बीजापुर: बस्तर अंचल के आदिवासियों की समृद्ध संस्कृति के संरक्षण के लिए बीजापुर कलेक्ट्रेट में बैठक आयोजित की गई. जिसमें आदिवासी समाज के प्रमुख शामिल हुए. बैठक में गोंड, हल्बा, दोरला, मुरिया, उरांव, परधान समाज के पदाधिकारी मौजूद रहे.
मीटिंग में समाज प्रमुखों ने सामाजिक रीति-रिवाज, रिश्ते-नाते, देवी-देवताओं की पूजा पद्धति, धार्मिक मान्यताएं, पहनावा एवं सौंदर्य साधन, जन्म से जुड़ी प्रथायें, घर-परिवार की व्यवस्था, वैवाहिक व्यवस्था एवं नियम, मृत्यु से सम्बन्धित रीति-क्रियाकर्म पद्धति सहित स्थानीय बोली-भाषा, मूल निवास, त्यौहार एवं पर्व, नृत्य एवं गीत आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी.
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आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए बैठक
इसके साथ ही क्षेत्र का इतिहास, राजनीतिक व्यवस्था, ग्राम व्यवस्था, क्षेत्रीय बोली-भाषा का विकास क्रम, शिल्पकलाओं, मेले-मड़ई की विस्तृत जानकारी भी दी गई. इस बैठक में क्षेत्र के प्रमुख नृत्य, प्रकार एवं महत्व, स्थानीय गीत परम्परा, मेला-मड़ई एवं जात्रा से सम्बन्धित जनश्रुति, मान्यताएं, सामाजिक महत्व, गतिविधियां और पुरातात्विक संपदा सम्बन्धी इतिहास, संरक्षण की स्थिति, महत्व और पर्यटन स्थलों से सम्बन्धित महत्व, प्राकृतिक सौंदर्य सम्बन्धी विवरण के बारे में भी बताया.
बैठक में मौजदू रहे कई अधिकारी
बैठक में इन सभी मामलों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया. बैठक में डिप्टी कमिश्नर बीएस सिदार, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बीजापुर श्रीकांत दुबे, बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण में अभिलेखीकरण प्रकोष्ठ के प्रभारी अधिकारी अखिलेश मिश्रा सहित बीजापुर जिले के भोपालपटनम, भैरमगढ़, उसूर समेत ब्लाकों के सीईओ जनपद पंचायत और मंडल संयोजक मौजूद रहे.