ETV Bharat / state

SPECIAL: पुल बनवा दो साहब, 'नहीं तो जिंदगी लॉकडाउन से भी बदतर हो जाएगी'

बीजापुर के ग्राम पंचायत उस्कालेड़, पामगल, कोत्तापल्ली, मिनकापल्ली, वंगापल्ली और मुत्तापुर के आश्रित सभी गांव के ग्रामीण बरसों से चिंतावागु नदी पर पुल बनने का इंतजार कर रहे हैं.

Villagers waiting for bridge
ग्रामीणों को पुल बनने का इंतजार
author img

By

Published : Apr 27, 2020, 11:00 PM IST

बिजापुर : चिंतावागु नदी किनारे बसे ग्राम पंचायत उस्कालेड़, पामगल, कोत्तापल्ली, मिनकापल्ली, वंगापल्ली और मुत्तापुर के आश्रित सभी गांव के ग्रामीणों को बरसात के दिनों में जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी कोत्तापल्ली के आश्रित गांव लोदेड़ के लोगों को होती है, क्योंकि इन्हें रोजमर्रा का सामान और मजदूरी के लिए 2 नालों और चिंतावागु नदी को पार करना होता है. बरसात के दिनों में उफनती चिंतावागु नदी को पार करने के दौरान कुछ ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. लोगों ने पुल, पुलिया की मांग की थी, इसके लिए गुहार लगाई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब ये फिर से आस लगाए हुए हैं कि बारिश से पहले कुछ इंतजाम हो जाए, नहीं तो फिर वही हालात होंगे, जिससे ये हमेशा जूझते आए हैं.

ग्रामीणों को पुल बनने का इंतजार

चिंतावागु नदी किनारे बसे ग्रामों में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने की वजह से बरसात के दिनों में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मरीजों को जान जोखिम में डालकर उपचार के लिए स्वास्थ्य केंद्र मद्देड़ आना पड़ता है. यही हाल बारिश में शिक्षा व्यवस्था का भी होता है. शिक्षक और बच्चे भी अपनी जान जोखिम डालकर चिंतावागु नदी पार करते हैं. ग्रामीण हर साल बाढ़ जैसी प्राकृतिक विपदा को झेलने के लिए मजबूर हैं.

पुल-पुलिया बनने की बाट जोह रहे ग्रामीण

कलेक्टर केडी कुंजाम ने मामले में कहा कि 'पुल-पुलिया का परीक्षण कराया जाएगा. उनके पास जो राशि है, उसमें काम हो जाता है, तो अच्छी बात है. बता दें कि पिछले कुछ साल में चिंतावागु नदी की बाढ़ से जानमाल का नुकसान झेल चुके कुछ ग्रामीणों ने मद्देड़ में अपना आशियाना बना लिया है, लेकिन सभी ग्रामीण इतने सक्षम नहीं हैं. नदी किनारे बसे लोग पुल-पुलिया बनने की बाट जोह रहे हैं, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से राहत मिल सके.

बिजापुर : चिंतावागु नदी किनारे बसे ग्राम पंचायत उस्कालेड़, पामगल, कोत्तापल्ली, मिनकापल्ली, वंगापल्ली और मुत्तापुर के आश्रित सभी गांव के ग्रामीणों को बरसात के दिनों में जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी कोत्तापल्ली के आश्रित गांव लोदेड़ के लोगों को होती है, क्योंकि इन्हें रोजमर्रा का सामान और मजदूरी के लिए 2 नालों और चिंतावागु नदी को पार करना होता है. बरसात के दिनों में उफनती चिंतावागु नदी को पार करने के दौरान कुछ ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. लोगों ने पुल, पुलिया की मांग की थी, इसके लिए गुहार लगाई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब ये फिर से आस लगाए हुए हैं कि बारिश से पहले कुछ इंतजाम हो जाए, नहीं तो फिर वही हालात होंगे, जिससे ये हमेशा जूझते आए हैं.

ग्रामीणों को पुल बनने का इंतजार

चिंतावागु नदी किनारे बसे ग्रामों में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने की वजह से बरसात के दिनों में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मरीजों को जान जोखिम में डालकर उपचार के लिए स्वास्थ्य केंद्र मद्देड़ आना पड़ता है. यही हाल बारिश में शिक्षा व्यवस्था का भी होता है. शिक्षक और बच्चे भी अपनी जान जोखिम डालकर चिंतावागु नदी पार करते हैं. ग्रामीण हर साल बाढ़ जैसी प्राकृतिक विपदा को झेलने के लिए मजबूर हैं.

पुल-पुलिया बनने की बाट जोह रहे ग्रामीण

कलेक्टर केडी कुंजाम ने मामले में कहा कि 'पुल-पुलिया का परीक्षण कराया जाएगा. उनके पास जो राशि है, उसमें काम हो जाता है, तो अच्छी बात है. बता दें कि पिछले कुछ साल में चिंतावागु नदी की बाढ़ से जानमाल का नुकसान झेल चुके कुछ ग्रामीणों ने मद्देड़ में अपना आशियाना बना लिया है, लेकिन सभी ग्रामीण इतने सक्षम नहीं हैं. नदी किनारे बसे लोग पुल-पुलिया बनने की बाट जोह रहे हैं, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से राहत मिल सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.