बीजापुर: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर नक्सल दंपति ने लाल आतंक का साथ छोड़ समाज की मुख्य धारा से जुड़ने की कसम खाई है. बीजापुर में नक्सली कमांडर राजू कारम ने अपनी पत्नी सुनीता कारम के साथ हथियार डाले और नक्सली विचारधारा से दूर होने का ऐलान किया. दोनों ने बीजापुर पुलिस टीम के सामने सरेंडर किया है. नक्सली राजू कारम और सुनीता कारम के उपर 8-8 लाख का इनाम घोषित था. ये दोनों नक्सलियों की ओडिशा और तेलंगाना स्टेट ब्यूरो के लिए काम करते थे. इस मौके पर सरेंडर कर चुके नक्सली राजू ने कहा कि नक्सलियों की नीयत में बदलाव आ गया है. वह खोखली विचारधारा को अपना रहे हैं इसलिए उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया. दोनों नक्सलियों ने बताया कि वह छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति से काफी प्रभावित है. इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया है.
राजू कारम और सुनीता कारम ने नक्सलियों के लिए ओडिशा स्टेट कमेटी के तहत कालाहांडी, कंधमाल, बोध, नयागढ़ डिविजन का जिम्मा संभाल रखा था. इसके अलावा तेलंगना स्टेट कमेटी में यह सेंट्रल रीजनल ब्यूरो सीसी प्रोटेक्शन ग्रुप कमांडर के तौर भी काम करते थे. दोनों नक्सलियों ने सीआरपीएफ के डीआईजी कोमल सिंह, एसपी बीजापुर कमलोचन कश्यप, सीआरपीएफ 85 बटालियन के कमांडर यादवेंद्र सिंह यादव के सामने सरेंडर किया है.
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राजू कारम कैसे लाल आतंक से जुड़ा ?
- साल 2013 में राजू गंगालूर एरिया कमेटी की तरफ से PLGA सदस्य के तौर पर भर्ती किया गया
- अक्टूबर 2013 में राजू कारम सीसी मेंबर जम्पन्ना उर्फ जग्गू नरसिम्हा रेड्डी का गार्ड बना
- इस दौरान उसने साल 2013 से 2017 तक ओडिशा में काम किया.
- उसके बाद जब नरसिम्हा ने तेलंगाना पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया तो राजू कारम नक्सलियों के तेलंगाना प्रभारी हरिभूषण के साथ काम करने लगा
- इसके बाद नक्सलियों के सेंट्रल रीजनल ब्यूरो में उसे प्रोटेक्शन ग्रुप कमांडर की जिम्मेदारी दी गई.
- इस पद पर उसने मार्च 2021 तक कार्य किया.
नक्सली सुनीता कारम ने कैसे थामा लाल आतंक का दामन
- साल 2014 में सुनीता कारम नक्सली कमलेश ताती के जरिए लाल आतंक से जुड़ी.
- जुलाई 2014 में उसने चिन्नाबोड़केल के जंगल में नक्सली मंगेश से ट्रेनिंग ली, यह ट्रेनिंग 30 दिनों तक चली.
- अगस्त 2014 में उसने LOS कमांडर अनीता कुरसम के साथ काम किया.
- साल 2015 में सुनीता को नक्सली कमांडर नरसिम्हा रेड्डी का गार्ड बनाकर ओडिशा भेज दिया गया, यहां उसने साल 2017 तक काम किया.
- उसके बाद साल 2017 से 2021 तक सुनीता ने नकसली हरिभूषण के साथ काम किया.
- साल 2015 में नरसिम्हा रेड्डी के गार्ड ड्यूटी के दौरान सुनीता की राजू से मुलाकात हुई. इसके बाद से दोनों साथ-साथ पति-पत्नी के रूप में रहने लग
अहम नक्सली वारदात में दोनों थे शामिल
- साल 2015 में ओडिशा के कंधमाल, कालाहांडी के मुठभेड़ में थे शामिल
- जुलाई 2016 में ओडिशा के कंधमाल और कालाहांडी में एनकाउंटर को दिया अंजाम
- दिसंबर 2017 में फरसेगढ़ के मुठभेड़ में निभाई भूमिका
- साल 2018 में कांकेर के कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर मुठभेड़ में था शामिल
- तेलंगाना पुलिस के साथ मुठभेड़ में भी राजू कारम ने निभाई अहम भूमिका, इस मुठभेड़ में 9 नक्सली मारे गए थे. जबकि एक जवान शहीद हुआ था.
नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आकर लिया फैसला
सरेंडर करने के बाद नक्सली राजू कारम ने बताया कि वह नक्सलियों की खोखली विचारधारा से परेशान था. इसलिए उसने अपनी पत्नी से बातकर इस आतंक की दुनिया से दूर होने का फैसला लिया. उसने बताया कि देश में क्रांति लाने के लिए उसने वामपंथी विचारधारा से प्रभावित होकर नक्सलवाद के रास्ते को चुना. लेकिन जब उसे नक्सलियों की खोखली विचारधारा के बारे में अहसास हुआ तो उसने लाल आतंक का साथ छोड़ दिया.