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SPECIAL: जहां कभी गन्ना की खेती करने को मजबूर थे किसान, वहां आज बनाया जा रहा स्वादिष्ट गुड़

जिले में हाफ नदी के दोनों तट पर इन दिनों राहगीरों को एक सोंधी महक आकर्षित कर रही है. गन्ना उत्पादक किसान यूपी से आए एक्सपर्ट की टीम से गुड़ बनवा रहे हैं. जिले में करीब 4500 एकड़ में गन्ना की खेती की जा रही है.

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Published : Dec 12, 2020, 2:56 PM IST

Updated : Dec 12, 2020, 3:07 PM IST

jaggery production
गुड उत्पादन

बेमेतरा: जिले में बहने वाली जीवनदायिनी हाफ नदी के तट के दोनों को ओर गन्ने की खेती की जा रही है. इन दिनों लोग गन्ने से बनने वाले गुड़ की सोंधी खुशबू से ठिठकने को मजबूर हो रहे हैं. हरियाणा के किसान जिले में पिछले 15 साल से बड़े तदाद में गन्ने की खेती करते आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ के किसान भी गन्ने की खेती में रुचि लेने लगे हैं.

गन्ने से गुड़ बना रहे मजदूर

छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी अपने खेतों में गुड़ की फैक्ट्रियां डालना शुरू कर दिया है. उत्तरप्रदेश के एक्सपर्ट की मदद से गुड़ बनवाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ गन्ने के उत्पादन के लिए अनुकूल वातावरण वाला प्रदेश माना जाता है. कृषि विभाग के रिकार्ड के मुताबित जिले में 4500 एकड़ में किसानों ने गन्ना की खेती कर रहे है.

jaggery production
गुड बनाते किसान

प्रति एकड़ फसल से 30 से 45 क्विंटल बना रहे गुड़

किसान अपने फॉर्म हाउस में खुद के कोल्हू लगाकर गुड़ बनवा रहे हैं. छोटे पीस और बाल्टी की साइज के गुड़ बनाए जाते हैं. ये गुड़ बेमेतरा मंडी में थोक में 28 से 30रुपए किलो बिक रहा है. गुड़ बेचकर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. प्रति एकड़ 30 से 40 किलो गुड़ बन जाता है. किसानों ने बताया कि रखरखाव के खर्च के बाद बचत भी हो जाती है. जो धान और सोयाबीन के मुकाबले कहीं बेहतर है.

पढ़ें: सरगुजा: गन्ना किसानों के लिए ये उद्योग है वरदान, पढ़ें- पूरी रिपोर्ट


छतीसगढ़ के किसान भी गन्ने के खेती में ली रुचि

ग्राम जेवरा में हाल ही गुड़ की फैक्ट्री लगाने वाले किसान हेमंत साहू ने बताया कि वे 30 एकड़ रकबे में गन्ना की खेती करते आ रहे हैं. पहले हरियाणा के किसान से गुड़ बनवाते थे. इस बार उन्होंने खुद का कोल्हू लगवाए हैं. क्योंकि स्थाई रूप से गुड़ बनाना है. गांव में 279 एकड़ में गुड की खेती की जा रही है. किसान हेमंत साहू ने बताया कि बेमेतरा के व्यपारी खुद ही बाड़ी आकर गुड़ ले जाते है. इसकी बिक्री के लिए भटकना नहीं पड़ता है.

jaggery production
गुड बनाता किसान
शक्कर से मिली निराशा के बाद गुड़ के लिए हाईकोर्ट में जीती जंगराज्य गठन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भोरमदेव शक्कर कारखाना (कबीरधाम) प्रारंभ कराया. तब बेमेतरा, नवागढ़, खम्हरिया, साजा और बेरला ब्लॉक के किसानों को गन्ना की खेती करने के लिए मजबूर किया गया. प्रशासनिक दबाव बनाकर शेयर बेचे गए. लागत मूल्य पर घर में शक्कर देने का वादा किया गया था, लेकिन हुआ इन सब के विपरीत. किसानों ने गन्नों के तौल कई दिनों तक नहीं कराया. भुगतान के चक्कर में गुड़ बनाने में प्रतिबंध लगा दिया गया था. इन तमाम संकटों का सामना कर किसान हाईकोर्ट गए. वहां से गुड़ बनाने की अनुमति मिली जो आज इस जिले में गन्ना की खेती को बचाने में सहायक है.

पढ़ें: कवर्धा: गुड़ संचालक ने 34 मजदूरों को काम से निकाला, मामला दर्ज

मजदूरों को 4 महीने का मिल रहा रोजगार
एक कोल्हू में गुड़ बनाने 9-10 मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है. वहीं गुड़ बनाने आये उत्तरप्रदेश के एक्सपर्ट मजदूरों को करीब 4 महीने का रोजगार भी मिलता है. इन मजदूरों को 500 रुपए की दर से रोज पगार मिलती है. मजदूरों ने बताया कि उन्हें यहां काम करके खुशी मिल रही है.

बेमेतरा: जिले में बहने वाली जीवनदायिनी हाफ नदी के तट के दोनों को ओर गन्ने की खेती की जा रही है. इन दिनों लोग गन्ने से बनने वाले गुड़ की सोंधी खुशबू से ठिठकने को मजबूर हो रहे हैं. हरियाणा के किसान जिले में पिछले 15 साल से बड़े तदाद में गन्ने की खेती करते आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ के किसान भी गन्ने की खेती में रुचि लेने लगे हैं.

गन्ने से गुड़ बना रहे मजदूर

छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी अपने खेतों में गुड़ की फैक्ट्रियां डालना शुरू कर दिया है. उत्तरप्रदेश के एक्सपर्ट की मदद से गुड़ बनवाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ गन्ने के उत्पादन के लिए अनुकूल वातावरण वाला प्रदेश माना जाता है. कृषि विभाग के रिकार्ड के मुताबित जिले में 4500 एकड़ में किसानों ने गन्ना की खेती कर रहे है.

jaggery production
गुड बनाते किसान

प्रति एकड़ फसल से 30 से 45 क्विंटल बना रहे गुड़

किसान अपने फॉर्म हाउस में खुद के कोल्हू लगाकर गुड़ बनवा रहे हैं. छोटे पीस और बाल्टी की साइज के गुड़ बनाए जाते हैं. ये गुड़ बेमेतरा मंडी में थोक में 28 से 30रुपए किलो बिक रहा है. गुड़ बेचकर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. प्रति एकड़ 30 से 40 किलो गुड़ बन जाता है. किसानों ने बताया कि रखरखाव के खर्च के बाद बचत भी हो जाती है. जो धान और सोयाबीन के मुकाबले कहीं बेहतर है.

पढ़ें: सरगुजा: गन्ना किसानों के लिए ये उद्योग है वरदान, पढ़ें- पूरी रिपोर्ट


छतीसगढ़ के किसान भी गन्ने के खेती में ली रुचि

ग्राम जेवरा में हाल ही गुड़ की फैक्ट्री लगाने वाले किसान हेमंत साहू ने बताया कि वे 30 एकड़ रकबे में गन्ना की खेती करते आ रहे हैं. पहले हरियाणा के किसान से गुड़ बनवाते थे. इस बार उन्होंने खुद का कोल्हू लगवाए हैं. क्योंकि स्थाई रूप से गुड़ बनाना है. गांव में 279 एकड़ में गुड की खेती की जा रही है. किसान हेमंत साहू ने बताया कि बेमेतरा के व्यपारी खुद ही बाड़ी आकर गुड़ ले जाते है. इसकी बिक्री के लिए भटकना नहीं पड़ता है.

jaggery production
गुड बनाता किसान
शक्कर से मिली निराशा के बाद गुड़ के लिए हाईकोर्ट में जीती जंगराज्य गठन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भोरमदेव शक्कर कारखाना (कबीरधाम) प्रारंभ कराया. तब बेमेतरा, नवागढ़, खम्हरिया, साजा और बेरला ब्लॉक के किसानों को गन्ना की खेती करने के लिए मजबूर किया गया. प्रशासनिक दबाव बनाकर शेयर बेचे गए. लागत मूल्य पर घर में शक्कर देने का वादा किया गया था, लेकिन हुआ इन सब के विपरीत. किसानों ने गन्नों के तौल कई दिनों तक नहीं कराया. भुगतान के चक्कर में गुड़ बनाने में प्रतिबंध लगा दिया गया था. इन तमाम संकटों का सामना कर किसान हाईकोर्ट गए. वहां से गुड़ बनाने की अनुमति मिली जो आज इस जिले में गन्ना की खेती को बचाने में सहायक है.

पढ़ें: कवर्धा: गुड़ संचालक ने 34 मजदूरों को काम से निकाला, मामला दर्ज

मजदूरों को 4 महीने का मिल रहा रोजगार
एक कोल्हू में गुड़ बनाने 9-10 मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है. वहीं गुड़ बनाने आये उत्तरप्रदेश के एक्सपर्ट मजदूरों को करीब 4 महीने का रोजगार भी मिलता है. इन मजदूरों को 500 रुपए की दर से रोज पगार मिलती है. मजदूरों ने बताया कि उन्हें यहां काम करके खुशी मिल रही है.

Last Updated : Dec 12, 2020, 3:07 PM IST
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