बीजापुर: सिलगेर में सुरक्षाबल के कैंप (Silger Camp of Bijapur) के विरोध के दौरान हुई पत्थरबाजी और गोलीकांड में 3 लोगों की मौत हो गई थी. 20 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इसे लेकर ग्रामीणों का 17 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी है. बीजेपी का 6 सदस्यीय जांच दल सिलगेर के लिए रवाना हुआ था. जो तर्रेम तक पहुंचा, लेकिन तर्रेम थाना के सामने से बीजेपी नेताओं को वापस लौटना पड़ा. कंटेनमेंट जोने होने के चलते बीजेपी जांच दल की टीम आगे नहीं जा सकी.
जांच दल की टीम में 2 पूर्वमंत्री, पूर्व बस्तर सांसद दिनेश कश्यप, पूर्व विधायक राजाराम तोडेंम, सुभाउ कश्यप और किरण देव शामिल थे. तर्रेम से सिलगेर सड़क पर करीब 2 किलोमीटर दूर तक पेड़ों को सड़क पर रखकर जाम किया गया है. जिसकी वजह से भाजपा के जांच दल को वापस लौटना पड़ा. पुलिस ने उन्हें वापस बुला लिया. ग्रामीणों से मुलाकात नहीं की जा सकी. बीजेपी ने इसके पीछे कांग्रेस सरकार का हाथ बताया है. सिलगेर के हालातों का जायजा लेने पूर्व अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय भी पहुंचे थे.
सिलगेर गोलीकांड पर बस्तर में सियासत, भाजपा के जांच दल को कांग्रेस ने बताया नौटंकी
ग्रामीण कैंप का कर रहे विरोध
बीजापुर के सिलगेर कैंप में 16 मई को हुई फायरिंग में 3 लोग मारे गए थे. घटना उस वक्त हुई जब लगभग 3 हजार ग्रामीण सिलगेर में स्थापित किए जा रहे CFPF कैंप का विरोध करने पहुंचे थे. गोली कांड के बाद भी ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे हैं. आदिवासी सुरक्षाबलों का रास्ता रोके मौके पर धरना दे रहे हैं. बस्तर में इसे लेकर राजनीति गर्म हो गई है. बीजेपी इसे लेकर भूपेश सरकार पर निशाना साध रही है. पूर्व बस्तर सांसद दिनेश कश्यप भूपेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं. वहीं कांग्रेस भी पीछे नहीं है बस्तर सांसद दीपक बैज ने इसे बीजेपी की नौटंकी बताया है. कुल मिलाकार इस पूरे मामले में सियासत चरम पर है.