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बिलासपुर के श्रीवास्तव परिवार ने 20 साल पहले शुरू किया था तिरंगा अभियान

बिलासपुर के श्रीवास्तव दंपती सालों से तिरंगा अभियान चला रहे हैं. ये दंपती सुबह की शुरुआत ध्वजारोहण के साथ किया करते (Srivastava family of Bilaspur started Tiranga campaign) थे.

Srivastava family of Bilaspur
बिलासपुर के श्रीवास्तव परिवार
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Published : Aug 10, 2022, 5:39 PM IST

Updated : Aug 11, 2022, 3:44 PM IST

बिलासपुर: आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाने की तैयारी है. इस दौरान हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. हालांकि बिलासपुर में 20 साल पहले ही इस अभियान की शुरूआत कर दी गई थी. दरअसल, 20 साल पहले ही इस अभियान की शुरूआत बिलासपुर के शिक्षक दंपती ने कर दी (Srivastava family of Bilaspur started Tiranga campaign)थी. शिक्षक दंपती रोजाना अपने घर की छत पर तिरंगा फहराते हैं और यह सिलसिला वह लगातार चला रहे हैं.

तिरंगा अभियान के सच्चे सिपाही

दिन की शुरूआत होती है तिरंगा फहराकर: शिक्षक दंपती यह अभियान अपने शासकीय आवास में शुरू किए थे, लेकिन अब रिटायर होने के बाद अपने निजी घर में इस अभियान को बरकरार रखे हुए हैं. उनके इस अभियान से यही महसूस होता है कि जिस काम को देश में शुरू किया गया है. उसे यह शिक्षक दंपती पिछले 20 सालों से करते आ रहे हैं. उनका जज्बा ऐसा है कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब वे तिरंगा झंडा फहरा कर उसे सलामी ना देते हों. रोजाना ही दिन की शुरुआत वह तिरंगा झंडा फहराकर करते हैं.

यह भी पढ़ें: देवरहा सेवा समिति ने की ‘हर घर तिरंगा अभियान’ की शुरुआत, निशुल्क तिरंगा किया वितरण

रिटायरमेंट के बाद घर में फहराते हैं तिरंगा: बता दें कि बिलासपुर के नेहरू नगर में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक केके श्रीवास्तव और उनकी प्राचार्य पत्नी निरजा श्रीवास्तव पिछले 20 सालों से रोजाना ही सुबह अपने घर में सतत ससम्मान संवैधानिक तरीके से तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्रगान के साथ सलामी देते हैं. केके श्रीवास्तव भले ही अब रिटायर हो चुके हैं, लेकिन उनके अंदर का जज्बा अब तक कम नहीं हुआ है. यह बढ़ता ही जा रहा है.श्रीवास्तव परिवार अपने दिन की शुरुआत तिरंगा झंडा फहराकर करता है.

सपरिवार फहराते हैं तिरंगा: इस विषय में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान केके श्रीवास्तव ने बताया, "सबसे पहले उठ कर मैं इसकी तैयारी करता हूं. इसके बाद पति पत्नी तिरंगा लेकर घर के छत पर पहुंचती है.ससम्मान तिरंगा को लगाकर फहराते हैं. राष्ट्रगान के साथ तिरंगे को सलामी देते हैं और इसके बाद ही अपने दिन के दूसरे काम करते हैं. शुरुआत में श्रीवास्तव परिवार अपने तीनों बच्चों के साथ तिरंगा झंडा फहराते थे, लेकिन बाद में बच्चे पढ़ाई और नौकरी के लिए शहर से बाहर चले गए. तब पति-पत्नी मोहल्ले के बच्चों को बुलाकर तिरंगा फहराते हैं. उन्हें इसके महत्व की जानकारी देते हैं."

तिरंगा को लेकर बचपन से जुनून: केके श्रीवास्तव ने बताया कि "जब उनकी 5-6 साल की उम्र थी तब उनके स्कूलों में तिरंगा झंडा फहराया गया था. तब वो तिरंगा तो नहीं फहरा सकते थे, लेकिन तिरंगा के प्रति उनके प्रेम की वजह से वह छात्रों की लाइन से हटकर तिरंगा की जमीन पर पड़ने वाली छांव पर खड़े हो गए. तब उन्हें एक शिक्षक ने तिरंगा की छांव से हटा दिया. तब से उनके मन में यह बात घर कर गई कि वह तिरंगा फहराएंगे. सुप्रीम कोर्ट के 2002 के ध्वजारोहण के एक फैसले के बाद से केके श्रीवास्तव को मौका मिल गया है. वह भी तिरंगा फहरा सकते हैं. तब उन्होंने अपने बचपन से बसे मन में तिरंगा के प्रति प्रेम को बाहर लेकर आया और अपने घर में ही तिरंगा फहराने लगे. तिरंगा के प्रति उनका प्रेम इतना ज्यादा है कि वह रोजाना ही तिरंगा फहराते हैं और सलामी देते हैं".

बच्चे शुरू से देखते आ रहे ये दिनचर्या: नेहरू नगर में रहने वाले केके श्रीवास्तव बिलासपुर के कोनी आईटीआई में शिक्षक के पद पर रहे और उनकी पत्नी नीरजा श्रीवास्तव स्कूल शिक्षिका रही है. दोनों ही पति-पत्नी शासकीय आवास कोनी आईटीआई में रहते थे. दोनों के अंदर देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी है. उनकी यही भावना अब उनके परिवार और बच्चों में भी आ गई है. केके श्रीवास्तव और निरजा श्रीवास्तव की दो बेटियां और एक बेटा है. बचपन से ही बच्चे भी माता-पिता को झंडा फहराते और राष्ट्रगान गाते देखते और सुनते आ रहे हैं. अब वह तीनों भी तिरंगा के प्रति अटूट प्रेम रखते हैं.

ईमानदारी का पढ़ाते हैं पाठ: केके श्रीवास्तव ने बताया कि उनके बच्चे देश प्रेम और ईमानदारी का बचपन से पाठ पढ़ाते आ रहे हैं. इसी ईमानदारी की वजह से उनके बच्चे आज अच्छे संस्थानों में ऊंचे पद पर कार्यरत हैं. केके श्रीवास्तव की एक बेटी दिल्ली में डॉक्टर हैं तो दूसरी बेटी छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रिक बोर्ड में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है. साथ ही बेटा आईएएस की तैयारी कर रहा है. वह भी देश सेवा के लिए अपने आप को तैयार कर रहा है.

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज: शिक्षक केके श्रीवास्तव सन 2002 से अपने घर में तिरंगा फहरा रहे है. उनकी इस आदत से उनकी ख्याति लगातार बढ़ने लगी और उनके देश के आन, बान और शान तिरंगा के प्रति प्रेम को देखते हुए 2018 में गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने उनसे संपर्क किया. उनके विषय में पूरी जानकारी लेते हुए उनके पुराने रिकॉर्ड खंगाले गए. उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया.

झंडारोहण अभियान में पत्नी ने निभाया साथ: कोनी आईटीआई के शासकीय आवास पर जब पहली बार केके श्रीवास्तव ने 26 जनवरी 2002 को तिरंगा फहराया था तो लोगों ने उन्हें पागल, सनकी और कई तरह के व्यंग से कसा था. लेकिन उनके इस अभिनव प्रयास में उनकी पत्नी ने उनका बराबर साथ निभाया. उनकी पत्नी ने बताया कि जब उनके पति पहली बार घर में तिरंगा फहराए तो उन्हें लगा कि हो सकता है कि इनका तिरंगा फहराने का शौक था. उसे यह आज पूरा कर लिए लेकिन फिर उनके पति 15 अगस्त और जलियांवाला कांड को याद करते हुए रोजाना ही घर में तिरंगा फहराने लगे तो उन्हें लगा कि हो सकता है कि कुछ महीने यह ऐसा करेंगे. लेकिन लगातार पति के तिरंगा फहराने के जुनून ने उन्हें यह अहसास दिलाया कि पति तिरंगा के प्रति कितना प्रेम रखते हैं. फिर पति-पत्नी दोनों ही इस काम को रोजाना मिलकर करने लगे. कई बार जब पति बाहर जाते हैं तो पत्नी इस काम को अकेले ही करती है.

दूसरे बच्चों को सिखाते है तिरंगा का सम्मान करना: श्रीवास्तव दंपत्ति के तीनों बच्चे घर बाहर दूसरे शहर में रहते हैं. घर में पति-पत्नी ही रहते हैं इसलिए पति-पत्नी दोनों आस-पड़ोस के बच्चों को घर बुलाकर उनके साथ खेल-खेल में उन्हें तिरंगा के सम्मान के विषय में जानकारी देते हैं. पड़ोस में रहने वाले बच्चों को दोनों पति-पत्नी तिरंगा फहरा कर उसका सम्मान करना सिखा रहे हैं. पड़ोसियों के बच्चों ने बताया कि उन्हें तिरंगा फहराता देख अच्छा लगता हैं और वह भी तिरंगा फहराने पहुंच जाते हैं.उन्हें अंकल-आंटी तिरंगा फहराना सिखा रहे हैं, इसलिए वह भी रोजाना ही उनके पास आ जाते हैं और तिरंगा को सलामी देते हैं.

घरों में तिरंगा फहराने की 15 साल पुरानी मांग आज हो रही पूरी: केके श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले 15 साल से वह कहते रहे हैं कि शासकीय कार्यालयों के अलावा निजी संस्थानों में भी तिरंगा फहराया जाना चाहिए. साक्षी लोगों को देश के प्रति अपना प्रेम दर्शाते हुए घरों पर भी तिरंगा फहराना चाहिए. हालांकि केके श्रीवास्तव ने इसके लिए कहीं आवेदन या मांग तो नहीं किया लेकिन उनके अंदर यह इच्छा बसी हुई थी और अब आजादी के 75 साल पूरा होने पर भारत में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसी के तहत हर घर तिरंगा फहराया जाएगा.

बिलासपुर: आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाने की तैयारी है. इस दौरान हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. हालांकि बिलासपुर में 20 साल पहले ही इस अभियान की शुरूआत कर दी गई थी. दरअसल, 20 साल पहले ही इस अभियान की शुरूआत बिलासपुर के शिक्षक दंपती ने कर दी (Srivastava family of Bilaspur started Tiranga campaign)थी. शिक्षक दंपती रोजाना अपने घर की छत पर तिरंगा फहराते हैं और यह सिलसिला वह लगातार चला रहे हैं.

तिरंगा अभियान के सच्चे सिपाही

दिन की शुरूआत होती है तिरंगा फहराकर: शिक्षक दंपती यह अभियान अपने शासकीय आवास में शुरू किए थे, लेकिन अब रिटायर होने के बाद अपने निजी घर में इस अभियान को बरकरार रखे हुए हैं. उनके इस अभियान से यही महसूस होता है कि जिस काम को देश में शुरू किया गया है. उसे यह शिक्षक दंपती पिछले 20 सालों से करते आ रहे हैं. उनका जज्बा ऐसा है कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब वे तिरंगा झंडा फहरा कर उसे सलामी ना देते हों. रोजाना ही दिन की शुरुआत वह तिरंगा झंडा फहराकर करते हैं.

यह भी पढ़ें: देवरहा सेवा समिति ने की ‘हर घर तिरंगा अभियान’ की शुरुआत, निशुल्क तिरंगा किया वितरण

रिटायरमेंट के बाद घर में फहराते हैं तिरंगा: बता दें कि बिलासपुर के नेहरू नगर में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक केके श्रीवास्तव और उनकी प्राचार्य पत्नी निरजा श्रीवास्तव पिछले 20 सालों से रोजाना ही सुबह अपने घर में सतत ससम्मान संवैधानिक तरीके से तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्रगान के साथ सलामी देते हैं. केके श्रीवास्तव भले ही अब रिटायर हो चुके हैं, लेकिन उनके अंदर का जज्बा अब तक कम नहीं हुआ है. यह बढ़ता ही जा रहा है.श्रीवास्तव परिवार अपने दिन की शुरुआत तिरंगा झंडा फहराकर करता है.

सपरिवार फहराते हैं तिरंगा: इस विषय में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान केके श्रीवास्तव ने बताया, "सबसे पहले उठ कर मैं इसकी तैयारी करता हूं. इसके बाद पति पत्नी तिरंगा लेकर घर के छत पर पहुंचती है.ससम्मान तिरंगा को लगाकर फहराते हैं. राष्ट्रगान के साथ तिरंगे को सलामी देते हैं और इसके बाद ही अपने दिन के दूसरे काम करते हैं. शुरुआत में श्रीवास्तव परिवार अपने तीनों बच्चों के साथ तिरंगा झंडा फहराते थे, लेकिन बाद में बच्चे पढ़ाई और नौकरी के लिए शहर से बाहर चले गए. तब पति-पत्नी मोहल्ले के बच्चों को बुलाकर तिरंगा फहराते हैं. उन्हें इसके महत्व की जानकारी देते हैं."

तिरंगा को लेकर बचपन से जुनून: केके श्रीवास्तव ने बताया कि "जब उनकी 5-6 साल की उम्र थी तब उनके स्कूलों में तिरंगा झंडा फहराया गया था. तब वो तिरंगा तो नहीं फहरा सकते थे, लेकिन तिरंगा के प्रति उनके प्रेम की वजह से वह छात्रों की लाइन से हटकर तिरंगा की जमीन पर पड़ने वाली छांव पर खड़े हो गए. तब उन्हें एक शिक्षक ने तिरंगा की छांव से हटा दिया. तब से उनके मन में यह बात घर कर गई कि वह तिरंगा फहराएंगे. सुप्रीम कोर्ट के 2002 के ध्वजारोहण के एक फैसले के बाद से केके श्रीवास्तव को मौका मिल गया है. वह भी तिरंगा फहरा सकते हैं. तब उन्होंने अपने बचपन से बसे मन में तिरंगा के प्रति प्रेम को बाहर लेकर आया और अपने घर में ही तिरंगा फहराने लगे. तिरंगा के प्रति उनका प्रेम इतना ज्यादा है कि वह रोजाना ही तिरंगा फहराते हैं और सलामी देते हैं".

बच्चे शुरू से देखते आ रहे ये दिनचर्या: नेहरू नगर में रहने वाले केके श्रीवास्तव बिलासपुर के कोनी आईटीआई में शिक्षक के पद पर रहे और उनकी पत्नी नीरजा श्रीवास्तव स्कूल शिक्षिका रही है. दोनों ही पति-पत्नी शासकीय आवास कोनी आईटीआई में रहते थे. दोनों के अंदर देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी है. उनकी यही भावना अब उनके परिवार और बच्चों में भी आ गई है. केके श्रीवास्तव और निरजा श्रीवास्तव की दो बेटियां और एक बेटा है. बचपन से ही बच्चे भी माता-पिता को झंडा फहराते और राष्ट्रगान गाते देखते और सुनते आ रहे हैं. अब वह तीनों भी तिरंगा के प्रति अटूट प्रेम रखते हैं.

ईमानदारी का पढ़ाते हैं पाठ: केके श्रीवास्तव ने बताया कि उनके बच्चे देश प्रेम और ईमानदारी का बचपन से पाठ पढ़ाते आ रहे हैं. इसी ईमानदारी की वजह से उनके बच्चे आज अच्छे संस्थानों में ऊंचे पद पर कार्यरत हैं. केके श्रीवास्तव की एक बेटी दिल्ली में डॉक्टर हैं तो दूसरी बेटी छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रिक बोर्ड में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है. साथ ही बेटा आईएएस की तैयारी कर रहा है. वह भी देश सेवा के लिए अपने आप को तैयार कर रहा है.

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज: शिक्षक केके श्रीवास्तव सन 2002 से अपने घर में तिरंगा फहरा रहे है. उनकी इस आदत से उनकी ख्याति लगातार बढ़ने लगी और उनके देश के आन, बान और शान तिरंगा के प्रति प्रेम को देखते हुए 2018 में गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने उनसे संपर्क किया. उनके विषय में पूरी जानकारी लेते हुए उनके पुराने रिकॉर्ड खंगाले गए. उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया.

झंडारोहण अभियान में पत्नी ने निभाया साथ: कोनी आईटीआई के शासकीय आवास पर जब पहली बार केके श्रीवास्तव ने 26 जनवरी 2002 को तिरंगा फहराया था तो लोगों ने उन्हें पागल, सनकी और कई तरह के व्यंग से कसा था. लेकिन उनके इस अभिनव प्रयास में उनकी पत्नी ने उनका बराबर साथ निभाया. उनकी पत्नी ने बताया कि जब उनके पति पहली बार घर में तिरंगा फहराए तो उन्हें लगा कि हो सकता है कि इनका तिरंगा फहराने का शौक था. उसे यह आज पूरा कर लिए लेकिन फिर उनके पति 15 अगस्त और जलियांवाला कांड को याद करते हुए रोजाना ही घर में तिरंगा फहराने लगे तो उन्हें लगा कि हो सकता है कि कुछ महीने यह ऐसा करेंगे. लेकिन लगातार पति के तिरंगा फहराने के जुनून ने उन्हें यह अहसास दिलाया कि पति तिरंगा के प्रति कितना प्रेम रखते हैं. फिर पति-पत्नी दोनों ही इस काम को रोजाना मिलकर करने लगे. कई बार जब पति बाहर जाते हैं तो पत्नी इस काम को अकेले ही करती है.

दूसरे बच्चों को सिखाते है तिरंगा का सम्मान करना: श्रीवास्तव दंपत्ति के तीनों बच्चे घर बाहर दूसरे शहर में रहते हैं. घर में पति-पत्नी ही रहते हैं इसलिए पति-पत्नी दोनों आस-पड़ोस के बच्चों को घर बुलाकर उनके साथ खेल-खेल में उन्हें तिरंगा के सम्मान के विषय में जानकारी देते हैं. पड़ोस में रहने वाले बच्चों को दोनों पति-पत्नी तिरंगा फहरा कर उसका सम्मान करना सिखा रहे हैं. पड़ोसियों के बच्चों ने बताया कि उन्हें तिरंगा फहराता देख अच्छा लगता हैं और वह भी तिरंगा फहराने पहुंच जाते हैं.उन्हें अंकल-आंटी तिरंगा फहराना सिखा रहे हैं, इसलिए वह भी रोजाना ही उनके पास आ जाते हैं और तिरंगा को सलामी देते हैं.

घरों में तिरंगा फहराने की 15 साल पुरानी मांग आज हो रही पूरी: केके श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले 15 साल से वह कहते रहे हैं कि शासकीय कार्यालयों के अलावा निजी संस्थानों में भी तिरंगा फहराया जाना चाहिए. साक्षी लोगों को देश के प्रति अपना प्रेम दर्शाते हुए घरों पर भी तिरंगा फहराना चाहिए. हालांकि केके श्रीवास्तव ने इसके लिए कहीं आवेदन या मांग तो नहीं किया लेकिन उनके अंदर यह इच्छा बसी हुई थी और अब आजादी के 75 साल पूरा होने पर भारत में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसी के तहत हर घर तिरंगा फहराया जाएगा.

Last Updated : Aug 11, 2022, 3:44 PM IST
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