बिलासपुर: हाईवे पर टोल टैक्स वसूली और सुविधाओं का मामला अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(NHAI) से पूछा है कि वह किस नियम के तहत टोल नाके राज्य में बनवा रहा है. हाईकोर्ट ने आगे पूछा है की टोल टैक्स वसूलने के एवज में एनएचएआई लोगों को कौन सी सर्विस दे रहा है.
याचिकाकर्ता अहमद शकील ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने कहा है की एनएचएआई राजनांदगांव से ठाकुर टोला के बीच टोल प्लाजा बनवा रहा है. इससे 30 किलोमीटर पहले अंगोरा में भी एक टोल नाका पहले से बना हुआ है, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत दो टोल नाकों के बीच की दूरी कम से कम 60 किलोमीटर होनी चाहिए.
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राज्य सरकार को नोटिस जारी
याचिका में यह भी कहा गया कि एनएचआई ऐसी कौन सी सर्विस दी जा रही है जिसके तहत टोल वसूला जा रहा है. पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब तलब किया है.
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भिलाई नगर निगम के आधिपत्य की 1248 भूखंडों की बिक्री की अनुमति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. निगम के पार्षद ने भूखंड विक्रय के लिए राज्य शासन से मिली अनुमति को नियम के खिलाफ बताते हुए जनहित याचिका दायर की है. इसमें आरोप लगाया है कि निगम जिस तरीके से जमीन की बिक्री कर रहा है उससे निगम को काफी ज्यादा आर्थिक नुकसान होगा. उन्होंने महापौर पर कार्यकाल के अंतिम समय में नियम के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है.
अवैधानिक तरीके से बेची जा रही जमीन
याचिकाकर्ता जोन-1 के अध्यक्ष और पार्षद भोजराज सिन्हा ने बताया कि साल 1978 से जिन भूखंडों पर निगम का कब्जा रहा है, उन भूखंडों की बिक्री के लिए महापौर ने गलत तरीके से राज्य शासन से अनुमति ली है. उन्होंने बताया कि सामान्य सभा में इसकी अनुमति ली जानी थी, लेकिन महापौर ने निगम आयुक्त से पत्राचार कराकर राज्य शासन से अनुमति ले ली. जिन 1248 भूखंडों की बिक्री की जा रही है, उनकी कीमत करीब 300 करोड़ रुपये है.