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Bilaspur High Court: पति से विवाद होने पर गर्भपात की इजाजत मांगने पहुंची पत्नी, हाई कोर्ट ने कह दी बड़ी बात - मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट

Bilaspur High Court छोटी छोटी बात पर पति पत्नी के बीच न केवल विवाद के मामले बढ़े हैं, बल्कि कई मामलों में बात तलाक तक भी पहुंच रही है. ऐसे ही एक मामला बिलासपुर हाई कोर्ट में भी पहुंचा. पति से विवाद होने पर पत्नी गर्भपात कराने पर अड़ गई. परमिशन के लिए कोर्ट में याचिका तक लगा डाली.

Bilaspur High Court
गर्भपात की इजाजत मांगने पहुंची पत्नी
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Published : Jul 3, 2023, 7:25 PM IST

बिलासपुर: पति से विवाद होने पर महिला ने गर्भपात की इजाजत के लिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई. सोमवार को इस पर सुनावाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला के मामले में बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि "यदि सब की मांग मानते रहे तो फिर भारत में बने गर्भपात के एक्ट का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा, जबकि भारत में गर्भपात अभी भी अपराध की तरह माना जाता है." कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए महिला की याचिका को खारिज कर दिया है.

यौन अपराध के चलते गर्भवती नहीं हुई है महिला: जस्टिस पी सैम कोसी की बेंच ने कहा कि "याचिकाकर्ता किसी यौन अपराध के चलते गर्भवती नहीं हुई है. वह एक शादीशुदा महिला है जो यह भी दावा नहीं कर रही है कि उन्हें पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने गर्भवती किया है."

विशेष मामलों में ही गर्भपात की इजाजत देती है कोर्ट: मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के तहत गर्भपात कराना अपराध की श्रेणी में आता है. कुछ मामलों में कोर्ट विशेष व्यवस्था के तहत ही गर्भपात की इजाजत देती है. इसके अलावा यदि यौन शोषण, नाबालिक के गर्भवती होने या महिला की जान का खतरा होने जैसे मामलों पर ही गर्भपात कराने की इजाजत अब तक भारत में दी गई है. लेकिन अब लोग इसका फायदा उठाने की कोशिश करने लगे हैं. पिछले दिनों छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में महिला ने गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी. दरअसल महिला शादीशुदा है और 1 साल पहले उसका विवाह हुआ था. वह गर्भवती हो गई है. पति से आए दिन होने वाले विवाद की वजह से महिला ने गर्भपात कराने का फैसला किया. इसी आधार पर महिला गर्भपात कराने इजाजत हाई कोर्ट से मांगी.

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महिला की याचिका पर कोर्ट ने ये कहा: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस पी सैम कोसी की बेंच ने गर्भपात मामले में विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि "यदि सब की मांगों पर विचार करें तो एक्ट का उद्देश्य खत्म हो जाएगा. भारत में गर्भपात अभी भी अपराध की श्रेणी में आता है. विशेष परिस्थितियों में गर्भपात कराने की इजाजत दी जाती है. पति-पत्नी के विवाद के मामले में यदि गर्भपात कराने की बात सामने आती है तो कोर्ट इसकी इजाजत नहीं देगी. महिला के साथ न तो अनाचार हुआ है और न ही वह किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा गर्भवती हुई है. इसलिए महिला की याचिका पर उसे गर्भपात कराने की इजाजत नहीं दी जा सकती." कोर्ट ने मामले में अपनी टिप्पणी करते हुए महिला की याचिका को खारिज कर दिया है.

पति पत्नी के बीच बिगड़े रिश्ते तो लगा दी याचिका: छत्तीसगढ़ में रहने वाली 29 साल की महिला की शादी 2022 में हुई थी. इस बीच महिला ने गर्भ धारण कर लिया था. कुछ समय बाद पति पत्नी के बीच खटास आने लगी और दोनों के रिश्ते बिगड़ने लगे. दोनों में आए दिन झगड़े होने लगे. इस बात पर महिला ने गर्भपात कराने का फैसला कर लिया और हाईकोर्ट से गर्भपात की इजाजत लेने के लिए याचिका दायर की. अपने आदेश में जस्टिस पी सैम कोसी की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता की मांग गलत है और कोर्ट उसके मांग पर उसे गर्भपात कराने की इजाजत नहीं दे सकता.

बिलासपुर: पति से विवाद होने पर महिला ने गर्भपात की इजाजत के लिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई. सोमवार को इस पर सुनावाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला के मामले में बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि "यदि सब की मांग मानते रहे तो फिर भारत में बने गर्भपात के एक्ट का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा, जबकि भारत में गर्भपात अभी भी अपराध की तरह माना जाता है." कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए महिला की याचिका को खारिज कर दिया है.

यौन अपराध के चलते गर्भवती नहीं हुई है महिला: जस्टिस पी सैम कोसी की बेंच ने कहा कि "याचिकाकर्ता किसी यौन अपराध के चलते गर्भवती नहीं हुई है. वह एक शादीशुदा महिला है जो यह भी दावा नहीं कर रही है कि उन्हें पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने गर्भवती किया है."

विशेष मामलों में ही गर्भपात की इजाजत देती है कोर्ट: मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के तहत गर्भपात कराना अपराध की श्रेणी में आता है. कुछ मामलों में कोर्ट विशेष व्यवस्था के तहत ही गर्भपात की इजाजत देती है. इसके अलावा यदि यौन शोषण, नाबालिक के गर्भवती होने या महिला की जान का खतरा होने जैसे मामलों पर ही गर्भपात कराने की इजाजत अब तक भारत में दी गई है. लेकिन अब लोग इसका फायदा उठाने की कोशिश करने लगे हैं. पिछले दिनों छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में महिला ने गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी. दरअसल महिला शादीशुदा है और 1 साल पहले उसका विवाह हुआ था. वह गर्भवती हो गई है. पति से आए दिन होने वाले विवाद की वजह से महिला ने गर्भपात कराने का फैसला किया. इसी आधार पर महिला गर्भपात कराने इजाजत हाई कोर्ट से मांगी.

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महिला की याचिका पर कोर्ट ने ये कहा: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस पी सैम कोसी की बेंच ने गर्भपात मामले में विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि "यदि सब की मांगों पर विचार करें तो एक्ट का उद्देश्य खत्म हो जाएगा. भारत में गर्भपात अभी भी अपराध की श्रेणी में आता है. विशेष परिस्थितियों में गर्भपात कराने की इजाजत दी जाती है. पति-पत्नी के विवाद के मामले में यदि गर्भपात कराने की बात सामने आती है तो कोर्ट इसकी इजाजत नहीं देगी. महिला के साथ न तो अनाचार हुआ है और न ही वह किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा गर्भवती हुई है. इसलिए महिला की याचिका पर उसे गर्भपात कराने की इजाजत नहीं दी जा सकती." कोर्ट ने मामले में अपनी टिप्पणी करते हुए महिला की याचिका को खारिज कर दिया है.

पति पत्नी के बीच बिगड़े रिश्ते तो लगा दी याचिका: छत्तीसगढ़ में रहने वाली 29 साल की महिला की शादी 2022 में हुई थी. इस बीच महिला ने गर्भ धारण कर लिया था. कुछ समय बाद पति पत्नी के बीच खटास आने लगी और दोनों के रिश्ते बिगड़ने लगे. दोनों में आए दिन झगड़े होने लगे. इस बात पर महिला ने गर्भपात कराने का फैसला कर लिया और हाईकोर्ट से गर्भपात की इजाजत लेने के लिए याचिका दायर की. अपने आदेश में जस्टिस पी सैम कोसी की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता की मांग गलत है और कोर्ट उसके मांग पर उसे गर्भपात कराने की इजाजत नहीं दे सकता.

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