बीजापुर: बीजापुर के मोरमेड और चिंतनपल्ली के जंगलों में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. सुरक्षाबल के जवानों ने तीन नक्सलियों को सहायक आरक्षक हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार नक्सलियों के खिलाफ पुलिस थाना तोयनार में मामला दर्ज कर न्यायालय बीजापुर पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है.
चिंतनपल्ली के जंगल से नक्सली गिरफ्तार: पुलिस सूत्रों के अनुसार, बस्तर फाइटर 19/सी छसबल तोयनार और तोयनार थाना पुलिस की संयुक्त टीम मंगलवार को नक्सल विरोधी अभियान के तहत गश्त में निकली थी. सुरक्षाबल के जवान मोरमेड और चिंतनपल्ली की ओर निकले थे. इसी दौरान चिंतनपल्ली के जंगल से सुरक्षाबलों को तीन नक्सलियों को पकड़ने में सफलता मिली. गिरफ्तार नक्सली का नाम विज्जा तेलम (उम्र 45 वर्ष) है, जो माओवादी दल के जनताना सरकार अध्यक्ष रहा है. वहीं बुधु कुड़ियम उम्र 43 वर्ष और अशोक कुड़ियम उम्र 21 वर्ष है. यह दोनों नक्सली जन मिलिशिया सदस्य रहे हैं. गिरफ्तार नक्सली के खिलाफ तोयनार पुलिस ने कार्रवाई कर न्यायालय बीजापुर पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है.
कई वारदातों में रहे हैं शामिल: गिरफ्तार माओवादी 03 फरवरी 2018 को कचलारम के पास सहायक आरक्षक सीताराम बाकड़े की हत्या की वारदात में शामिल रहे हैं. साथ ही 21 जून 2018 को कचलारम जंगल में पुलिस पार्टी के उपर फायरिंग, 01 अक्टूम्बर 2019 को दूपेली मातलापारा के ग्रामीण का अपहरण कर हत्या करने में इनका हाथ था. इन तीनों माओवादी के खिलाफ थाना तोयनार में 03-03 स्थाई वारंट लंबित है.
पर्चा जारी कर महेश गोटा पर हमला स्वीकारा: नक्सलियों के पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी ने भाजपा नेता और पूर्व सरपंच महेश गोटा पर जानलेवा हमला करना स्वीकारा है. नक्सलियों ने पर्चा जारी कर महेश गोटा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने महेश गोटा पर पुलिस का साथ देने, फरसेगढ़ थाना में हेलीपेड निर्माण, आदिवासियों के जमीन हड़पने, ठेकेदारों के साथ मिलकर अंदरूनी इलाकों में पुल-पुलिया निर्माण, कुछ सरपंचों को अपने पक्ष में लेकर माओवादी अभियान को कुचलने का आरोप लगाया है.
महेश को फरसेगढ़ से किया था अगवा: पिछले दिनों 21 अगस्त को फरसेगढ़ से नक्सलियों ने चिकट राज पहाड़ में पूजा करने गए पूर्व सरपंच महेश गोटा को अगवा कर लिया था. जिसके बाद नक्सलियों ने पूर्व सरपंच पर धारदार हथियार से हमला कर उसे बुरी तरह से घायल कर दिया और महेश गोटा को मरा हुआ समझकर सोमनपल्ली के पास छोड़ दिया. जिसके बाद गांववालों ने महेश को तुरंत अस्पताल पहुंचाया था. हालत बिगड़ने पर जगदलपुर से महेश को दिल्ली रेफर किया गया था.