, वहां से अवैध उत्खनन करने वाले रात में देर तक रेत का अवैध उत्खनन करते हैं. दिन में यह काम बंद रहता है. अवैध खनन की वजह से अरपा नदी के उस हिस्से में 20 फीट का गड्ढा हो गया था, जिसमें तीनों बहनों की डूबने से मौत हुई. गांव वाले लगातार अवैध रेत उत्खनन की शिकायत शासन प्रशासन तक पहुंचाते रहे, बावजूद इसके माइनिंग डिपार्टमेंट के साथ ही पूरा सिस्टम इस अवैध उत्खनन को नहीं रोक पाया.

रसूखदार लोग कराते हैं रेत खनन, इसलिए प्रशासन मौन: नाम नहीं बताने की शर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि या तो पूरा सिस्टम भ्रष्ट हो गया है या फिर नेताओं की शह पर होने वाले इस अवैध उत्खनन को रोकने कोई भी सामने नहीं आना चाहता. ग्रामीणों का कहना है कि अवैध उत्खनन ऊंची पहुंच वाले रसूखदार लोग कराते हैं, जिनके सामने ना तो किसी की हिम्मत होती है बोलने की और ना ही कार्रवाई के लिए कोई शिकायत कर पाता है. इनके खिलाफ आवाज उठाने वालों की आवाज दबाने की कोशिश की जाती है. मारपीट के साथ ही उनके पूरे परिवार का गांव में रहने रहना मुहाल कर दिया जाता है. यही वजह है कि कोई भी इन रसूखदारों के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल पाता.

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तीन मौत से गांव में पसरा सन्नाटा, बाजार भी रहे बंद: एक दिन पहले हुए इतने बड़े हादसे की वजह से पूरे गांव में दहशत का माहौल है. पूरा गांव शोक की लहर में डूब गया है. गांव की गलियां सूनी पड़ी रही और बाजार भी बंद रहे. ग्रामीण अशोक कुमार भोई ने अवैध उत्खनन और बच्चियों की मौत को लेकर अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए बताया कि पूरा गांव बच्चों के साथ हुए घटना से सहमा हुआ है. लोग स्वत स्फूर्त अपनी दुकानें बंद किए हुए हैं. लोगों की मांग है कि बच्चियों के साथ हुए हादसे का इंसाफ उसके माता पिता को मिलना चाहिए. जो भी अवैध उत्खनन करता है उसके खिलाफ पुलिस कड़ी कार्रवाई करें ताकि किसी और के परिवार के साथ ऐसा हादसा ना हो.

तीन मौतों ने गांववालों को हिलाकर रख दिया है. क्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन को लेकर भी लोग मुखर हुए हैं. मांग भी की जा रही है. अब देखना ये हैं कि माइनिंग विभाग और जिला प्रशासन रेत का अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ एक्शन कब तक ले पाते हैं.

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