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यास्मीन सिंह को HC से राहत, अगली सुनवाई तक ACB की जांच पर रोक

यास्मीन सिंह की नियुक्ति के खिलाफ ACB की जांच पर हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है.

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Published : Jan 16, 2020, 8:19 PM IST

Updated : Jan 16, 2020, 9:39 PM IST

बिलासपुर : यास्मीन सिंह की राज्य शासन के आदेश खिलाफ दाखिल याचिका पर जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने यास्मीन सिंह के खिलाफ ACB की जांच पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी. यास्मीन सिंह के खिलाफ गलत नियुक्ति, जरूरत से ज्यादा भुगतान, सहित तमाम मामलो में कांग्रेस के उचित शर्मा ने शिकायत की थी.

यास्मीन सिंह को HC से राहत

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह की पत्नी यास्मीन सिंह की नियुक्ति को लेकर राज्य शासन को शिकायत मिली थी. शिकायत के बाद राज्य शासन ने इस मामले की जांच का जिम्मा ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) को दिया था. शासन के इस आदेश के खिलाफ यास्मीन सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने ACB की कार्रवाई पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है.

क्या है पूरा मामला
यास्मीन सिंह की नियुक्ति साल 2005 में PHE विभाग में संविदा अधिकारी के रूप में हुई थी. नियुक्ति के समय उन्हें हर महीने 35 हजार रुपए का मानदेय मिलना तय हुआ था, जो बाद में बढ़कर गुपचुप ढंग से एक लाख रुपए प्रतिमाह कर दिया गया. शिकायत में ये भी कहा गया था कि सिंह 14 साल संविदा अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं, लेकिन उनका ज्यादातर कार्य नृत्यांगना के रूप में प्रचारित होता था.

मामले में रोचक
यास्मीन सिंह उनका ज्यादातर कार्य नृत्यांगना के रूप में प्रचारित होता था, लेकिन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पास इनके कार्य, अवकाश, नृत्य प्रदर्शन के लिए अनुमति इत्यादि की कोई भी जानकारी नहीं है.

बिलासपुर : यास्मीन सिंह की राज्य शासन के आदेश खिलाफ दाखिल याचिका पर जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने यास्मीन सिंह के खिलाफ ACB की जांच पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी. यास्मीन सिंह के खिलाफ गलत नियुक्ति, जरूरत से ज्यादा भुगतान, सहित तमाम मामलो में कांग्रेस के उचित शर्मा ने शिकायत की थी.

यास्मीन सिंह को HC से राहत

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह की पत्नी यास्मीन सिंह की नियुक्ति को लेकर राज्य शासन को शिकायत मिली थी. शिकायत के बाद राज्य शासन ने इस मामले की जांच का जिम्मा ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) को दिया था. शासन के इस आदेश के खिलाफ यास्मीन सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने ACB की कार्रवाई पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है.

क्या है पूरा मामला
यास्मीन सिंह की नियुक्ति साल 2005 में PHE विभाग में संविदा अधिकारी के रूप में हुई थी. नियुक्ति के समय उन्हें हर महीने 35 हजार रुपए का मानदेय मिलना तय हुआ था, जो बाद में बढ़कर गुपचुप ढंग से एक लाख रुपए प्रतिमाह कर दिया गया. शिकायत में ये भी कहा गया था कि सिंह 14 साल संविदा अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं, लेकिन उनका ज्यादातर कार्य नृत्यांगना के रूप में प्रचारित होता था.

मामले में रोचक
यास्मीन सिंह उनका ज्यादातर कार्य नृत्यांगना के रूप में प्रचारित होता था, लेकिन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पास इनके कार्य, अवकाश, नृत्य प्रदर्शन के लिए अनुमति इत्यादि की कोई भी जानकारी नहीं है.

Intro:यास्मीन सिंह को मिली हाईकोर्ट से राहत। हाईकोर्ट ने यासमीन सिंह के खिलाफ एसीबी की जांच पर लगाई रोक। शासन ने यास्मीन सिंह के खिलाफ एसीबी जांच के दिए थे आदेश। गलत नियुक्ति ,जरूरत से ज्यादा भुगतान ,सहित तमाम मामलो में कांग्रेस के उचित शर्मा ने की थी शिकायत।शासन के फैसले को यासमीन ने दी थी हाईकोर्ट में चुनौती। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच द्वारा की गई । मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी। Body:बता दें कि ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह की पत्नी यास्मीन सिंह की नियुक्ति को लेकर राज्य शासन को शिकायत आई थी।शिकायत के बाद राज्य शासन ने इस मामले की जांच का जिम्मा एसीबी को दे दिया था। शासन के इस आदेश के खिलाफ यासमीन सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच नेएसीबी की कार्रवाई पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है। यास्मीन सिंह की नियुक्ति साल 2005 में पीएचई विभाग में संविदा अधिकारी के रूप में हुई थी ।नियुक्ति के समय उन्हें प्रतिमाह 35 हजार रुपए का मानदेय तय हुआ था जो बाद में बढ़कर गुपचुप ढंग से एक लाख प्रतिमाह कर दिया गया। शिकायत में यह भी कहा गया था कि सिंह 14 वर्ष संविदा अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं, लेकिन उनका ज्यादातर कार्य नृत्यांगना के रूप में प्रचारित होता था।Conclusion:पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पास इनके कार्य, अवकाश, नृत्य प्रदर्शन के लिए अनुमति इत्यादि की कोई भी जानकारी संधारित नहीं है।
Last Updated : Jan 16, 2020, 9:39 PM IST
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