बीजापुर: जिले की पहचान नक्सली गतिविधियों के होती है. समय के साथ नक्सलियों पर लगाम लगाने और विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार ने सीआरपीएफ और अन्य कैंप स्थापित करने शुरू किए हैं. जिले में 57 कैंप स्थापित होने के बाद लगातार नक्सली वारदातों में कमी आ रही है. कई विकास योजनाएं चल रही है. जिससे जिले के लोग भी देश के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें. इन्हीं में एक है आवापल्ली-उसूर सड़क. इस सड़क का निर्माण पिछले 8 साल से हो रहा था. जवान दिन-रात सड़क बनाने में लगे मजदूरों और सामानों की सुरक्षा कर सड़क का निर्माण पूरा कराया है. सड़क बनने से ग्रामीण काफी खुश हैं. ग्रामीणों ने कहा कि वर्षों पुरानी मांग अब जाकर पूरी हुई है.
बीजापुर में कुल 57 कैंप स्थापित
जिले में नैमेड, बंगलापाल, कोडोली, पिनकोंडा, पुंडरी, बोदली, पातर पारा, केसकुतुल, कोइटपाल, पैदा कोडेपाल, गुदमा, करकेली, मिंगाचल में पुलिस कैंप स्थापित है. साथ ही जैवराम, जैतलूर, पामलवाया, चेरपाल, रेड्डी, महादेवघाट, चिन्नाकवाली, तिमीरगुड़ा, कोंगुपल्ली, संगमपल्ली, चेरपल्ली, रामपुरम, मेटलाचेरु, तारुर, मुरकीनार, चेरामनगी, नुकंपाल, गलगम, मुर्दोण्डा, तिम्मापुर, सारकेगुड़ा, पेगड़ापल्ली, तररेम और सीतापुर में भी सीआरपीएफ के 36 और सीएएफ के 21 समे 57 कैंप स्थापित हो चुके हैं. कैंप स्थापित होने से नक्सली गतिविधियों पर कुछ हद तक लगाम लगा है.
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2013 में शुरू हुआ था निर्माण
सड़क बनने से खुश ग्रामीणों ने कहा कि कैंप के चलते ही हमारे इलाके में सड़क बनी है. हम कई वर्षों से इसकी मांग कर रहे थे. 2013 में निर्माण शुरू हुआ था. सड़क बनने से हम काफी खुश हैं. सड़क बनने से अब गांव में एम्बुलेंस पहुंचेगी. इससे मरीजों को काफी सुविधा होगी. सड़क बनने से 12 महीने जिला मुख्यालय और ब्लॉक मुख्यालय जा सकेंगे. इसके बाद शासकीय अस्पताल, आंगनबाड़ी और अन्य भवन बना है. आवागमन में बरसात में भी कोई परेशानी नहीं हो रही है.
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इन सड़कों को बनवाने में कई जवानों ने दी अपनी शहादत दी
जिले की कई सड़के हैं, जिसे बनवाने में कई जवानों ने अपनी शहादत दी है. बीजापुर से आवापल्ली सड़क, तारालगुड़ा-अन्नाराम सड़क, भोपालपट्टनम-तारालगुड़ा सड़क, बीजापुर-गंगालूट सड़क निर्माण के दौरण कई जवानों ने शहादत दी. इसके बाद सड़क निर्माण पूरा हुआ. इन सड़कों के बनने से लाखों लोगों को इसका फायदा मिल रहा है.