बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को क्षतिपूर्ति व पुनर्वास पाने का अधिकार है. यह शासन के साथ न्यायालयों की भी जिम्मेदारी है कि वे इसके लिए प्रावधान करें. सिंगल बेंच ने जारी किए हुए आदेश को चीफ जस्टिस के सामने भी भेजा है कि वह निर्देश दें कि आदेश की कॉपी प्रदेश के विधि सचिव क्रिमिनल कोर्ट के न्यायिक अधिकारियों राज्य न्यायिक अकादमी को भी दी जाए.
पीड़िता को क्षतिपूर्ति के संबंध में बोर्ड ने जारी नहीं किया आदेश
बता दें कि रायपुर जिले के रेप पीड़िता के मामले में फैसला जारी करते हुए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी किशोर को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी पाकर सजा तो सुनाई थी, लेकिन बोर्ड ने पीड़िता को क्षति पूर्ति देने के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया था, ना जिला व राज्य विधिक प्राधिकरण को इस संबंध में कोई अनुशंसा की. इस पर पीड़िता ने राज्य शासन व रायपुर कलेक्टर को प्रतिवादी बनाकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील की ओर से कहा गया कि निचली अदालत में पूरी सुनवाई के दौरान शासन की ओर से कोई भी वकील खड़ा नहीं हुआ था. इसलिए इस पक्ष को रखा नहीं जा सका कि पीड़िता को मुआवजा मिलना या दिया जाना चाहिए.
पढ़ें : SPECIAL : ''टच मी नॉट पानी पूरी'', साफ-सफाई से बेफिक्र हो उठाइए गुपचुप का लुत्फ
पीड़िता को 7 लाख रुपए मुआवजे देने का आदेश
वकील की ओर से कोर्ट के सामने यह भी दलील रखी गई कि शासन की नीति व मुआवजा नीति 2018 के तहत ऐसे मामलों में पीड़िता को पुनर्वास व मुआवजा देने का प्रावधान है. इसके बाद हाईकोर्ट ने शासन को आदेश जारी कर कहा है कि वह पीड़िता को 7 लाख रुपए मुआवजे के रूप में प्रदान करें. याचिका पर फैसला जारी करते हुए जस्टिस संजय. के. अग्रवाल ने याचिका को निराकृत कर दिया है.