बीजापुर: भोपालपटनम में बड़े तालाब के पीछे श्मशान में प्राचीन शिव-मंदिर के अवशेष बिखरे पड़े हैं. साहित्यकार और स्थानीय लोगों ने पुरातत्व विभाग द्वारा इस स्थल को अपने संरक्षण में लेने की मांग की है ताकि इसके बारे में रिसर्च कर वहां के पुरातात्विक धरोहर को सामने लाया जा सके और उसे पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित किया जा सके.
शिवलिंग और नंदी समेत मिली कई मूर्तियां: दरअसल, भोपालपटनम् में बड़े तालाब के पीछे जंगल में श्मशान के रूप में चिह्नित जमीन पर शिवलिंग, नंदी, यक्षणियों, बुद्ध, विशेष मुद्रा में देवी, कुछ मूर्तियों के खंडित शीश, अधोभाग और अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं कई सालों से पड़ी हुई हैं. लोगों का मानना है कि इस स्थल पर या इसके आसपास जरूर कोई प्रचीन शिव-मंदिर या अन्य किसी देवता का भव्य मंदिर रहा होगा. कुछ मूर्तियां वहां से उठाकर गुल्लापेटा और भोपालपटनम् के शिव मंदिर में भी रखी गयी थीं, जो अब भी देखी जा सकती हैं.
देखरेख के अभाव में जीर्णावस्था में पड़ी हैं मूर्तियां: बड़े तालाब की मेड़ पर एक जटाधारी शिव-प्रतिमा, जिसके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू है, आधी धंसी हुई है. मेड़ पर भी मंदिर की कुछ शिल्प-संरचनाएं मिट्टी में दबी हुई है. इसी क्षेत्र में भोपालपटनम् जमींदार परिवार की दो भव्य छतरियां भी हैं, जो देखरेख के अभाव में अब जीर्ण अवस्था में रखी हुई है.
पर्यटन स्थल के रूप में किया दा सकता है विकसित: साहित्यकारों की मांग है कि छत्तीसगढ़ शासन के पुरातत्व विभाग द्वारा इस स्थल को अपने संरक्षण में लिया जाए. ताकि खुदाई कर यहां दबे पुरातात्विक धरोहर को प्रकाश में लाया जा सके. इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित भी किया जा सके. साहित्यकारों का मानना है कि इस खोज से निश्चत तौर पर भोपालपटनम् के गौरवशाली प्राचीन इतिहास के नये पन्ने खुलेंगे.
सुप्रसिद्ध साहित्यकार और जनजातीय संस्कृति के अध्येता-लेखक लक्ष्मीनारायण पयोधि इन दिनों अपने गृहनगर भोपालपटनम् के दौरे पर हैं. इस खोजी अभियान में उनके साथ जिला पंचायत सदस्य और छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण परिषद् के सदस्य बसंत राव ताटी और वरिष्ठ पत्रकार नारायण ताटी भी साथ थे.