बीजापुर: स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले छत्तीसगढ़ के सबसे सुदूर और धुर नक्सल प्रभावित जिला बीजापुर के कई गांवों को शिक्षा की आजादी मिली है. 'सलवा जुडूम अभियान' के चलते यहां 15 गांवों में 16 साल पहले बंद स्कूलों को फिर से खोला गया है.
बीजापुर ब्लॉक के पेद्दाजोजेर, चिन्नाजोजेर और कमकानारा गांव में बच्चों को स्कूल नसीब हुए हैं. 16 वर्षों से इन गांवों में शिक्षा की बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से सैकड़ों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित थे. इनके हाथों में अब कॉपी-कलम और किताब आ जाने से उन्हें अशिक्षा के अंधकार से आजादी मिल गई. अब यहां 15 अगस्त 2021 के दिन तिरंगा फहराया गया है और एक नई उम्मीद के साथ बच्चों को शिक्षा देने का प्रण लिया गया है.
जिला मुख्यालय बीजापुर से करीब 35 किलोमीटर दूर बसे गांव पेद्दाजोजेर में सामान्य तौर पर आसानी से पहुंच पाना बेहद मुश्किल है. इस गांव में पहुंचने के लिए नदी नालों और दुर्गम पगडंडियों के साथ दहशत की चुनौतियों को पार करना पहली चुनौती होती है. इस इलाके में 2005 में सलवा जुडूम अभियान के दौरान नक्सली दहशत के चलते बच्चों के प्राइमरी स्कूल बंद कर दिए गए थे. जिसके बाद स्कूलों का नामो निशाना मिट गया था.
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शिक्षा के अधिकार से वंचित इन गांवों के बच्चों के लिए जिले के कलेक्टर ने पहल की. जिसके बाद इन गांवों में बच्चों को शिक्षा के अधिकार से जोड़ने की पहल फिर से शुरू हो सकी है. वहीं, ग्रामीणों का भरोसा जीतने के बाद इस इलाके में फिर से अशिक्षा के अंधकार को दूर कर शिक्षा की अलख जलाने में कामयाबी मिली है.
इस इलाके के अधिकांश बच्चे तिरंगे की पहचान के साथ-साथ कॉपी कलम और किताब से भी अनजान थे. जिससे यहां की एक पूरी पीढ़ी अशिक्षा के अंधकार के दंश को झेल रही थी. स्कूल खुलने के बाद अब यह अंधकार उनके जीवन से हटकर उन्हें भविष्य की नई रोशनी की ओर ले जाने में सफलता मिलेगी. बीजापुर ब्लॉक के धुर नक्सल प्रभावित गांव पेद्दाजोजेर, कमकानार, डुवालीपारा, पूसनार, कचनार, चोखनपाल, मेटापाल, मर्रीवाडा, कचलराम, गुजजाकोट जैसे 15 स्कूलों को 16 वर्षों बाद खोला गया है. इन स्कूलों को खुलवाने के लिए क्षेत्रीय विधायक विक्रम शाह मंडावी और कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल ने विशेष भूमिका निभाई है.