बिलासपुर : मतदान प्रतिशत का घटना या बढ़ना किसी भी उम्मीदवार के लिए जीत हार का फैसला करता है. बात यदि छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर की करें तो पूरे प्रदेश की ही तरह इस बार भी मतदाताओं को जागरुक करने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चलाया गया है.जिसका नतीजा मतदान के बाद पता चलेगा.लेकिन पिछले तीन बार के विधानसभा के आंकड़ों को देखें तो ये मालूम चलेगा कि मतदान का प्रतिशत एक या दो फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ा.बिलासपुर जिले में विधानसभा, लोकसभा और नगरी निकाय के चुनाव में 58 से 65 फीसदी तक ही वोटिंग होती है. जबकि मतदाताओं की संख्या की बात करें तो जिले में 14 लाख 13 हजार से ज्यादा मतदाता हैं.
क्यों नहीं बढ़ रहा मतदान प्रतिशत ? : इस मामले में राजनीतिक के जानकार हबीब खान से बात करने पर उन्होंने बताया कि मध्यम वर्गीय और गरीब वर्ग के लोग ही मतदान को लेकर उत्साहित रहते हैं. इसलिए वो सुबह से ही मतदान करने के लिए पोलिंग बूथ में पहुंच जाते हैं. कई मतदान केंद्रों में सुबह से लेकर मतदान के आखिरी समय तक लंबी लाइन देखी जाती है.वहीं कुछ मतदान केंद्र ऐसे होते हैं जहां शुरुआती दो चार घंटों के बाद भीड़ नहीं दिखती.
''मतदान के लिए जो लोग लाइन में लग सकते हैं वो तो अपने समय का इंतजार करके वोट डालते हैं.लेकिन जो उच्च वर्गीय परिवार हैं.उनके सदस्य जब पोलिंग बूथ जाते हैं तो लंबी लाइन में खड़े होने में हिचकिचाते हैं. यदि मतदान में लाइन लंबी हुई तो ऐसे सदस्य पोलिंग बूथ से ही लौट जाते हैं. वहीं कई परिवार तो वोटिंग को लेकर कोई भी उत्साह नहीं दिखाते.'' हबीब खान, राजनीति के जानकार
चुनाव आयोग करती है मेहनत : लोगों के मन में मतदान करने की ललक पैदा करने के लिए चुनाव आयोग काफी मेहनत करता है. एड कैंपेन से लेकर मतदान बूथों में भी अब काफी सुविधाएं दी जाने लगी है.जैसे महिलाओं के लिए पिंक बूथ, दिव्यांगों और बुजुर्ग के लिए अलग व्यवस्था,युवाओं के लिए सेल्फी जोन जैसे अभियान चलाकर चुनाव आयोग लोगों को मतदान केंद्र तक लाना चाहता है.बावजूद इसके जिन्होंने ये ठान रखा है कि हमें नहीं जाना,वो जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाते.
महिलाओं और युवाओं के भरोसे मतदान : महिलाओं को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए उनके लिए एक अलग मतदान केंद्र की व्यवस्था बनाई गई है. इसे पिंक बूथ का नाम दिया गया है. सेल्फी जोन, पिंक बूथ जैसे कई नए प्रयोग कर मतदाताओं को मतदान के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. मतदाता मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच रहे हैं. आंकड़ों की अगर बात करे तो पूरे राज्य में 90–95 परसेंट तक वोटिंग अब तक नहीं हुआ है. पूरे देश में भी यही हाल है. मतदान के लिए मतदाता जागरूक नहीं हो रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े ?: पिछले चार चुनाव में सबसे कम वोटिंग बिलासपुर जिले में हुई है. बिलासपुर के मतदाताओं में जागरूकता की कमी देखी जा रही है. इतना ही नहीं हर चुनाव में यहां मतदान का प्रतिशत भी घटता जा रहा है. यदि राज्य बनने के बाद के पहले विधानसभा चुनाव के मतदान के आंकड़े देखे तो 2003 में यहां 62.40 फीसदी वोटिंग हुई, तो वहीं 2008 में ये घटकर 61.30 फीसदी हो गई. 2013 के चुनाव में यह 60.44 प्रतिशत में ही सिमट गया. वैसे ही 2018 के चुनाव में मतदान प्रतिशत 61.58 रहा. यानी 39 प्रतिशत लोग वोट देने के लिए घर से ही नहीं निकले. बिलासपुर जिले की जनसंख्या 16 लाख 28 हजार 202 है. यहां मतदान के लिए बनाए गए मतदान केंद्र 1684 हैं. अब देखना होगा कि जिले की इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बाद भी कितने मतदाता मतदान के लिए आते हैं.