बेमेतरा: प्रदेश का पहला गौ अभयारण्य बेमेतरा जिले के झालम गांव में 72 एकड़ के क्षेत्रफल बनाया गया है. जो इन दिनों जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते जस का तस है. वर्तमान में हालात ये है कि 150 मवेशी रखने वाले टीन शेड में 221 मवेशियों को ठूंस-ठूंसकर भरकर रखा गया है. वहीं निर्माण के सालों बाद भी ना तो टीन शेड में बढ़ोत्तरी की गई है और ना ही क्षेत्रफल बढ़ाया गया है.
2008 में गौ अभयारण्य के निर्माण करने की मुख्य वजह लावारिश मवेशी थे. लेकिन अभयारण्य बनने के सालों बाद भी किसानों की समस्या जस की तस है. किसानों की फसल लावारिश मवेशी चट कर रहे हैं. लेकिन इसके बाद भी गौ अभयारण्य में मवेशी रखने के लिए टीन शेड की क्षमता में कोई सुधार नहीं हो पाया है.
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गौ अभयारण्य की देखरेख गौ सेवा आयोग का पशु विभाग करता है. पशु विभाग ने अपने तीन कर्मचारियों की ड्यूटी अभयारण्य में लगाई है. वहीं अन्य कर्मचारियों को कलेक्टर दर पर वेतन का भुगतान होता है.
इस संबंध में गौ अभयारण्य में मवेशियों की देखभाल कर रहे सहायक पशु चिकित्सक एमडी सर्पराज ने बताया कि, वर्तमान में 221 मवेशी हैं. चार जगहों पर पानी की व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि मवेशी के रखने की शीट को बढ़ाने की मांग की गई है. जिसका टेंडर हुआ है लेकिन अब तक काम शुरू नहीं सका है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में गौ अभयारण्य में विभाग की ओर से 3 लोग कार्यरत हैं. जबकि 6 कर्मचारी दिन में कार्य करते हैं और 2 कर्मचारियों की रात में ड्यूटी लगाई जाती है.