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Bilaspur high court : असम से वन भैंसा लाने पर रोक हटी - हाईकोर्ट में याचिका

असम से वन भैंसा लाकर छत्तीसगढ़ के भैंसों के साथ प्रजनन कराने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगी थी.जिसमें दोनों वन भैसों की जेनेटिक विविधता के कारण हाईकोर्ट ने वनभैंसा लाने पर रोक लगाई थी. लेकिन अब सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने स्टे हटा दिया है. लिहाजा असम के वन भैंसे छत्तीसगढ़ लाए जाएंगे.

Bilaspur high court
असम से अब लाए जाएंगे वन भैंसे
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Published : Apr 12, 2023, 4:09 PM IST

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ वन विभाग ने असम से चार मादा वन भैंसों को लाने की तैयारी की थी. तभी इसको लेकर याचिका लगाई गई थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस संजय के अग्रवाल की डबल बेंच ने याचिका पर स्टे लगाया था. लेकिन सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने रोक हटा ली है. अब असम सरकार की शर्तों के पालन के साथ असम से वन भैसों को लाया जा सकता है.

क्यों लगी थी याचिका : याचिका में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ के वन भैसों के शुद्धतम जीन पूल मिक्स होने से बीमार बच्चे पैदा होंगे. छत्तीसगढ़ के वन भैसों का जीन पूल दूषित होने का खतरा है. साथ ही असम के वन भैसों यहां आजीवन कैद करके रखने पर उन पर भी खतरा मंडराएगा. इस मामले में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के साथ असम और छत्तीसगढ़ के वन भैंसों में जेनेटिक असमानता है. इसके अलावा, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को इकोलॉजिकल सूटेबल रिपोर्ट नहीं दी गई थी. इन मुद्दों को लेकर पर्यावरणविद् नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी.

वनविभाग ने कोर्ट में दी जानकारी : 10 अप्रैल को हुई सुनवाई में, छत्तीसगढ़ वन विभाग ने वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट और असम सरकार के वन विभाग को सशर्त दी गई अनुमति की जानकारी कोर्ट को दी है. जिसमें वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट जमा की है. रिपोर्ट में असम के वन भैंसों को ब्रीडिंग के लिए उपयोग में लाने की बात कही गई है.असम सरकार की जो अनुमति वन विभाग ने कोर्ट में प्रस्तुत की है. उसमें शर्त भी रखा गया है.राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने असम के वन भैंसों के छत्तीसगढ़ में इकोलॉजिकल सूटेबिलिटी की रिपोर्ट दे दी है. रिपोर्ट देने के बाद ही वन भैंसों को असम से छत्तीसगढ़ लाने की अनुमति मिली है.



कोर्ट ने रखी शर्त : भारत सरकार ने पूर्व में वन भैंसा ट्रांसलोकेट करने की अनुमति का पालन करने को कहा है. भारत सरकार ने असम से वन भैंसा ट्रांसलोकेट कर छत्तीसगढ़ के सूटेबल हैबिटेट में छोड़े जाने के आदेश दिए हैं. उन्हें आजीवन बंधक बनाने से मना किया है. असम से लाए जाने वाले वन भैसों को 45 दिन में ही बाड़े में रखकर वापस जंगल में छोड़ने को कहा गया है.

ये भी पढ़ें- ग्रामीण के घर घुसे तीन जंगली सुअर, घर छोड़कर भागा परिवार

एक याचिका पर सुनवाई बाकी : याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि ''छत्तीसगढ़ वन विभाग ने तीन साल पहले, अप्रैल 2020 में असम के मानस टाइगर रिजर्व से एक जोड़ा वन भैसा लाया था. इस जोड़े को छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण के 25 एकड़ के बाड़े में कैद किया गया. इससे प्रजनन कराने के लिए इसे आजीवन रखा जाएगा. विभाग की योजना है कि वन भैंसों को बाड़े में रखकर उनसे प्रजनन कराया जाए. इस मामले में लगी जनहित याचिका कोर्ट में लंबित है.

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ वन विभाग ने असम से चार मादा वन भैंसों को लाने की तैयारी की थी. तभी इसको लेकर याचिका लगाई गई थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस संजय के अग्रवाल की डबल बेंच ने याचिका पर स्टे लगाया था. लेकिन सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने रोक हटा ली है. अब असम सरकार की शर्तों के पालन के साथ असम से वन भैसों को लाया जा सकता है.

क्यों लगी थी याचिका : याचिका में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ के वन भैसों के शुद्धतम जीन पूल मिक्स होने से बीमार बच्चे पैदा होंगे. छत्तीसगढ़ के वन भैसों का जीन पूल दूषित होने का खतरा है. साथ ही असम के वन भैसों यहां आजीवन कैद करके रखने पर उन पर भी खतरा मंडराएगा. इस मामले में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के साथ असम और छत्तीसगढ़ के वन भैंसों में जेनेटिक असमानता है. इसके अलावा, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को इकोलॉजिकल सूटेबल रिपोर्ट नहीं दी गई थी. इन मुद्दों को लेकर पर्यावरणविद् नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी.

वनविभाग ने कोर्ट में दी जानकारी : 10 अप्रैल को हुई सुनवाई में, छत्तीसगढ़ वन विभाग ने वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट और असम सरकार के वन विभाग को सशर्त दी गई अनुमति की जानकारी कोर्ट को दी है. जिसमें वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट जमा की है. रिपोर्ट में असम के वन भैंसों को ब्रीडिंग के लिए उपयोग में लाने की बात कही गई है.असम सरकार की जो अनुमति वन विभाग ने कोर्ट में प्रस्तुत की है. उसमें शर्त भी रखा गया है.राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने असम के वन भैंसों के छत्तीसगढ़ में इकोलॉजिकल सूटेबिलिटी की रिपोर्ट दे दी है. रिपोर्ट देने के बाद ही वन भैंसों को असम से छत्तीसगढ़ लाने की अनुमति मिली है.



कोर्ट ने रखी शर्त : भारत सरकार ने पूर्व में वन भैंसा ट्रांसलोकेट करने की अनुमति का पालन करने को कहा है. भारत सरकार ने असम से वन भैंसा ट्रांसलोकेट कर छत्तीसगढ़ के सूटेबल हैबिटेट में छोड़े जाने के आदेश दिए हैं. उन्हें आजीवन बंधक बनाने से मना किया है. असम से लाए जाने वाले वन भैसों को 45 दिन में ही बाड़े में रखकर वापस जंगल में छोड़ने को कहा गया है.

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एक याचिका पर सुनवाई बाकी : याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि ''छत्तीसगढ़ वन विभाग ने तीन साल पहले, अप्रैल 2020 में असम के मानस टाइगर रिजर्व से एक जोड़ा वन भैसा लाया था. इस जोड़े को छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण के 25 एकड़ के बाड़े में कैद किया गया. इससे प्रजनन कराने के लिए इसे आजीवन रखा जाएगा. विभाग की योजना है कि वन भैंसों को बाड़े में रखकर उनसे प्रजनन कराया जाए. इस मामले में लगी जनहित याचिका कोर्ट में लंबित है.

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