बीजापुरः भोपालपटनम में रियासतकालीन स्कूल को इंग्लिश मीडियम बनाए जाने के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है. प्रशासन के आदेश के बाद लोग इसका विरोध कर रहे हैं. नये स्कूलों को लोग दूसरी जगह खोले जाने की मांग कर रहे हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल दूसरे स्थान पर खोला जाए. आगामी शिक्षा सत्र के लिए विकासखंड में एक शासकीय आत्मानंद इंग्लिश मीडियम के स्कूल संचालन का आदेश दिया गया है. जिसको लेकर भोपालपटनम ब्लॉक मुख्यालय में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोपालपटनम का स्कूल चयन किया गया है. इस बात की जानकारी मिलते ही भोपालपटनमवासी इसका विरोध शुरू कर दिए हैं. उनका कहना है कि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जिस जगह वर्तमान में संचालित हो रही है, उसे यथावत रखा जाए. इस विद्यालय के पूर्व प्राचार्य और शिक्षकों ने भी इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा कि भोपालपटनम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एक ऐतिहासिक धरोहर है.
आजादी के समय से संचालित हो रहा है विद्यालय
भोपालपटनम में संचालित हायर सेकेंडरी स्कूल वर्ष 1957 से संचालित हो रहा है. यहां के ऐतिहासिक परिदृश्य को देखते हुए वर्तमान में हिंदी माध्यम हायर सेकेंडरी स्कूल को बंद करके, उसके स्थान पर इंग्लिश हायर सेकेंडरी स्कूल खोला जाना उचित नहीं है. ये भोपालपटनम के ग्रामीणों और भोपालपटनमवासियो की मांग है. बुजुर्गों का कहना है कि, आजादी से पूर्व 1802 में भोपालपटनम में स्कूल खुल गया था. सन 1947 तक यहां का मिडिल स्कूल, एवीएम यानी वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल के नाम से जाना जाता था. सन 1948 से इसे आईएम इंडियन इंग्लिश मीडियम स्कूल कहा जाने लगा था. बताया जा रहा है कि तत्कालीन जमींदार कृष्णा पाम्भोई विद्यानुरागी थे. उनकी इच्छा अनुरूप यहां मिडिल स्कूल शुरू किया गया था.
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क्षेत्रवासी उठा रहे दूसरे जगह खोले जाने का मुद्दा
क्षेत्रवासियों का कहना कि वर्तमान में हिंदी हायर सेकेंडरी स्कूल को यथावत रखा जाए और आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल को अन्य भवन में संचालित किया जाए. जिससे इस ऐतिहासिक स्कूल को इसके मूल प्रकृति के अनुसार धरोहर के रूप में सुरक्षित रखा जा सके. बताया जाता है कि 1957 में बस्तर संभाग में मात्र 3 हाई स्कूल थे, जिसमें कांकेर, जगदलपुर और भोपालपटनम शामिल था. इतने पुराने स्कूल को बंद करने पर भोपालपटनम के छात्रों को बीजापुर पढ़ने जाना पड़ेगा. करीब 55 किलोमीटर दूर छात्रों को पढ़ने जाने में दिक्कत आएगी. वहीं स्थानीय लोगों के मांग पर जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि अब शासन स्तर पर ही इसमें बदलाव संभव है.