बिलासपुर: पूरा मामला डिप्टी कलेक्टर के सीनियरिटी से जुड़ा हुआ है. सीनियरिटी नहीं दिए जाने को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. कोर्ट में रिट याचिका दायर करने के बाद हुए फैसले में याचिकर्ता को चार माह के अंदर सीनियरिटी देना था. पूरा मामला 2016 का है.
यह है पूरा मामला: महासमुन्द के शंकरलाल सिन्हा, वर्तमान में डिप्टी के कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं. तहसीलदार के पद पर पदस्थापना के दौरान शंकरलाल सिन्हा के बैच के अन्य तहसीलदारों को वर्ष 2016 में डिप्टी कलेक्टर पद पर प्रमोशन प्रदान कर दिया गया. लेकिन शंकरलाल के विरूद्ध एक विभागीय जांच लंबित होने के कारण उन्हें डिप्टी कलेक्टर के पद पर प्रमोशन प्रदान नहीं किया गया. वर्ष 2018 में सचिव, राजस्व विभाग ने शंकरलाल को विभागीय जांच में पूर्ण रूप से दोषमुक्त कर दिया. वर्ष 2016 से डिप्टी कलेक्टर पद पर सीनियरिटी के लिए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की.
कोर्ट ने शंकरलाल की याचिका को स्वीकार कर चार माह के अंदर वर्ष 2016 से डिप्टी कलेक्टर पद की सीनियरिटी देने का आदेश दिया. आदेश पर कार्रवाई नहीं करने की वजह से कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई. जिसके बाद यकचिककर्ता ने एडवोकेट अभिषेक पाण्डेय, घनश्याम शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर में अवमानना याचिका दायर की. 24 अगस्त 2022 को कोर्ट ने सचिव-सामान्य प्रशासन, सचिव-राजस्व को नोटिस जारी किया.
अंतिम सुनवाई में कोर्ट ने जारी किया वारंट: मामले की अंतिम बार हुई सुनवाई में कोर्ट ने आईएएस अफसर जो अभी सचिव-सामान्य प्रशासन, सचिव-राजस्व विभाग में पदस्थ है. उन्हें वारंट जारी किया है. कोर्ट ने दोनों सचिव को 25-25 हजार का जमानती वारंट जारी किया है. कोर्ट ने मामले में कड़ी नाराज़गी जाहिर करते हुए अधिकारियों द्वारा लगातार हाईकोर्ट के आदेशों की नाफरमानी पर घोर चिन्ता जताई. अधिकारियों को 24 मार्च तक कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया गया है.