बीजापुर: बीजापुर जिले में कुल 6 पर्यटन स्थल हैं. विभाग के बेवसाइट पर इन पर्यटन स्थलों का नाम दर्ज तो कर लिया गया है लेकिन असल में ये गुमनाम हैं. इनमें सकल नारायण गुफा, भैरमदेव मंदिर, भद्रकाली मंदिर, भैरमगढ़ वन्यजीव सेंचुरी, इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, पामेड़ वन्यजीव अभयारण्य शामिल है. इन जगहों पर खाने-पीने, रहने या फिर आवाजाही की कोई सुविधा प्रशासन की ओर से मुहैया नहीं की गई है.यही कारण है कि ये पर्यटन स्थल भले ही वेबसाइट पर अपना नाम दर्ज करवा चुके हों लेकिन इन स्थलों में मूलभूत सुविधा प्रशासन की ओर से नहीं दी गई है.
भगवान कृष्ण की उंगली पर है पहाड़: भोपालपटनम ब्लॉक मुख्यलाय से 8 किमी दूर पहाड़ी पर सकल नारायण मंदिर है, जहां हिन्दू नववर्ष के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. इस समय यहां भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है. यहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी ऊंगली पर पहाड़ उठाये हुए गुफा के अंदर दिखाई देते हैं. यहां जाने पर लोगों को कोई भी सुविधा नहीं मिलती है. खाने-पीने की व्यवस्था से लेकर यातायात के लिए भी लोगों को जद्दोजहद करना पड़ता है.
यह बसते हैं भगवान भोलेनाथ: भैरमगढ़ में स्थित बड़े पत्थरों पर नक्काशीदार अर्धनारिश्वर का एक चट्टान है. ये चट्टान 13वीं-14वीं शताब्दी से संबंधित है. ये भगवान शिव के अवतार हैं. मंदिर के 500 मीटर भीतर तक नाग राज से संबंधित कई ऐतिहासिक मूर्तियां इस मंदिर के महत्व को दर्शाती हैं. यहां भी पर्यटनों के आवाजाही के लिए सुविधाएं नहीं है.
नवरात्रि में होती है खास पूजा: भोपालपटनम से 17 किमी दूर भद्रकाली मंदिर है. यहां बसंत पंचमी के दिन मां काली की पूजा-अर्चना की जाती है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु देवी मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. नवरात्र के समय भक्तों का यहां ताता लगा रहता है. माता की ज्योत जलायी जाती है. साथ ही मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु: भद्रकाली मंदिर में मां के दर्शन के लिए भक्त महाराष्ट्र, तेलेंगाना, आंधप्रदेश से दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भैरमगढ़ वन्यजीव सेचुरी, इंद्रवती राष्ट्रीय उद्यान, पेमेड वन्यजीव अभयारण्य के बारे में जिले की वेबसाइट में दर्ज ये तीन अभ्यारणों की जानकारी दी गई है.इन तीनों को भी पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने 1983 में जंगली भैंसों के तीन शेष समूहों की रक्षा के लिए पौधे, पेड़, पक्षियों और जंगली जानवरों की विभिन्न प्रजातियों की रक्षा को इसे स्थापित किया है.
सबसे प्रसिद्ध बाघ भंडार: विभाग के अनुसार भैरमगढ़ वन्यजीव सेंचुरी 138. 95 वर्ग कि.मी के क्षेत्र में फैला है. इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, इस जिले के 2799. 8 किमी 2 के कुल क्षेत्रफल के साथ, 1981 में इंद्रवती ने राष्ट्रीय उद्यान की स्थिति और 1983 में भारत के प्रसिद्ध प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ रिजर्व को भारत के सबसे प्रसिद्ध बाघ भंडार में से एक बनने के लिए बनाया गया था.
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पामेड़ वन्यजीव अभयारण्य: यह अभयारण्य 262 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. पामेड. बीजापुर में महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है. यह अभयारण्य बाघ, पैंथर, चीतल और विभिन्न प्रकार के जीवों का घर है. यह कुल 260 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है.