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नन्हें 'वैज्ञानिकों' ने किया कमाल, इनका अविष्कार मचाएगा रूस में धमाल

बाल दिवस के मौके पर हम आपको को मिलवाले जा रहे हैं एक ऐसे नन्हें अविष्कारक से जिसने नन्ही सी उम्र में अन्नदाता को ऐसा तोहफा दिया, जिसने उसकी कठिन राह काफी हद तक आसान कर दी.

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Published : Nov 14, 2019, 3:40 PM IST

Updated : Nov 14, 2019, 4:58 PM IST

बाल अविष्कारकों ने बनाया कृषि यंत्र

बिलासपुर : जो लोग सच्चे मन और लगन से मेहतन करते हैं, सफलता एक न एक दिन उनके कदम जरूर चूमती है. ये लाइनें बिलासपुर के रहने वाले इस नन्हे अविष्कारक पर एक दम सटीक बैठती है.

पैकेज.

तस्वीरों में नजर आ रहा साधारण से दिखने वाले इस छात्र का नाम है मनीष यादव. मनीष और उनकी टीम ने एक रोबोटिक कृषि यंत्र और बॉयो टॉयलट का अविष्कार किया है. नीति आयोग ने बाल वैज्ञानिकों की टीम द्वारा बनाये गए दो महवपूर्ण प्रोजेक्ट रोबोटिक अटल कृषि मित्र और स्मार्ट बायो टॉयलेट का चयन किया था.

कैसे काम करता है कृषि यंत्र
कृषि यंत्र कितना कारगर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि इसकी मदद से किसान बीज बोने से लेकर, फसल कीटनाशकों का छिड़काव, फसल कटाई और ढुलाई तक का काम कर सकता है. इस इनोवेशन को रूस के सोची शहर में होने वाले बॉयोलॉजिकल एंड जेनेरिक रिसर्च सम्मेलन में दूनिया भर से रू-ब-रू कराएंगे. बता दें कि इस सेमीनार के लिए देशभर से 25 होनहार छात्रों का चयन किया गया है. इस सेमीनार में देशभर से पहुंचने वाले बाल अविष्कारकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस से राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन मुलाकात करेंगे.

बायो टॉयलट का मॉडल किया तैयार
इसके साथ ही इन होनहार छात्रों की टीम ने बायो टॉयलेट का मॉडल भी बनाया है. यह एक तरह का ऑटोमेटिक टॉयलेट है. इसमें गंदगी, बदबू, टॉयलेट चोक होने की समस्या को दूर करने के साथ ही "एजो" वैक्टीरिया की मदद से वेस्ट मटेरियल को उपयोगी बनाया जाता है. यह टॉयलेट भारतीय रेल में सामान्य रूप से गंदगी और चोक होने की समस्या को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. इसमें अतिरिक्त मानव श्रम की जरूरत नहीं पड़ती, सारा सिस्टम मैकेनाइज्ड रहता है. बता दें कि इस सफर के दौरान मनीष न जाने कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन न तमाम मुसीबतों के बाद भी उसने हार नहीं मानी.

प्रदर्शनी में रखे गए मॉडल
बाल दिवस के दिन राष्ट्रपति भवन में आयोजित बाल अविष्कारों की एक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ, जिसमें इन होनहार छात्रों की ओर से बनाए गए दोनों मॉडल भी रखे गए.

तीन साल पहले हुई पिता की मौत
मनीष ने पिता को खोया... वक्त की मार देखी...मां को पाई-पाई के लिए संघर्ष करते देखा, लेकिन उसके हौसले डिगे नहीं और आज उसकी टीम के अविष्कार रूस में धाक जमाकर देख के साथ ही छत्तीसगढ़ का मान बढ़ा रहे हैं. ऐसे बाल अविष्कारकों को ईटीवी भारत सलाम करता है.

बिलासपुर : जो लोग सच्चे मन और लगन से मेहतन करते हैं, सफलता एक न एक दिन उनके कदम जरूर चूमती है. ये लाइनें बिलासपुर के रहने वाले इस नन्हे अविष्कारक पर एक दम सटीक बैठती है.

पैकेज.

तस्वीरों में नजर आ रहा साधारण से दिखने वाले इस छात्र का नाम है मनीष यादव. मनीष और उनकी टीम ने एक रोबोटिक कृषि यंत्र और बॉयो टॉयलट का अविष्कार किया है. नीति आयोग ने बाल वैज्ञानिकों की टीम द्वारा बनाये गए दो महवपूर्ण प्रोजेक्ट रोबोटिक अटल कृषि मित्र और स्मार्ट बायो टॉयलेट का चयन किया था.

कैसे काम करता है कृषि यंत्र
कृषि यंत्र कितना कारगर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि इसकी मदद से किसान बीज बोने से लेकर, फसल कीटनाशकों का छिड़काव, फसल कटाई और ढुलाई तक का काम कर सकता है. इस इनोवेशन को रूस के सोची शहर में होने वाले बॉयोलॉजिकल एंड जेनेरिक रिसर्च सम्मेलन में दूनिया भर से रू-ब-रू कराएंगे. बता दें कि इस सेमीनार के लिए देशभर से 25 होनहार छात्रों का चयन किया गया है. इस सेमीनार में देशभर से पहुंचने वाले बाल अविष्कारकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस से राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन मुलाकात करेंगे.

बायो टॉयलट का मॉडल किया तैयार
इसके साथ ही इन होनहार छात्रों की टीम ने बायो टॉयलेट का मॉडल भी बनाया है. यह एक तरह का ऑटोमेटिक टॉयलेट है. इसमें गंदगी, बदबू, टॉयलेट चोक होने की समस्या को दूर करने के साथ ही "एजो" वैक्टीरिया की मदद से वेस्ट मटेरियल को उपयोगी बनाया जाता है. यह टॉयलेट भारतीय रेल में सामान्य रूप से गंदगी और चोक होने की समस्या को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. इसमें अतिरिक्त मानव श्रम की जरूरत नहीं पड़ती, सारा सिस्टम मैकेनाइज्ड रहता है. बता दें कि इस सफर के दौरान मनीष न जाने कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन न तमाम मुसीबतों के बाद भी उसने हार नहीं मानी.

प्रदर्शनी में रखे गए मॉडल
बाल दिवस के दिन राष्ट्रपति भवन में आयोजित बाल अविष्कारों की एक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ, जिसमें इन होनहार छात्रों की ओर से बनाए गए दोनों मॉडल भी रखे गए.

तीन साल पहले हुई पिता की मौत
मनीष ने पिता को खोया... वक्त की मार देखी...मां को पाई-पाई के लिए संघर्ष करते देखा, लेकिन उसके हौसले डिगे नहीं और आज उसकी टीम के अविष्कार रूस में धाक जमाकर देख के साथ ही छत्तीसगढ़ का मान बढ़ा रहे हैं. ऐसे बाल अविष्कारकों को ईटीवी भारत सलाम करता है.

Intro:जो लोग दिन रात मेहनत करते हैं तो सफलता भी एक दिन जरूर उनकी कदम चूमती है,फिर चाहे स्थिति कितनी भी प्रतिकूल क्यों ना हो। बिलासपुर गवर्मेन्ट हायर सेकेंडरी स्कूल के इनोवेटिव छात्र मनीष यादव और उसकी टीम के सदस्यों ने अपनी नई खोज से कुछ ऐसा ही कमाल करके दिखाया है जिसका डंका आनेवाले दिनों में अब रूस में बजनेवाला है । इस बार आगामी 24 नवंबर से 5 दिसम्बर तक रूस के सोची शहर में आयोजित बॉयोलॉजिकल एंड जेनेरिक रिसर्च सम्मेलन में शहर के मनीष यादव अपने नए आविष्कार अटल कृषि मित्र और बायो टॉयलेट से दुनिया को रूबरू कराएंगे । पूरे देश के 25 छात्रों के बीच मनीष एकमात्र शासकीय स्कूल बिलासपुर के छात्र होंगे जो अपने आप में शहर के लिए किसी गौरव से कम नहीं है ।


Body:सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति बाल वैज्ञानिकों से रूबरू होंगे और इस बीच इन छात्रों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी । बीते दिनों नीति आयोग ने बाल वैज्ञानिकों की टीम द्वारा बनाये गए दो महवपूर्ण प्रोजेक्ट रोबोटिक अटल कृषि मित्र और स्मार्ट बायो टॉयलेट का चयन किया था । खास बात यह है कि भारतीय रेल ने स्मार्ट बायो टॉयलेट की अवधारणा को ट्रेनों में विकसित करना भी शुरू कर दिया है और अटल कृषि मित्र को एक साथ कई कृषि कार्य को संपादित करने के उद्देश्य से किसी वरदान से कम नहीं आंका जा रहा है । बीते दिनों दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल रोबोटिक चैंपियनशिप में अटल कृषि मित्र ने पूरे देश में पहला स्थान लेकर बाजी मारी थी । जानिए दोनों आविष्कारों के बारे में... 1.अटल कृषि मित्र :--यह एक तरह का रोबोट है जो किसानों के लिए मददगार होता है । इस मशीन के माध्यम से एक साथ कई कृषि कार्य को संपादित किया जा सकता है । मसलन खेत जोतना,फ़सल कटाई,बुआई, दवा छिड़काव जैसे कार्य । यह यह यन्त्र कॉस्ट इफेक्टिव भी है और यह पर्यावरण को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचाता । 2. बायो टॉयलेट :--यह एक तरह का ऑटोमेटिक टॉयलेट की अवधारणा लिए हुए है । इसमें गन्दगी,दुर्गंध,टॉयलेट चॉक की समस्या को दूर करने के अलावा "एजो" वैक्टीरिया की मदद से वेस्ट मटेरियल को उपयोगी बनाया जाता है । यह टॉयलेट भारतीय रेल में सामान्य रूप से गन्दगी और चॉक होने की समस्या को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है । इसमें अतिरिक्त मानव श्रम की जरूरत नहीं पड़ती,सारा सिस्टम मैकेनाइज्ड रहता है ।


Conclusion:कल बाल दिवस के दिन राष्ट्रपति भवन में इन दो आविष्कारों का प्रदर्शनी भी होगा जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी देखने आएंगे । मनीष और उनके लैब टीचर का कहना है कि इस आविष्कार को साकार करने में मनीष और उसकी टीम ने दिन रात मेहनत की है । पारिवारिक रूप से बेहद कमजोर मनीष का कहना है कि उसकी माँ अकेली स्ट्रगलर हैं। लिहाजा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन इन्हीं दिक्कतों से उन्हें ताक़त भी मिलती है । अपनी छोटी सी उम्र में बिलासपुर से रसिया तक धमक पहुंचानेवाले मनीष और उसकी पूरी टीम ने यह साबित कर दिया है कि कुछ कर गुजरने का जज़्बा इंसान को जमीन से आसमां तक पहुंचा सकता है और इस सफर की बाधाएं ही कामयाबी की सीढ़ी है । बाईट... मनीष यादव..छात्र बाईट... आर के गौराहा...प्रिंसिपल(ब्लैक शर्ट में चश्मा पहने हुए) बाईट...धनजंय पांडेय...लैब इंचार्ज विशाल झा.... बिलासपुर
Last Updated : Nov 14, 2019, 4:58 PM IST
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