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Chhattisgarh High Court News: हाईकोर्ट में बघेल सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं पर शपथ पत्र दाखिल किया

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बघेल सरकार ने प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए शपथ पत्र दाखिल किया है. हाईकोर्ट के वकील एसबी पाण्डेय ने प्रदेश में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर याचिका दायर की थी. जिसकी सुनवाई के दौरान यह शपथ पत्र दाखिल किया गया है. Chhattisgarh High Court

health facilities in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : May 19, 2023, 11:50 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है. ऐसा इसलिए हुआ. क्योंकि राज्य सरकार की तरफ से स्वास्थ्य विभाग ने हाईकोर्ट के समक्ष शपथ पत्र दिया. इस शपथ पत्र में यह कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधार लिया जाएगा.

बघेल सरकार की तरफ से महाधिवक्ता हुए पेश: राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता ने भी उपस्थित होकर आश्वासन दिया कि राज्य में चिकित्सा सेवाओं को सुचारू पूर्वक चलाया जाएगा. आनेवाले दिनों में जरूरतमंदों को उचित समय में दवा और इलाज मुहैया कराने की कोशिश की जाएगी. बिलासपुर के जोरापारा में रहने वाले हाईकोर्ट अधिवक्ता एसबी पाण्डेय ने समाचार पत्रों में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दयनीय स्थिति की खबरें पढ़ी थी. उसी के आधार पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें शासकीय अस्पतालों में डॉक्टर, स्टॉफ, दवा और नर्सों की कमी थी. दवाइयों के बिना इस्तेमाल के एक्सपायर होने की बात भी कही गई थी. इसके अलवा सरकारी दवाओं को कचरे में फेंकने,सिम्स अस्पताल में लापरवाही जैसे मुद्दों को याचिका में बताया गया था.

कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग से मांगा था जवाब: फिर इससे पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग से जवाब तलब किया था. कोर्ट ने 11 मई 2023 के पूर्व राज्य के स्वास्थ्य विभाग के संचालक ने शपथपत्र के माध्यम से वास्तविकता की जानकारी देने को निर्देश दिया था. हाईकोर्ट अधिवक्ता एसबी पाण्डेय ने याचिका में सिम्स की लापरवाही के कारण मरीज की मौत का जिक्र किया था.

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जिस पर सिम्स के अधीक्षक सह संयुक्त संचालक ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से पत्राचार किया. जिसमें बिलासपुर के समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के संबंध में लिखे गए पत्र की प्रति के साथ विस्तृत जानकारी दी गई. कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के संचालक का शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया गया कि दवाइयों का दुरुपयोग रोकने का प्रयास किया जा रहा है. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने शपथ पत्र भी कोर्ट में पेश किया. जिसके बाद कोर्ट ने याचिका को रद्द कर दिया.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है. ऐसा इसलिए हुआ. क्योंकि राज्य सरकार की तरफ से स्वास्थ्य विभाग ने हाईकोर्ट के समक्ष शपथ पत्र दिया. इस शपथ पत्र में यह कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधार लिया जाएगा.

बघेल सरकार की तरफ से महाधिवक्ता हुए पेश: राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता ने भी उपस्थित होकर आश्वासन दिया कि राज्य में चिकित्सा सेवाओं को सुचारू पूर्वक चलाया जाएगा. आनेवाले दिनों में जरूरतमंदों को उचित समय में दवा और इलाज मुहैया कराने की कोशिश की जाएगी. बिलासपुर के जोरापारा में रहने वाले हाईकोर्ट अधिवक्ता एसबी पाण्डेय ने समाचार पत्रों में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दयनीय स्थिति की खबरें पढ़ी थी. उसी के आधार पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें शासकीय अस्पतालों में डॉक्टर, स्टॉफ, दवा और नर्सों की कमी थी. दवाइयों के बिना इस्तेमाल के एक्सपायर होने की बात भी कही गई थी. इसके अलवा सरकारी दवाओं को कचरे में फेंकने,सिम्स अस्पताल में लापरवाही जैसे मुद्दों को याचिका में बताया गया था.

कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग से मांगा था जवाब: फिर इससे पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग से जवाब तलब किया था. कोर्ट ने 11 मई 2023 के पूर्व राज्य के स्वास्थ्य विभाग के संचालक ने शपथपत्र के माध्यम से वास्तविकता की जानकारी देने को निर्देश दिया था. हाईकोर्ट अधिवक्ता एसबी पाण्डेय ने याचिका में सिम्स की लापरवाही के कारण मरीज की मौत का जिक्र किया था.

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जिस पर सिम्स के अधीक्षक सह संयुक्त संचालक ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से पत्राचार किया. जिसमें बिलासपुर के समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के संबंध में लिखे गए पत्र की प्रति के साथ विस्तृत जानकारी दी गई. कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के संचालक का शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया गया कि दवाइयों का दुरुपयोग रोकने का प्रयास किया जा रहा है. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने शपथ पत्र भी कोर्ट में पेश किया. जिसके बाद कोर्ट ने याचिका को रद्द कर दिया.

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