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बीजापुर: तेलुगू रीति रिवाज से मनाई जा रही नवरात्रि, बतकम्मा गौरी की हुई पूजा

शारदीय नवरात्रि के मौके पर बीजापुर में महिलाओं ने बतकम्मा त्यौहार मनाया. क्षेत्र की महिलाओं ने तेलुगू रीति-रिवाज से बतकम्मा गौरी की पूजा-अर्चना की और नृत्य-संगीत भी किया.

Batakamma Gauri festival celebrated in Bijapur
गौरी के चारो ओर घूमकर नाचती महिलाएं
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Published : Oct 23, 2020, 3:54 PM IST

Updated : Oct 23, 2020, 11:06 PM IST

बीजापुर: जिला मुख्यालय समेत भोपालपट्टनम, मद्देड़, आवापल्ली, मोडकपाल, गिलगिच्चा समेत भोपालपट्टनम ब्लॉक के गांव में भी नवरात्रि के शुभ अवसर पर तेलुगू रीति-रिवाज से बतकम्मा त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है.

बतकम्मा त्यौहार मनाती महिलाएं

कोरोना काल के बीच इस पर्व में नियम के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. पर्व में शामिल होने वाले को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. हर साल नवरात्रि पर्व पर इलाके में 9 दिन तक महिलाएं अपने परिवार और इलाके में सुख, शांति और समृद्धि के लिए माता गौरी से मन्नतें मांगती हैं.

महिलाएं करती हैं नृत्य

महिलाएं शाम से देर रात तक माता गौरी की पूजा-अर्चना कर नृत्य और गीतों के जरिए भक्तिमय वातावरण बनाती हैं. क्षेत्र में इसे बतकम्मा त्यौहार के नाम से जाना जाता है. गांवों में आयोजित इस बतकम्मा पर्व को सफल बनाने में बुजुर्गों के मार्गदशन से युवतियां और नवयुवक भी सहयोग कर रहे हैं.

एग्जीबिशन में शहीदों के शौर्य का प्रदर्शन, बच्चों ने दिखाया उत्साह

क्या होती है बतकम्मा पूजा

बतकम्मा पूजा में गौरी यानी फूलों से 7 लेयर में गोपुरम मंदिर की आकृति बनाई जाती है. इसे बतकम्मा महागौरी के रूप में पूजा जाता है. महिलाएं फूलों से बनी आकृति की परीक्रमा कर नृत्य आदि करती है. इसके बाद नवरात्र के आखिरी यानी 9वें दिन सद्दुल के नाम से पूजा की जाती है. उस दिन फूलों से बने बतकम्मा की बड़ी आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है और फिर इसका विसर्जन किया जाता है. विसर्जन के बाद महिलाएं वापस मंदिर में आकर काकड़ आरती कर प्रसाद लेती हैं. इसके साथ ही इस पूजा का समापन होता है.

बीजापुर: जिला मुख्यालय समेत भोपालपट्टनम, मद्देड़, आवापल्ली, मोडकपाल, गिलगिच्चा समेत भोपालपट्टनम ब्लॉक के गांव में भी नवरात्रि के शुभ अवसर पर तेलुगू रीति-रिवाज से बतकम्मा त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है.

बतकम्मा त्यौहार मनाती महिलाएं

कोरोना काल के बीच इस पर्व में नियम के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. पर्व में शामिल होने वाले को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. हर साल नवरात्रि पर्व पर इलाके में 9 दिन तक महिलाएं अपने परिवार और इलाके में सुख, शांति और समृद्धि के लिए माता गौरी से मन्नतें मांगती हैं.

महिलाएं करती हैं नृत्य

महिलाएं शाम से देर रात तक माता गौरी की पूजा-अर्चना कर नृत्य और गीतों के जरिए भक्तिमय वातावरण बनाती हैं. क्षेत्र में इसे बतकम्मा त्यौहार के नाम से जाना जाता है. गांवों में आयोजित इस बतकम्मा पर्व को सफल बनाने में बुजुर्गों के मार्गदशन से युवतियां और नवयुवक भी सहयोग कर रहे हैं.

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क्या होती है बतकम्मा पूजा

बतकम्मा पूजा में गौरी यानी फूलों से 7 लेयर में गोपुरम मंदिर की आकृति बनाई जाती है. इसे बतकम्मा महागौरी के रूप में पूजा जाता है. महिलाएं फूलों से बनी आकृति की परीक्रमा कर नृत्य आदि करती है. इसके बाद नवरात्र के आखिरी यानी 9वें दिन सद्दुल के नाम से पूजा की जाती है. उस दिन फूलों से बने बतकम्मा की बड़ी आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है और फिर इसका विसर्जन किया जाता है. विसर्जन के बाद महिलाएं वापस मंदिर में आकर काकड़ आरती कर प्रसाद लेती हैं. इसके साथ ही इस पूजा का समापन होता है.

Last Updated : Oct 23, 2020, 11:06 PM IST
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