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शहीद शंकर नाग के परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

3 अप्रैल को बीजापुर के तर्रेम में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ (bijapur police naxalite encounter) में बीजापुर जिले के मंगलनार गांव के रहने वाले एसटीएफ (special task force) जवान शंकर नाग भी शहीद हो गए थे. शहीद के जाने के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है. परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.

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शहीद शंकर नाग के परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
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Published : Apr 14, 2021, 8:18 PM IST

बीजापुर: 3 अप्रैल को बीजापुर के तर्रेम में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ (bijapur police naxalite encounter) में बीजापुर जिले के मंगलनार गांव के रहने वाले एसटीएफ (special task force) जवान शंकर नाग भी शहीद हो गए थे. शहीद के जाने के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है. परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.

शहीद शंकर नाग के परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

शहीद के पीछे भरा-पूरा परिवार

शंकर नाग के पिता का काफी पहले ही निधन हो चुका है. वहीं बुजुर्ग मां, पत्नी सुखदेई, 10 साल का बेटा कबीर, 5 साल की बेटी स्मिता और एक भाई समेत भरा-पूरा परिवार अपने पीछे छोड़ गए. याद में रोते-रोते पत्नी और बूढ़ी मां के आंसू तक सूख चुके हैं. वहीं बच्चे अभी भी पिता के आने का रास्ता देख रहे हैं. शहीद की पत्नी का कहना है कि अब घर को देखने वाला कोई नहीं रहा.

पत्नी को नौकरी देने की मांग

शहीद शंकर नाग अपने दो भाइयों में सबसे छोटे थे. उनकी शहादत के बाद बच्चों की पढ़ाई और परिवार के जीवन यापन को लेकर सभी परेशान हैं. शहीद के बड़े भाई संपत ने प्रशासन से बच्चों की शिक्षा और शहीद की पत्नी को नौकरी देने की मांग की है. ताकि वे अपना और बच्चों का गुजारा कर सकें.

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3 अप्रैल को हुई थी नक्सलियों से मुठभेड़

3 अप्रैल को बीजापुर जिले के तर्रेम में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. नक्सलियों से कड़ा मुकाबला करते हुए जवानों ने 12 नक्सलियों को मार गिराया था. नक्सलियों से लोहा लेते हुए 22 जवान शहीद हो गए थे. वहीं 31 जवान घायल हुए. इस मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास का अपहरण भी कर लिया गया था. जिन्हें बाद में मध्यस्थता के जरिए नक्सलियों के पास से रिहा कराया गया था.

बीजापुर: 3 अप्रैल को बीजापुर के तर्रेम में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ (bijapur police naxalite encounter) में बीजापुर जिले के मंगलनार गांव के रहने वाले एसटीएफ (special task force) जवान शंकर नाग भी शहीद हो गए थे. शहीद के जाने के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है. परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.

शहीद शंकर नाग के परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

शहीद के पीछे भरा-पूरा परिवार

शंकर नाग के पिता का काफी पहले ही निधन हो चुका है. वहीं बुजुर्ग मां, पत्नी सुखदेई, 10 साल का बेटा कबीर, 5 साल की बेटी स्मिता और एक भाई समेत भरा-पूरा परिवार अपने पीछे छोड़ गए. याद में रोते-रोते पत्नी और बूढ़ी मां के आंसू तक सूख चुके हैं. वहीं बच्चे अभी भी पिता के आने का रास्ता देख रहे हैं. शहीद की पत्नी का कहना है कि अब घर को देखने वाला कोई नहीं रहा.

पत्नी को नौकरी देने की मांग

शहीद शंकर नाग अपने दो भाइयों में सबसे छोटे थे. उनकी शहादत के बाद बच्चों की पढ़ाई और परिवार के जीवन यापन को लेकर सभी परेशान हैं. शहीद के बड़े भाई संपत ने प्रशासन से बच्चों की शिक्षा और शहीद की पत्नी को नौकरी देने की मांग की है. ताकि वे अपना और बच्चों का गुजारा कर सकें.

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3 अप्रैल को हुई थी नक्सलियों से मुठभेड़

3 अप्रैल को बीजापुर जिले के तर्रेम में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. नक्सलियों से कड़ा मुकाबला करते हुए जवानों ने 12 नक्सलियों को मार गिराया था. नक्सलियों से लोहा लेते हुए 22 जवान शहीद हो गए थे. वहीं 31 जवान घायल हुए. इस मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास का अपहरण भी कर लिया गया था. जिन्हें बाद में मध्यस्थता के जरिए नक्सलियों के पास से रिहा कराया गया था.

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