बिलासपुर: न्यायधानी के नाम से भी बिलासपुर शहर को जाना जाता है. यहां पर प्रदेश का हाईकोर्ट है. यहीं से कानूनी दांव पेंच की सारी कवायद होती है. कोर्ट परिसर में युवा से लेकर वरिष्ठ अधिवक्ताओं की पूरी फौज है. इस वक्त प्रदेश के युवाओं में वकालत की पढ़ाई करने को लेकर जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है.
वकालत में ही करियर क्यों: आम से लेकर खास तक को कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है. हर किसी को कोर्ट के फैसले पर भरोसा है. कोर्ट तक पहुंचने के लिए वकील को जरिया बनाना पड़ता है. वकील वही बनता है जो कानून का जानकार है. वकील बनने के लिए कानून की पढ़ाई जरूरी है. पढ़ाई के बाद प्रैक्टिस भी. एक तरह से ये सेवा भी है और आमदनी का जरिया भी.
काले कोर्ट का युवाओं में जबरदस्त क्रेज: बिलासपुर जिला कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले रितेश कुमार और अनिल राजपूत युवा हैं. इन्होंने वकालत को ही करियर के रूप में चुना है. इन दोनों का कहना है कि, पढ़ाई के बाद किसी एक प्रोफेशन में जाना चाहते थे, सभी प्रोफेशन के बारे में इन्होंने जानकारी ली. लेकिन जब फैसला लेने की बारी आयी तो इन्होंने वकालत को ही चुना. इनकी नजर में वकालत सबसे अच्छा प्रोफेशन है. दोनों कहते हैं कि, ये प्रोफेशन ही नहीं सेवा भी है, जिसमे समाज और देश दोनों शामिल है.
बदल रहा है युवाओं का शौक: जिला कोर्ट में काम करने वाले एक वकील की माने तो किसी जमाने में इंजीनियरिंग करने का युवाओं में जबरदस्त क्रेज था. लेकिन अब इसमें बदलाव आया है. युवा वकालत पेशा की ओर करियर बनाने की सोच रहे हैं. इस पेशा की सबसे अच्छी बात ये है कि, वकालत के लिए अलग से एग्जाम पास नहीं करना होता, बल्कि लॉ कॉलेज में एडमिशन लेकर आप पढ़ाई करिये फिर पढ़ाई पूरी होने के बाद कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दीजिए. प्रैक्टिस के लिए कोई टेस्ट नहीं देना है और न ही कोई फिजिकल फिटनेस का प्रमाण पत्र. एक वरिष्ठ वकील कहते हैं कि, वकालत कोई खेल नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का काम होता है. आपकी एक गलती किसी की जिंदगी खराब कर सकती है, उसका सबकुछ खत्म हो सकता है.
बिलासपुर का वकालत से नाता: कहा जाता है कि सभ्यता की शुरुआत से ही इस शहर में अदालत लगती रही है. पहले गांव में मुखिया और कुटुंब अदालत लगाते थे. फिर राजा महाराजा और फिर विकास हुआ तो संविधान के मुताबिक काम शुरू हुआ.