बेमेतरा: हमारे अभियान 'आओ स्कूल चलें' के दौरान हमने प्रदेश की पॉजिटिव और बेहतर तस्वीरें आप तक पहुंचाई थी लेकिन अब हम सवाल करेंगे उन विद्यालयों के बारे में, जहां छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए भी मासूम तरस रहे हैं.
ये टूटी दीवारें, ये खराब पड़े टेबल और कुर्सी, टूटा ब्लैक बोर्ड और उखड़ता प्लास्टर सब ये पूछ रहे हैं कि यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की सुध लेने वाला कौन है. ये तस्वीरें जिला मुख्यालय से महज 5 किमी दूर बीजाभाठ गांव की पुरानी पूर्व माध्यमिक शाला की हैं. भवन जर्जर हो चुका है. जिन हालात में ये कक्षाएं यहां लग रही हैं, उसे देखकर हर वक्त हादसे का डर सताता रहता है.
इस स्कूल में 5 कमरें हैं, जिसमें 3 में तो ताले जड़े हुए हैं. जिन कमरों में ताले हैं, वहां कबाड़ जमा हुआ है. एक कमरे में ऑफिस हैं, तो बचता है सिर्फ एक कक्ष, जिसमें 8वीं के छात्र-छात्राओं को बैठाया जाता है. जो बच्चे उस कमरे में नहीं बैठ पाते वे बरामदे में पढ़ते हैं. बारिश के मौसम में हाल और बुरा हो जाता है. छत टपकती हैं और प्लास्टर गिरता रहता है. जिससे मासूम हर वक्त डर के साये में रहते हैं.
स्कूल के शिक्षक युगल किशोर शर्मा ने बताया कि पिछले 4 साल से हर वर्ष स्कूल मरम्मत का प्रस्ताव आता है, जिसे खर्च के हिसाब से बता भी दिया जाता है. लेकिन राशि आज तक नहीं मिली है. हाल ये है कि अब स्कूल का काम मरम्मत से नहीं बल्कि दूसरा भवन बनाकर ही चल पाएगा.
जिला शिक्षा अधिकारी सी एस ध्रुव ने बताया कि संकुल समन्यवक और BEO को जांच के लिए स्कूल भेजा जाएगा. भवन मरम्मत के लायक होगी तो राशि जारी की जाएगी और हाल बहुत बुरा हुआ तो भवन गिराया जाएगा.