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छत्तीसगढ़ में सहायक प्राध्यापकों के लिए बड़ी खुशखबरी, आय में इजाफा होगा

Bilaspur High Court order For assistant professors: बिलासपुर हाईकोर्ट ने सहायक प्राध्यापकों को 50 फीसद एरियर्स देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर कोर्ट ने 6 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

assistant professors will get 50 percent arrears
अब सहायक प्राध्यापकों को मिलेगा 50 फीसद एरियर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 27, 2023, 6:19 PM IST

Updated : Nov 27, 2023, 6:25 PM IST

बिलासपुर: बिलासपुर हाईकोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट के फैसले का आधार पर अब सहायक प्रध्यापकों को 50 फीसद एरियर्स मिलेगा. हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब असिस्टेंट प्रोफेसर के चेहरे पर मुस्कान आ गई है.

दरअसल, हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने 160 असिस्टेंट प्रोफेसर को ग्रेड पे का लाभ नहीं देने पर राज्य शासन को अंतरिम राहत दी है. कोर्ट ने 50 फीसद ग्रेड पे एरियर्स के तौर पर देने का आदेश दिया है. बिलासपुर हाईकोर्ट में 160 असिस्टेंट प्रोफेसर्स ने याचिका दायर कर बताया था कि सालों बाद भर्ती होने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर्स को ग्रेड पे का लाभ दिया जा रहा है. जबकि यह लाभ उनको नहीं मिल रहा है. इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है.

याचिका की गई दायर: जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने 30 मार्च 2010 के नियम के अनुसार सहायक प्राध्यापकों के लिए ग्रेड पे का प्रावधान किया था. शासन के जारी आदेश के तहत नियमित सेवा के चार साल बाद पीएचडी उपाधि धारकों को 7 हजार रुपए ग्रेड पे देने का उल्लेख किया गया था. वही, प्रावधानों में एम फिल वालों के लिए यह अवधि 5 साल और अन्य के लिए 6 साल रखी गई थी. साल 2012 से प्रदेश के विभिन्न कॉलेज में पदस्थ 160 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को राज्य शासन के प्रावधानों के नियम के अनुसार ग्रेड पे का लाभ नहीं दिया जा रहा था. इसे लेकर 160 असिस्टेंट प्रोफेसर ने इसके खिलाफ अलग-अलग अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में 16 याचिकाएं दायर की थी.

ये थी याचिका: इन याचिका में बताया गया था कि राज्य शासन ने साल 2010 में ग्रेड पे देने के प्रावधान नियम बनाए. इन नियमों के तहत याचिकाकर्ताओं को इसका लाभ मिलना चाहिए था. राज्य शासन ने ग्रेड पे से वंचित रखा है. जबकि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के माध्यम से मई 2019 को 878 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे. लिखित परीक्षा, साक्षात्कार के बाद योग्य और चयनित सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रदेश भर के सरकारी कॉलेज में की है. चयन के समय छत्तीसगढ़ शासन के 30 मार्च 2010 के प्रावधानों के नियमानुसार याचिकाकर्ता सहायक प्राध्यापकों ने अपनी याचिका में यह भी बताया कि उच्च शिक्षा विभाग शासन का ऐसा विभाग है, जहां दूसरे सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की तरह न तो प्रमोशन दिया जा रहा है. ना ही समयमान वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है. नियम की बाध्यता ना होने के कारण सैकड़ों की संख्या में सहायक प्राध्यापक इस पद पर चयनित होकर रिटायर हो रहे हैं. उन्हें पदोन्नति तक का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

6 सप्ताह के भीतर सरकार से मांगा जवाब: कोर्ट में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि, "तथ्यों के आधार पर याचिकाकर्ता ग्रेड पे पाने का अधिकार रखते हैं." सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट जस्टिस अरविंद चंदेल की सिंगल बेंच ने राज्य शासन के अधिवक्ता से पूछा कि , "याचिका में जो तथ्य बताया गया, उसका पालन किया जा रहा है कि नहीं. और याचिकाकर्ता ग्रेड पे पाने का अधिकार रखते हैं या नहीं." इस पर राज्य शासन के अधिवक्ता के द्वारा सहमति जताई गई. सुनवाई में अंतरिम राहत के तौर पर याचिकाकर्ताओं को 50 प्रतिशत एरियर्स देने का आदेश अदालत ने दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

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बिलासपुर: बिलासपुर हाईकोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट के फैसले का आधार पर अब सहायक प्रध्यापकों को 50 फीसद एरियर्स मिलेगा. हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब असिस्टेंट प्रोफेसर के चेहरे पर मुस्कान आ गई है.

दरअसल, हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने 160 असिस्टेंट प्रोफेसर को ग्रेड पे का लाभ नहीं देने पर राज्य शासन को अंतरिम राहत दी है. कोर्ट ने 50 फीसद ग्रेड पे एरियर्स के तौर पर देने का आदेश दिया है. बिलासपुर हाईकोर्ट में 160 असिस्टेंट प्रोफेसर्स ने याचिका दायर कर बताया था कि सालों बाद भर्ती होने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर्स को ग्रेड पे का लाभ दिया जा रहा है. जबकि यह लाभ उनको नहीं मिल रहा है. इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है.

याचिका की गई दायर: जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने 30 मार्च 2010 के नियम के अनुसार सहायक प्राध्यापकों के लिए ग्रेड पे का प्रावधान किया था. शासन के जारी आदेश के तहत नियमित सेवा के चार साल बाद पीएचडी उपाधि धारकों को 7 हजार रुपए ग्रेड पे देने का उल्लेख किया गया था. वही, प्रावधानों में एम फिल वालों के लिए यह अवधि 5 साल और अन्य के लिए 6 साल रखी गई थी. साल 2012 से प्रदेश के विभिन्न कॉलेज में पदस्थ 160 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को राज्य शासन के प्रावधानों के नियम के अनुसार ग्रेड पे का लाभ नहीं दिया जा रहा था. इसे लेकर 160 असिस्टेंट प्रोफेसर ने इसके खिलाफ अलग-अलग अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में 16 याचिकाएं दायर की थी.

ये थी याचिका: इन याचिका में बताया गया था कि राज्य शासन ने साल 2010 में ग्रेड पे देने के प्रावधान नियम बनाए. इन नियमों के तहत याचिकाकर्ताओं को इसका लाभ मिलना चाहिए था. राज्य शासन ने ग्रेड पे से वंचित रखा है. जबकि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के माध्यम से मई 2019 को 878 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे. लिखित परीक्षा, साक्षात्कार के बाद योग्य और चयनित सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रदेश भर के सरकारी कॉलेज में की है. चयन के समय छत्तीसगढ़ शासन के 30 मार्च 2010 के प्रावधानों के नियमानुसार याचिकाकर्ता सहायक प्राध्यापकों ने अपनी याचिका में यह भी बताया कि उच्च शिक्षा विभाग शासन का ऐसा विभाग है, जहां दूसरे सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की तरह न तो प्रमोशन दिया जा रहा है. ना ही समयमान वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है. नियम की बाध्यता ना होने के कारण सैकड़ों की संख्या में सहायक प्राध्यापक इस पद पर चयनित होकर रिटायर हो रहे हैं. उन्हें पदोन्नति तक का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

6 सप्ताह के भीतर सरकार से मांगा जवाब: कोर्ट में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि, "तथ्यों के आधार पर याचिकाकर्ता ग्रेड पे पाने का अधिकार रखते हैं." सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट जस्टिस अरविंद चंदेल की सिंगल बेंच ने राज्य शासन के अधिवक्ता से पूछा कि , "याचिका में जो तथ्य बताया गया, उसका पालन किया जा रहा है कि नहीं. और याचिकाकर्ता ग्रेड पे पाने का अधिकार रखते हैं या नहीं." इस पर राज्य शासन के अधिवक्ता के द्वारा सहमति जताई गई. सुनवाई में अंतरिम राहत के तौर पर याचिकाकर्ताओं को 50 प्रतिशत एरियर्स देने का आदेश अदालत ने दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

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Last Updated : Nov 27, 2023, 6:25 PM IST
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