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Govardhan Puja 2022 : बिलासपुर आईजी रतनलाल डांगी ने की गोवर्धन पूजा

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Published : Oct 26, 2022, 6:25 PM IST

Govardhan Puja 2022 गोवर्धन पूजा देश भर में बडे़ धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में बिलासपुर आईजी रतन लाल डांगी ने अपने गौशाला में परिवार सहित गाय की पूजा अर्चना किया.इस दौरान बिलासपुर आईजी रतन लाल डांगी ने अपनी पत्नी और बेटे के साथ गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौ माता की पूजा की.

Bilaspur IG Ratanlal Dangi
बिलासपुर आईजी रतनलाल डांगी ने की गोवर्धन पूजा

बिलासपुर: आईजी रतनलाल डांगी (Bilaspur IG Ratanlal Dangi) ने सपरिवार गोवर्धन पूजा की.इस अवसर पर उन्होंने कहा की गोवर्धन पूजा बृज में स्थित गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी है. इस कारण हर वर्ष गोवर्धन पूजा की जाती है. Govardhan Puja 2022

क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व : बता दें कि एक बार बृज में बहुत अधिक वर्षा होने के कारण गांव वासी परेशान हो गए थे. तब भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था.पर्वत के नीचे सभी बृजवासी,पशु-पक्षी जीवन की रक्षा हेतु शरण में आ गए थे.उसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की परंपरा की शुरूआत हुई.गोवर्धन पूजा के दिन को मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की पूजा और गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाने के लिए ख़ास माना जाता है. इस दिन लोग गाय के गोबर से बने पर्वत की पूजा तो करते ही हैं और भगवान् कृष्ण को अन्नकूट का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है.

वही आईजी ने ये भी बताया कि गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन की जाती है.लेकिन इस साल सूर्य ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद किया गया है.मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त श्रद्धा भाव से पूजन करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. वहीं ऐसी मान्यता है कि पूजा के दौरान कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए, जिससे घर की समृद्धि बनी रहे.

बिलासपुर: आईजी रतनलाल डांगी (Bilaspur IG Ratanlal Dangi) ने सपरिवार गोवर्धन पूजा की.इस अवसर पर उन्होंने कहा की गोवर्धन पूजा बृज में स्थित गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी है. इस कारण हर वर्ष गोवर्धन पूजा की जाती है. Govardhan Puja 2022

क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व : बता दें कि एक बार बृज में बहुत अधिक वर्षा होने के कारण गांव वासी परेशान हो गए थे. तब भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था.पर्वत के नीचे सभी बृजवासी,पशु-पक्षी जीवन की रक्षा हेतु शरण में आ गए थे.उसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की परंपरा की शुरूआत हुई.गोवर्धन पूजा के दिन को मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की पूजा और गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाने के लिए ख़ास माना जाता है. इस दिन लोग गाय के गोबर से बने पर्वत की पूजा तो करते ही हैं और भगवान् कृष्ण को अन्नकूट का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है.

वही आईजी ने ये भी बताया कि गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन की जाती है.लेकिन इस साल सूर्य ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद किया गया है.मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त श्रद्धा भाव से पूजन करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. वहीं ऐसी मान्यता है कि पूजा के दौरान कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए, जिससे घर की समृद्धि बनी रहे.

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