बीजापुर: पिछली 4 मई को मंडई मेले से अगवा पुलिस जवान संतोष कट्टम को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है. पत्नी की गुहार पर नक्सलियों ने जवान को रिहा किया है. ग्रामीणों के बीच जन अदालत लगाकर नक्सलियों ने जवान को रिहाई दी और उसकी जान बख्शी. जवान ने कहा कि अब वो पुलिस की नौकरी नहीं करेगा.
संतोष कट्टम पुलिस विभाग में इलेक्ट्रीशियन के तौर पर भोपालपट्टनम में काम कर रहा था. वो छुट्टी लेकर बीजापुर आया था, तभी लॉकडाउन में फंस गया. संतोष 4 मई को गोरना में आयोजित वार्षिक मंडई मेले को देखने गया हुआ था. ग्रामीण वेशभूषा में वहां मौजूद नक्सलियों को उस पर शक हो गया. टी शर्ट और आई कार्ड से पहचानने के बाद नक्सलियों ने उसके हाथ-पैर बांध दिए और अपने साथ ले गए.
पत्नी और बेटी की गुहार के बाद नक्सलियों ने छोड़ा
जवान की पत्नी सुनीता और 10 साल की मासूम बेटी भावना उसकी रिहाई की अपील कर रहे थे. दोनों ने पत्रकारों के जरिए अपनी बात नक्सलियों तक पहुंचाई. जिसके बाद नक्सलियों ने संदेश भिजवाया कि वे इसे लेकर अपने इलाके में जनअदालत लगाने जा रहे हैं.
जन अदालत में लिया फैसला
संतोष की पत्नी और बेटी को भी उस जन अदालत में बुलाया गया. डेढ़ हजार ग्रामीणों की मौजूदगी में संतोष को जन अदालत में पेश किया गया. नक्सलियों ने 6 दिनों में उससे हुई पूछताछ का ब्यौरा दिया. अगवा जवान ने जनअदालत में आत्मसमर्पण करके पुलिस की नौकरी छोड़ने का एलान किया.
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अपहरण के दौरान बरामद सामान लौटाया
ये भी सिद्ध किया गया कि उसने अपनी नौकरी के दौरान किसी गांववाले को नहीं सताया है. ग्रामीणों की आमराय से नक्सलियों ने संतोष कट्टम की स्कूटी और उससे अपहरण के दौरान बरामद अन्य सामान लौटा दिया और उसे पत्नी व बेटी के साथ घर जाने की इजाजत दे दी. उन्होंने संतोष से यह वादा जरूर लिया है कि अब वह पुलिस की नौकरी नहीं करेगा और गांव में खेती कर गुजारा करेगा.