बीजापुर: जिले के वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों ने सुरक्षाबल जवानों के साथ मिलकर112वां भूमकाल स्मृति दिवस मनाया. इस अवसर पर थाना क्षेत्रों, ग्राम पंचायतों में कार्यक्रम का आयोजन कर क्षेत्र की युवा पीढ़ी और जनता को अपने इलाके में शांति, सुरक्षा, विकास के लिये समर्पित होकर काम करने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही ये भी अपील की गई कि युवा पीढ़ी हिंसात्मक गतिविधियों और विचारधारा का विरोध करें.
![bhumkal diwas celebration in bijapur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bjr-01-bhumkal-av-cg10026_11022022083601_1102f_1644548761_765.jpg)
दक्षिण पश्चिम बस्तर के बीजापुर जिले के वनांचल क्षेत्र में क्रांतिकारी युद्ध का नेतृत्व करने वाले जननायक गुंडाधुर और दूसरे शहीदों की स्मृति में हर साल 10 फरवरी को भूमकाल दिवस मनाया जाता है. बीजापुर में तर्रेम, ईलमिड़ी, बासागुड़ा, उसूर, भद्राकाली, तारलागुड़ा,मिरतूर, आवापल्ली, मद्देड़(मिनकापल्ली) थानाक्षेत्रों में शहीद की स्मृति में जिला पुलिस, अर्द्धसैनिक बल, जन प्रतिनिधियों और ग्रामीणो ने एक साथ मिलकर भूमकाल दिवस मनाया. पहले भूमकाल दिवस पर नक्सली बंद का आह्वान कर भूमकाल दिवस मनाने की अपील करते थे. लेकिन अब ग्रामीणों को अपने साथ जोड़ने पुलिस वृहद आयोजन कर भूमकाल दिवस मना रही है.
भूमकाल दिवस पर कांकेर में रैली, बड़ी संख्या में जुटे आदिवासी समाज के लोग
क्या है भूमकाल दिवस (What is bhumkal diwas)
छत्तीसगढ़ के बस्तर में 112वां भूमकाल स्मृति दिवस मनाया जा रहा है. साल 1910 का महान भूमकाल आंदोलन बस्तर के इतिहास में सबसे प्रभावशाली आंदोलन था. इस विद्रोह ने बस्तर में अंग्रेजी सरकार की नींव हिला दी थी. पूर्ववती राजाओं की नीतियों और सामंतवादी व्यवस्था के कारण बस्तर अंग्रेजों का औपनिवेशिक राज्य बन गया था. बस्तर की भोली-भाली जनता पर अंग्रेजों का दमनकारी शासन चरम पर था. दो सौ साल से विद्रोह की चिंगारी भूमकाल के रूप में विस्फोट हो गई थी.
![bhumkal diwas celebration in bijapur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bjr-01-bhumkal-av-cg10026_11022022083601_1102f_1644548761_730.jpg)
बस्तर में गुंडाधुर का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. गुंडाधुर आज भी यहां अमर हैं. गुंडाधुर दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत से बस्तर को आजादी दिलाने वाले नायकों की अग्रिम पंक्ति में शामिल हैं. इस महान भूमकालेया आटविक योद्धा गुंडाधुर का शौर्य गीत आज भी बस्तर में गाया जाता है. प्रतिवर्ष 10 फरवरी को भूमकाल दिवस के रूप में मनाया जाता है.