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बीजापुर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र पामेड़ और जारपल्ली में मिले 21 नए कोरोना मरीज

दक्षिण बस्तर का पामेड़ इलाका धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र(Naxalite affected area) में से एक है. पामेड़ से लगे जारपल्ली में 21 नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है.बीजापुर के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बीआर पुजारी ने बताया कि AP स्ट्रेन N-440K खतरनाक वेरिएंट है. पामेड़ में हमारी टीम टेस्टिंग कर रही है. तेलंगाना से लौटने वालों की टेस्टिंग और ट्रैवल हिस्ट्री खंगाली जा रही है.अभी लक्षण सामान्य हैं.

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Published : May 29, 2021, 7:42 PM IST

Updated : May 29, 2021, 11:01 PM IST

naxal affected areas of south bastar
पामेड़ में 21 नए कोरोना मरीज

बीजापुर: बीते दो दिनों में इंटरस्टेट कॉरिडोर पामेड़ से लगे जारपल्ली में कोरोना के 21 नए संक्रमित मरीज मिले हैं. AP स्ट्रेन की आशंका के बीच मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बी आर पुजारी ने शुरुआती लक्षणों को सामान्य बताया है. लेकिन संक्रमितों की ट्रैवल हिस्ट्री खंगालने पर पता लगा कि सभी तेलांगाना से लौटे हैं. ऐसे में प्रशासन भी अब इस इलाके में टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर ध्यान दे रहा है. चूंकि पूरा बस्तर क्षेत्र नक्सलियों से प्रभावित (Naxalite affected area) माना जाता है. दक्षिण बस्तर के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर ऐसे जिले हैं जो सीधे तेलंगाना या आंध्रप्रदेश से जुड़े हैं. यहां AP N404K कोविड वेरिएंट के मिलने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

पामेड़ और जारपल्ली में मिले 21 नए कोरोना मरीज

नक्सलियों की इस पूरे इलाके में मजबूत पैठ है. जिस वजह से इस बीहड़ इलाके में कोविड टीकाकरण भी बहुत कम हो पाता है. नक्सलियों की दहशत मेडिकल टीम को जंगलों में जाने से रोकती है. बस्तर के कई नक्सल प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्यकर्मियों को टीकाकरण कराने से मना करने की खबरें भी सामने आई. वहीं बीते दिनों कमकानार में कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मियों के अपहरण की खबर के बाद हालात भी काफी बदले हैं.

सिलगेर गोलीकांड पर बस्तर में सियासत, भाजपा के जांच दल को कांग्रेस ने बताया नौटंकी

बड़ी संख्या में होता है पलायन

दशकों से बस्तर के आदिवासी जंगलों और नदियों के सहारे अपना भरण पोषण करते रहे हैं. फरवरी के शुरुआत से लेकर जून महीने की पहली बारिश के दौरान दक्षिण बस्तर से पलायन का दौर शुरू हो जाता है. सीधे सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमाओं से तेलांगाना की खम्मम, भूपालपल्ली और मुलगु जिलों में मजदूर जंगलो के रास्ते मजदूरी करने जाते हैं. जिसमें एक बड़ा कारण बस्तर में रोजगार की कमी और मनरेगा योजना में जमकर भ्रष्टाचार है.

पामेड़ में किया जा रहा कोरोना टेस्ट

दो दशकों से भी ज्यादा समय से साल दर साल पलायन के आंकड़ों में इजाफा होता जा रहा है. तेलांगाना से 10 किलोमीटर की दूरी पर पामेड़ मौजूद है. पामेड़ समूचे छत्तीसगढ़ को सीधे तेलांगाना से जोड़ने वाला और सघन नक्सलग्रस्त इलाका है. पामेड़ के रास्ते पलायन से लौटने वाले मजदूर बस्तर की सीमाओं में दंतेवाड़ा या बीजापुर प्रवेश करते हैं. एहतियातन पामेड़ में लोगों ने पुलिस की मदद से बैरिकेड बना दी है. ताकि लोगों को कोरोना टेस्ट के बाद ही प्रवेश दिया जाए.

कोरोना संक्रमण से मौत के बाद नक्सली आयतू का सुकमा पुलिस ने किया अंतिम संस्कार

AP स्ट्रेन के लक्षणों की पुष्टि नहीं

बीजापुर के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बीआर पुजारी ने बताया कि AP स्ट्रेन N-440K खतरनाक वेरिएंट है. पामेड़ में हमारी टीम टेस्टिंग कर रही है. तेलंगाना से लौटने वालों की टेस्टिंग और ट्रैवल हिस्ट्री खंगाली जा रही है. अभी लक्षण सामान्य हैं. बाकी आंध्र प्रदेश स्ट्रेन के प्रति टीमों को अलर्ट पर रखा गया है. जारपल्ली में जिन 21 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है, उसमें भी अभी तक AP स्ट्रेन के लक्षणों की कोई पुष्टि नहीं है, लेकिन एहतियात बरती जा रही है.

बीजापुर: बीते दो दिनों में इंटरस्टेट कॉरिडोर पामेड़ से लगे जारपल्ली में कोरोना के 21 नए संक्रमित मरीज मिले हैं. AP स्ट्रेन की आशंका के बीच मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बी आर पुजारी ने शुरुआती लक्षणों को सामान्य बताया है. लेकिन संक्रमितों की ट्रैवल हिस्ट्री खंगालने पर पता लगा कि सभी तेलांगाना से लौटे हैं. ऐसे में प्रशासन भी अब इस इलाके में टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर ध्यान दे रहा है. चूंकि पूरा बस्तर क्षेत्र नक्सलियों से प्रभावित (Naxalite affected area) माना जाता है. दक्षिण बस्तर के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर ऐसे जिले हैं जो सीधे तेलंगाना या आंध्रप्रदेश से जुड़े हैं. यहां AP N404K कोविड वेरिएंट के मिलने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

पामेड़ और जारपल्ली में मिले 21 नए कोरोना मरीज

नक्सलियों की इस पूरे इलाके में मजबूत पैठ है. जिस वजह से इस बीहड़ इलाके में कोविड टीकाकरण भी बहुत कम हो पाता है. नक्सलियों की दहशत मेडिकल टीम को जंगलों में जाने से रोकती है. बस्तर के कई नक्सल प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्यकर्मियों को टीकाकरण कराने से मना करने की खबरें भी सामने आई. वहीं बीते दिनों कमकानार में कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मियों के अपहरण की खबर के बाद हालात भी काफी बदले हैं.

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बड़ी संख्या में होता है पलायन

दशकों से बस्तर के आदिवासी जंगलों और नदियों के सहारे अपना भरण पोषण करते रहे हैं. फरवरी के शुरुआत से लेकर जून महीने की पहली बारिश के दौरान दक्षिण बस्तर से पलायन का दौर शुरू हो जाता है. सीधे सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमाओं से तेलांगाना की खम्मम, भूपालपल्ली और मुलगु जिलों में मजदूर जंगलो के रास्ते मजदूरी करने जाते हैं. जिसमें एक बड़ा कारण बस्तर में रोजगार की कमी और मनरेगा योजना में जमकर भ्रष्टाचार है.

पामेड़ में किया जा रहा कोरोना टेस्ट

दो दशकों से भी ज्यादा समय से साल दर साल पलायन के आंकड़ों में इजाफा होता जा रहा है. तेलांगाना से 10 किलोमीटर की दूरी पर पामेड़ मौजूद है. पामेड़ समूचे छत्तीसगढ़ को सीधे तेलांगाना से जोड़ने वाला और सघन नक्सलग्रस्त इलाका है. पामेड़ के रास्ते पलायन से लौटने वाले मजदूर बस्तर की सीमाओं में दंतेवाड़ा या बीजापुर प्रवेश करते हैं. एहतियातन पामेड़ में लोगों ने पुलिस की मदद से बैरिकेड बना दी है. ताकि लोगों को कोरोना टेस्ट के बाद ही प्रवेश दिया जाए.

कोरोना संक्रमण से मौत के बाद नक्सली आयतू का सुकमा पुलिस ने किया अंतिम संस्कार

AP स्ट्रेन के लक्षणों की पुष्टि नहीं

बीजापुर के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बीआर पुजारी ने बताया कि AP स्ट्रेन N-440K खतरनाक वेरिएंट है. पामेड़ में हमारी टीम टेस्टिंग कर रही है. तेलंगाना से लौटने वालों की टेस्टिंग और ट्रैवल हिस्ट्री खंगाली जा रही है. अभी लक्षण सामान्य हैं. बाकी आंध्र प्रदेश स्ट्रेन के प्रति टीमों को अलर्ट पर रखा गया है. जारपल्ली में जिन 21 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है, उसमें भी अभी तक AP स्ट्रेन के लक्षणों की कोई पुष्टि नहीं है, लेकिन एहतियात बरती जा रही है.

Last Updated : May 29, 2021, 11:01 PM IST
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