बीजापुर: तेलंगाना के मेडारम मेले के तर्ज पर बीजापुर में दो वर्षों के अंतराल में पुजारी पारा मद्देड़ में मेले का आयोजन किया जा रहा है. इस वर्ष भी पूजा आरंभ कर दी गई है. बुधवार को गंगा स्नान, ध्वज पूजा, पोसम्मा पूजा और गोरला ग्राम से आई लक्ष्मी माता के भव्य स्वागत के साथ पूजा की शुरुआत की गई. पूजा के पहले दिन गाजे-बाजे के साथ देवी नृत्य सम्पन्न हुआ.
तीन दिन चलती है पूजा
पूजा के दूसरे दिन मुख्य रूप से माता कनका वनम के रूप को गद्दे पर बिठाकर सभी देवी देवताओं के साथ माता प्रवेश कराया जाता है. मद्देड़ में पूजा करने वाले कहते हैं कि यहां पूजा करने से सभी श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होती हैं. अंतिम दिन देवियों की विदाई के साथ पूजा का समापन किया जाएगा. मद्देड़ में पूजा करने के लिए जिले के अंदरूनी इलाकों के साथ-साथ तेलंगाना राज्य से भी हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं.
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तेलगू रीति-रिवाज से पूजा का आयोजन
तेलंगाना के मेडारम गांव में आयोजित होने वाली सममक्का सारका पूजा की तरह यहां भी पूजन का आयोजन किया जा रहा है. भक्तों का ताता मद्देड़ वन इलाके में लगा रहता है. तेलगू रीति-रिवाज पद्धति से ही यह पूजा की जा रही है. आदिवासी क्षेत्र के लोग भक्तिमय माहौल में डूबे हुए हैं. यह मेला तीन दिनों तक चलेगा. श्रद्धालु मेले में पहुंचकर अपनी मन्नतें पूरे विधि-विधान के साथ मांगते हैं. और देवी मां को चढ़ावा भी चढ़ाते हैं. मेले में पहुंचने के लिए भक्त करीब 25 से 30 किलोमीटर की पदयात्रा और नाच-गाकर पहुंच रहे हैं.