बीजापुर: कोरोना वायरस ने आज विश्व को जकड़ लिया है. कोविड-19 के देश में लॉकडाउन है. इससे छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं रहा. छत्तीसगढ़ में भी अब तक 59 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 53 ठीक भी हो गए हैं. जबकि 6 अभी भी कोरोना वायरस के गिरफ्त में हैं. अब छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के संक्रमण के तेजी से फैलने का डर सताने लगा है. बीजेपी और जेसीसी (जे) ने सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन और वन विभाग पर आरोप लगाया है.
तेंदूपत्ता तोड़ने का काम शुरू होने से खिले ग्रामीणों के चेहरे
बीजेपी के जिलाध्यक्ष श्रीनिवास मुदलियार, जेसीसी (जे) जिलाध्यक्ष सकनी चंद्रया ने जिला प्रशासन और वन विभाग पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि बीजापुर जिला महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा से लगा हुआ है. वर्तमान समय में सीमावर्ती राज्य कोरोना वायरस के प्रकोप से ग्रसित है. अगर सीमा पर सावधानी नहीं बरती गई तो कोरोना वायरस के संक्रमण को जिले में फैलने से नहीं रोका जा सकेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजापुर जिला प्रशासन के उदासीन रवैया से तेंदूपत्ता तोड़ाई कार्य के लिए नियमों को ताक पर रखकर लोगों को दूसरे राज्यों से आने दिया जा रहा है.
बीजापुर: 31 लोग किए गए क्वॉरेंटाइन, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश से आए थे व्यापारी
तेलंगाना के ठेकेदारों को लेकर उठा सवाल
सकनी चंद्रया ने कहा कि जिला प्रशासन और वन विभाग ने अपना हित साधने के लिए नियमों को ताक में रखकर महाराष्ट्र और तेलंगाना के तेंदूपत्ता ठेकेदार को बीजापुर बुलाया. इतना ही नहीं उनके सहयोगियों को रातों-रात पास बनाकर बीजापुर में प्रवेश करवाया जाना, जिसकी खबर मीडिया में प्रकाशित होने के 24 घंटे बाद भी उन्हें क्वॉरेंटाइन न किया जाना प्रशासन की लापरवाही है. अगर बीजापुर में कोरोना वायरस का फैलाव होता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा इसको तय करना भी आवश्यक है.
लापरवाही: बीजापुर में घूमते दिखे तेलंगाना से आए व्यापारी
ठेकेदार अपने तो मजदूर पराया क्यों ?
इन ठेकेदारों के आड़ में कई मजदूरों का भी बीजापुर जिले में लॉकडॉउन के नियमों का पालन किए बिना प्रवेश हुआ है. उनके माध्यम से भी कोरोना महामारी का फैलाव होने से इनकार नहीं किया जा सकता, जिसकी भी जवाबदेही प्रशासन की होगी. जब जिला प्रशासन और वन विभाग को तेंदूपत्ता के ठेकेदार और उनके सहयोगियों के प्रति इतनी ही संवेदना थी, तो इस जिले में कई मजदूर अन्य सीमावर्ती राज्य में फंसे हुए हैं, उन्हें लॉकडाउन के नियमों को शिथिल कर वापस लाने में अपनी संवेदनशीलता क्यों नहीं दिखाई ?... क्यों उन्हें नियमों का हवाला देकर अपने राज्य, जिला, गांव और घर आने से वंचित रखा गया है?... क्यों तेंदूपत्ता ठेकेदारों को उनके सहयोगियों को प्रशासन पास उपलब्ध करवाकर नगर में बेखौफ घूमने की अनुमति दी ? जबकि बीजापुर जिला कोरोना महामारी के प्रकोप से मुक्त है.
कोरोना संकट के बीच 'हरा सोना' बनेगा ग्रामीणों के लिए वरदान
'कोरोना वायरस का जिम्मेदार वन विभाग होगा'
सकनी चंद्रया ने कहा कि समय-समय पर सरकारों के साथ-साथ यहां के जिला प्रशासन भी काफी सजगता, गंभीरता से जिले की सुरक्षा करने में काफी संवेदनशील रहा, लेकिन ऐसा क्या कारण है, कि तेंदूपत्ता ठेकेदारों को उनके सहयोगियों के प्रति प्रशासन की उदासीनता होना समझ से परे है. जिला प्रशासन को काफी गंभीरता से चिंतन कर सीमा पर अन्य राज्यों से आने वाले व्यक्तियों का प्रवेश पर रोक लगाने की जरूरत है, जिससे वैश्विक महामारी से बचाव किया जा सकता है. सकनी चंद्रया का कहना है कि अगर जिले में कोरोना का एक भी केस पॉजिटिव आया, तो उसकी पूरी जवाबदारी जिला प्रशासन और वन विभाग की होगी.
नारायणपुर: 'हरे सोने' का संग्रह शुरू, बदल रही ग्रामीणों की तकदीर
32 करोड़ से अधिक का पारिश्रमिक मिलेगा
बता दें कि इस साल 80 हजार तेंदूपत्ता मानक बोरे का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें 54 हजार संग्राहक परिवार तोड़ाई करेंगे. तेंदूपत्ता को जिले में 'हरा सोना' कहा जाता है और इस साल संग्राहकों को 32 करोड़ से अधिक का पारिश्रमिक मिलेगा.