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नए साल पर घूमने जाने का बना रहे प्लान तो छत्तीसगढ़ की वादियां कर रही इंतजार

New Year Destination Best option Bemetra अगर आप भी नए साल में कहीं घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो बेमेतरा के इन जगहों पर जरूर जाएं. आइए आपको बताते हैं बेमेतरा में किन जगहों पर आप न्यू ईयर मना सकते हैं.New Year Destination in Chhattisgarh

New Year Destination Best option Bemetra
घूमने जाने का बना रहे प्लान तो बेमेतरा जरूर जाएं
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 18, 2023, 8:53 PM IST

Updated : Jan 1, 2024, 1:58 PM IST

बेमेतरा: नए वर्ष की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. जल्द ही नए साल का आगाज होने वाला है. नए साल के मौके पर अधिकतर लोग कहीं न कहीं घूमने जाने का प्लान बनाते हैं. हर कोई बेहतर और खूबसूरत जगह में नया साल सेलिब्रेट करना चाहता है. अगर आप भी घूमने के शौकीन हैं और नए साल के मौके पर अच्छे डेस्टिनेशन की तलाश में हैं तो आप भी छत्तीसगढ़ का रूख कर सकते हैं.

बेमेतरा में कई टूरिस्ट स्पॉट: छत्तीसगढ़ में कई ऐसे स्थान हैं जो घूमने के लिए बेहतर जगहों में से एक हैं. वहीं, बेमेतरा जिले में कई ऐसे टूरिस्ट स्पॉट हैं, जहां जाकर आपको ये ऐहसास जरूर होगा कि प्राकृतिक सुंदरता से बढ़कर कोई चीज नहीं है. बेमेतरा जिले के देवकर के पास सहसपुर में प्राचीन शिव मंदिर, देवरबीजा का प्राचीन सीतादेवी मंदिर और जौंग का रंग बदलने वाला शिव मंदिर प्रसिद्ध है. इसके अलावा पर्यटक जिले बेमेतरा शहर में माता भद्रकाली, नवागढ में शमी गणेश के दर्शन कर नांदघाट के गिधवा परसदा जलाशय में पक्षी विहार का लुप्त उठा सकते है.

सहसपुर का प्राचीन जुड़वा शिव मंदिर: बेमेतरा जिला के देवकर के पास सहसपुर का जुड़वा शिव मंदिर वास्तुकला से भरपूर है. फणी नागवंशी राजाओं के शासनकाल में बने जुड़वा मंदिर प्रतिनिधि स्मारकों में से एक है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कवर्धा के फणी नागवंशी राजाओं ने 13वीं और14 वीं शताब्दी में इसे बनवाया है. मंदिर जुड़वा मंदिर पूर्वाभिमुख है. एक मंदिर के गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. दूसरे मेंं प्रतिमा नहीं थी, वहीं बाद में गांव वालों ने हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की है. मंदिर में गर्भगृह और मंडप है. नागर शैली में आमलक और कलश युक्त शिखर है. मंडप का धरातल, गर्भगृह से लगभग 4 फीट ऊंचा है. शिव मंदिर के मंडप में पत्थर से बने 16 पिलर हैं. प्रत्येक पिलर में नाग उकेरे गए हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार में चतुर्भुजी शिव और दाएं छोर पर ब्रह्मा और बाएं छोर पर विष्णु की प्रतिमा विराजमान है. गर्भगृह में जलधारी शिवलिंग है, जिसकी ऊंचाई लगभग 6 फीट और मोटाई 4 फुट है. गर्भगृह के सामने मंडप है. दरवाजे की कलाकृति भोरमदेव मंदिर कबीरधाम के समान है.

देवरबीजा का सीता देवी मंदिर: बेमेतरा जिला के देवरबीजा में तालाब के पास देवी सीता का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में कलचुरी राजाओं ने कराया था. यह मंदिर बलुवा पत्थर से बना हुआ है. मंदिर के शिखर पर नागर चित्रकला उकेरी गई है. साथ ही गणेश जी, विष्णु जी की प्रतिमा है. इसके अलावा अप्सराओं की नृत्य करती हुई मूर्तियां हैं.

जौंग शिव मंदिर: बेमेतरा जिले के जौंग गांव में शिवनाथ नदी के किनारे प्राचीन शिव मंदिर है, जो प्रत्येक 4 माह में अपना रंग बदल देता है. जौंग में शिव मंदिर का निर्माण 11 से 13 वीं शताब्दी का है, जिसका निर्माण फणी नागवंशी राजाओं ने कराया था. जहां प्राचीन प्रतिमाएं और शिलालेख भी है. बारिश के दिनों में काला और स्लेटी रंग होता है. शिवलिंग पूरी तरह चिकना रहता है. वहीं ठंड में काले रंग का हो जाता है. इसके बाद गर्मियों में शिवलिंग भूरा रंग का होने के साथ-साथ खुरदुरा नजर आता है. नए साल और छुट्टी के दिनों में लोग ऐतिहासिक धरोधर में रुचि रखने वाले लोग यहां घूमने पहुंचते हैं.

गिधवा-परसदा जलाशय पक्षी विहार: बेमेतरा जिले के बिलासपुर रायपुर मार्ग में सटे नांदघाट के निकट गिधवा- परसदा जलाशय है, जो करीब 120 एकड़ तक फैला है. जलशय में भोजन की उपलब्धता और अनुकूल वातावरण के वजह से विदेशी मेहमान यहां बड़ी तादात में पाए जाते हैं. इनमें साइबेरिन, बर्मा, बांग्लादेश, यूरोपीय मंगोलिया देश के पक्षी शामिल है. पिछले 2 वर्षों से शासन ने इसे पक्षी विहार बनाया है, जहां जैव विविधता देखने लोग पहुंचते हैं. पक्षी महोत्सव का आयोजन कर शासन ने क्षेत्र को पक्षियों के लिए इसे संरक्षित कर दिया है.

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बेमेतरा में कई टूरिस्ट स्पॉट: छत्तीसगढ़ में कई ऐसे स्थान हैं जो घूमने के लिए बेहतर जगहों में से एक हैं. वहीं, बेमेतरा जिले में कई ऐसे टूरिस्ट स्पॉट हैं, जहां जाकर आपको ये ऐहसास जरूर होगा कि प्राकृतिक सुंदरता से बढ़कर कोई चीज नहीं है. बेमेतरा जिले के देवकर के पास सहसपुर में प्राचीन शिव मंदिर, देवरबीजा का प्राचीन सीतादेवी मंदिर और जौंग का रंग बदलने वाला शिव मंदिर प्रसिद्ध है. इसके अलावा पर्यटक जिले बेमेतरा शहर में माता भद्रकाली, नवागढ में शमी गणेश के दर्शन कर नांदघाट के गिधवा परसदा जलाशय में पक्षी विहार का लुप्त उठा सकते है.

सहसपुर का प्राचीन जुड़वा शिव मंदिर: बेमेतरा जिला के देवकर के पास सहसपुर का जुड़वा शिव मंदिर वास्तुकला से भरपूर है. फणी नागवंशी राजाओं के शासनकाल में बने जुड़वा मंदिर प्रतिनिधि स्मारकों में से एक है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कवर्धा के फणी नागवंशी राजाओं ने 13वीं और14 वीं शताब्दी में इसे बनवाया है. मंदिर जुड़वा मंदिर पूर्वाभिमुख है. एक मंदिर के गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. दूसरे मेंं प्रतिमा नहीं थी, वहीं बाद में गांव वालों ने हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की है. मंदिर में गर्भगृह और मंडप है. नागर शैली में आमलक और कलश युक्त शिखर है. मंडप का धरातल, गर्भगृह से लगभग 4 फीट ऊंचा है. शिव मंदिर के मंडप में पत्थर से बने 16 पिलर हैं. प्रत्येक पिलर में नाग उकेरे गए हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार में चतुर्भुजी शिव और दाएं छोर पर ब्रह्मा और बाएं छोर पर विष्णु की प्रतिमा विराजमान है. गर्भगृह में जलधारी शिवलिंग है, जिसकी ऊंचाई लगभग 6 फीट और मोटाई 4 फुट है. गर्भगृह के सामने मंडप है. दरवाजे की कलाकृति भोरमदेव मंदिर कबीरधाम के समान है.

देवरबीजा का सीता देवी मंदिर: बेमेतरा जिला के देवरबीजा में तालाब के पास देवी सीता का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में कलचुरी राजाओं ने कराया था. यह मंदिर बलुवा पत्थर से बना हुआ है. मंदिर के शिखर पर नागर चित्रकला उकेरी गई है. साथ ही गणेश जी, विष्णु जी की प्रतिमा है. इसके अलावा अप्सराओं की नृत्य करती हुई मूर्तियां हैं.

जौंग शिव मंदिर: बेमेतरा जिले के जौंग गांव में शिवनाथ नदी के किनारे प्राचीन शिव मंदिर है, जो प्रत्येक 4 माह में अपना रंग बदल देता है. जौंग में शिव मंदिर का निर्माण 11 से 13 वीं शताब्दी का है, जिसका निर्माण फणी नागवंशी राजाओं ने कराया था. जहां प्राचीन प्रतिमाएं और शिलालेख भी है. बारिश के दिनों में काला और स्लेटी रंग होता है. शिवलिंग पूरी तरह चिकना रहता है. वहीं ठंड में काले रंग का हो जाता है. इसके बाद गर्मियों में शिवलिंग भूरा रंग का होने के साथ-साथ खुरदुरा नजर आता है. नए साल और छुट्टी के दिनों में लोग ऐतिहासिक धरोधर में रुचि रखने वाले लोग यहां घूमने पहुंचते हैं.

गिधवा-परसदा जलाशय पक्षी विहार: बेमेतरा जिले के बिलासपुर रायपुर मार्ग में सटे नांदघाट के निकट गिधवा- परसदा जलाशय है, जो करीब 120 एकड़ तक फैला है. जलशय में भोजन की उपलब्धता और अनुकूल वातावरण के वजह से विदेशी मेहमान यहां बड़ी तादात में पाए जाते हैं. इनमें साइबेरिन, बर्मा, बांग्लादेश, यूरोपीय मंगोलिया देश के पक्षी शामिल है. पिछले 2 वर्षों से शासन ने इसे पक्षी विहार बनाया है, जहां जैव विविधता देखने लोग पहुंचते हैं. पक्षी महोत्सव का आयोजन कर शासन ने क्षेत्र को पक्षियों के लिए इसे संरक्षित कर दिया है.

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Last Updated : Jan 1, 2024, 1:58 PM IST
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