बीजापुर: बीजापुर जिले का महाराष्ट्र और तेलंगाना से रोटी बेटी का नाता है. बीजापुर की बेटी महाराष्ट्र और तेलंगाना की बहू बन कर गईं है या फिर उस राज्य से बहू बन कर आई है. यही नहीं बीजापुर जिले में अधिकांश लोगों की बोली भी एक सी है. खान पान और रीति रिवाज भी मिलता जुलता है.
पुल निर्माण से अंदरूनी गांवों तक पहुंचेगा विकार: बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र काटारा ने बताया कि "यह पुल बीजापुर को महाराष्ट्र और तेलंगाना से जोड़ने का काम करेगा. पुल नदी के उस पार के पंचायतों को जोड़ेगा. जिससे हम वहां तक मूलभूत सुविधाओं का वहां तक पहुंचा पाएंगे. पुल के बनने से नदी पार के दर्जनों गांवों तक विकास पहुंचेगा. पीडीएस राशन सेंटर, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र खुलेंगे. ग्रामीणों तक सीधा सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचेगा. इस क्षेत्र में इन्द्रावती नदी के खूबसूरत घाटों पर पर्यटन को भी विकसित किया जा सकेगा.अब देखना यह है की धुर नक्सल प्रभावित इलाके में पुल बनने से अन्य राज्यों से यह जुड़ पाता है कि नहीं."
कड़ी सुरक्षा के बीच पुल निर्माण का काम जारी: नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ से लगा यह इलाका बेहद संवेदनशील है. यहां सीएएफ और डीआरजी की कड़ी सुरक्षा के बीच पुल का काम जारी है. वहीं अब इस पुल निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीण विरोध में जुटे हैं. पुल की दूसरी ओर रोजाना लोग जुटते हैं. शांति के प्रतीक सफेद कपड़े पानी मे टांगकर विरोध करते हैं. ज़ब से तिमेड में इंद्रावती का पुल बना तब से इलाके के लोगों को ही नहीं अपितु पूरे व्यापारी वर्ग को भी काफ़ी फायदा और आराम मिल गया. उसी कड़ी में यह पुल भी बनने से व्यापारी, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत हर किसी को आवागमन की सुविधा हो जाएगी उसके अलावा इलाके नक्सली दहशत मे भी कमी आयेगी.