बीजापुर: एक महीने पहले 8 करोड़ 30 लाख में साढ़े 12 किलोमीटर तक सड़क बनाई गई थी, जो एक महीना भी पूरा नहीं कर सकी. महीनेभर में ही सड़क जर्जर हो गई है. आवापल्ली से उसूर तक बनने वाली सड़क की खुशी महीनेभर में ही ग्रामीणों में नाराजगी और गुस्से की वजह बन गई है. गुणवत्ताहीन सड़क सैकड़ों जगह से जर्जर हो गई है. डामर सहित बेस भी उखड़कर बाहर निकल आया है.
दरअसल, आवापल्ली से उसूर तक पक्की सड़क की मांग कई वर्षों से दर्जनों गांववाले कर रहे थे. आश्वासनों से भरे वादों के बीच भाजपा सरकार में आठ करोड़ 36 लाख की राशि स्वीकृत हुई. अब सत्ता में कांग्रेस काबिज हुई. जून महीने की बारिश में सुरक्षा बलों के जवानों की कड़ी सुरक्षा के बीच साढ़े 12 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य शुरू हुआ.
सड़क की तस्वीरें मुनाफे के खेल को बयां कर रही
सड़क निर्माण के शुरुआत से ही गुणवत्ता को लेकर ग्रामीण नाखुश थे, जिसकी शिकायत कई बार नेताओं, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और खुद कीस्टोन कंपनी के टेक्नीशियन को दी गई, लेकिन कंपनी ने काम जारी रखा. इतना ही नहीं बारिश के बीच मोटा मुनाफा कमाने का जो खेल खेला गया, वह एक महीने में ही उखड़कर सड़क के किनारे बिखर गया. अब सड़क की तस्वीरें मुनाफे के खेल को बयां कर रही है.
जवानों की मेहनत पर भ्रष्टाचार का दीमक पड़ गया भारी
नक्सलगढ़ में सड़क निर्माण कार्य में जवानों ने अपनी तैनाती देकर कार्य पूरा कराया था, लेकिन लोक निर्माण विभाग और कीस्टोन कंपनी के स्वार्थ ने जवानों के प्रयास और मेहनत पर पानी फेर दिया. नक्सली कदम-कदम पर आईईडी और बूबी ट्यूब्स लगाकर रखते थे, बावजूद इसके जवानों ने जान पर खेलकर सड़क बनवाई, लेकिन आज जवानों की मेहनत पर भ्रष्टाचार का दीमक भारी पड़ गया.
नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाने में हुए मशगूल
सड़क निर्माण कार्य के दौरान अपनी सरकारों का श्रेय लेने की होड़ में भाजपा-कांग्रेस के नेता लगे थे. एक-दूसरे पर बयानों और आरोपों का कीचड़ उछाल रहे थे, लेकिन सड़क के जर्जर होते ही अब खुद अपने बयानों पर मुकर रहे हैं. साथ ही तरक्की को अपना बताने वाले आज आरोप लगाने में मशगूल हैं. दर्जनों गांव के लिए लाइफ लाइन सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. जगह-जगह से डामर उखड़ कर मिट्टी ऊपर निकलकर आ गई है, जो खराब गुणवत्ता की पोल खोल रही है. वहीं ग्रामीण इस सड़क को बेहतर बनाने के साथ-साथ कंपनी और विभाग पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.