बिलासपुर: कोरोना से बढ़ते मौत के बढ़ते आंकड़े, लोगों का डर और अपनों की बेरुखी के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस दौर में मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं. कोरोना से मौत के बाद जिन्हें अपने ठुकरा देते हैं, उनके शवों को ये लोग मुखाग्नि दे रहे हैं. बिलासपुर के सामाजिक कार्यकर्ता अभिजीत मित्रा अपनी टीम के साथ अबतक 100 से ज्यादा मृतकों को मुखाग्नि दे चुके हैं. संकट की घड़ी है. ऐसे में जो अपनों को खो रहे हैं, वे कई बार इतने टूट चुके होते हैं कि उन्हें खुद के खोने का भी डर रहता है. ऐसे में वे शवों को मुखाग्नि देने से भी डरते हैं.
अभिजीत मित्रा ने पेश की मिसाल
कोविड के बढ़ते संक्रमण और मौत के आंकड़ों से हर कोई डरा हुआ है. ऐसी स्थिति में कोविड से मृत हुए लोगों के परिजन भी अपने स्वजनों के अंतिम संस्कार को लेकर डर रहे हैं और दाह संस्कार करने तक से इंकार कर रहे हैं. अभिजीत मित्रा बताते हैं, इस विषम परिस्थिति में हर किसी की अपनी जिम्मेदारी है. ऐसे में उनकी सोच है कोविड से मृत हुए लोगों का भी ससम्मान अंतिम संस्कार होना चाहिए. लिहाजा वे बीते 1 साल से कोविड से मृत हुए ऐसे लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, जिनके अपने उन्हें अंतिम विदाई नहीं दे पा रहे हैं. उनकी टीम को इसके लिए प्रशासन का पूरा सहयोग मिल रहा है.
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दूसरी लहर के बीच भी नहीं डरे
छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के साथ बिलासपुर में भी कोरोना के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. मई में तो यहां 1200 से 1400 केस तक रोजाना सामने आ रहे थे. मौत के आंकड़े भी हर दिन 50 से ज्यादा ही रहे. बढ़ते मामलों के बीच भी अभिजीत इस काम में जुटे रहे. वर्तमान में कोरोना के मामले में कमी आई है. मौत के मामले में भी कुछ हद तक कमी देखी जा रही है. करोना से जिले में अब तक 1200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. कोरोना से मौत के बाद कुछ लोग अपने परिजनों का कोरोना के डर से अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं. यहीं वजह है कि अभिजीत मित्रा हर दिन निस्वार्थ भाव से ऐसे शवों का तोरवा मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कर रहे हैं.